प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट किया कि नाम जप के लिए किसी विशेष स्थान या आसन की आवश्यकता नहीं है। बिस्तर पर बैठे हुए भी भक्त भगवान का नाम जप सकते हैं। गुरु मंत्र के लिए अनुशासन और पवित्र स्थान जरूरी है, लेकिन नाम जप सरल, पवित्र और हर समय किया जा सकने वाला आध्यात्मिक अभ्यास है।
Premanand Maharaj: सोशल मीडिया पर हाल ही में हुए एक सत्संग में प्रेमानंद महाराज ने भक्तों को मार्गदर्शन देते हुए बताया कि नाम जप किसी भी समय और स्थान पर किया जा सकता है। बिस्तर पर बैठकर भी भगवान का नाम जप करना पूरी तरह सही है। हालांकि, गुरु मंत्र के लिए शुद्ध और पवित्र स्थान का चयन आवश्यक है। महाराज ने स्पष्ट किया कि साधना का मूल उद्देश्य हृदय और मन से भक्ति है, न कि केवल शब्दों का उच्चारण, और श्रद्धा के साथ किया गया नाम जप हर परिस्थिति में आध्यात्मिक लाभ देता है।
साधना में नियम नहीं भक्ति में विश्वास जरूरी
प्रेमानंद महाराज, जिनकी मधुर वाणी और सरल ज्ञान लाखों भक्तों के लिए मार्गदर्शक बने हुए हैं, हाल ही में सोशल मीडिया पर भक्तों के एक अहम सवाल का जवाब देते नजर आए। भक्तों ने उनसे पूछा कि क्या बिस्तर पर बैठकर नाम जप करना उचित है या नहीं। संत परंपरा में गुरु और संतों की वाणी सदियों से लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देती रही है, और प्रेमानंद महाराज का संदेश भी इसी परंपरा का हिस्सा है।
सत्संग के दौरान महाराज ने स्पष्ट किया कि नाम जप केवल नियमों या विशेष साधना की विधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा की शांति और ध्यान की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि बिस्तर पर बैठकर भी नाम जप किया जा सकता है, लेकिन ध्यान और भक्ति की भावना बनाए रखना आवश्यक है। साधना का उद्देश्य केवल शब्दों का उच्चारण नहीं, बल्कि हृदय और मन से भगवान से जुड़ना है।
नाम जप और गुरु मंत्र में अंतर
प्रेमानंद महाराज ने नाम जप और गुरु मंत्र के बीच अंतर भी स्पष्ट किया। उनका कहना है कि भगवान के नाम का जप किसी भी समय, किसी भी स्थान या परिस्थिति में किया जा सकता है। चाहे आप बिस्तर पर हों, यात्रा कर रहे हों या कोई काम कर रहे हों, नाम जप पवित्र और स्वीकार्य है। महाराज ने यहां तक कहा कि शौचालय जैसी जगहों पर भी नाम जप किया जा सकता है, क्योंकि भगवान का नाम हर परिस्थिति में पवित्र रहता है।
हालांकि, गुरु मंत्र का जाप कुछ नियमों और स्थानों से जुड़ा होता है। प्रेमानंद महाराज के अनुसार, गुरु मंत्र का जाप घर के सामान्य बिस्तर या अपवित्र स्थानों पर नहीं करना चाहिए। इसके लिए हमेशा शुद्ध और पवित्र स्थान का चयन करना आवश्यक है। उनका संदेश साफ है कि ईश्वर का नाम लेने में कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन गुरु मंत्र की साधना में अनुशासन और पवित्रता जरूरी है।
नाम जप की सरलता और महत्व
महाराज ने यह भी कहा कि नाम जप के लिए किसी विशेष आसन, स्थान या स्थिति की जरूरत नहीं है। यह एक सरल और पवित्र आध्यात्मिक क्रिया है, जिसे व्यक्ति अपनी दिनचर्या में कहीं भी और कभी भी कर सकता है। सबसे महत्वपूर्ण है मन में श्रद्धा और भगवान के प्रति प्रेम। अगर श्रद्धा और भक्ति है, तो कहीं भी, कभी भी नाम जप करके आध्यात्मिक लाभ लिया जा सकता है।
प्रेमानंद महाराज का यह संदेश भक्तों के लिए बेहद प्रेरणादायक है। यह उन्हें सरलता से आध्यात्मिक साधना करने और जीवन में भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति बनाए रखने की सीख देता है।