पटना हाईकोर्ट के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पवन कुमार भीमप्पा बजंतरी ने शपथ ली। उनके अनुभव से बिहार की न्यायिक व्यवस्था को नई ऊर्जा और दिशा मिलने की उम्मीद है।
पटना: उच्च न्यायालय को रविवार को एक नया नेतृत्व मिला। न्यायमूर्ति पवन कुमार भीमप्पा बजंतरी को बिहार राज्य के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई। इस अवसर पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उन्हें राजभवन में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को न्यायमूर्ति बजंतरी की नियुक्ति को मंजूरी दी थी। इस समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, न्यायपालिका के वरिष्ठ सदस्य और राजनीतिक जगत की कई प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं।
पटना उच्च न्यायालय में नए न्यायाधीश की नियुक्ति
न्यायमूर्ति पवन कुमार भीमप्पा बजंतरी को देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में उनके लंबे और समृद्ध कानूनी अनुभव के लिए जाना जाता है। उनकी नियुक्ति से पटना उच्च न्यायालय और बिहार की न्यायपालिका में नई ऊर्जा और दिशा आने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि उनके नेतृत्व में न्यायालय की कार्यप्रणाली और मामलों के निस्तारण की गति बेहतर होगी।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली को हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति पंचोली का कार्यकाल लंबा है और वे अक्टूबर 2031 से मई 2033 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में भी सेवा देंगे। उनकी अनुपस्थिति में न्यायमूर्ति बजंतरी पटना उच्च न्यायालय में नेतृत्व की जिम्मेदारी संभालेंगे।
पवन कुमार बजंतरी का उच्च न्यायालयों में अनुभव
पवन कुमार भीमप्पा बजंतरी ने अपनी कानूनी यात्रा 1990 में कर्नाटक उच्च न्यायालय बार काउंसिल में वकील के रूप में शुरू की। इस दौरान उन्होंने विभिन्न कानूनी शाखाओं में अनुभव प्राप्त किया और कर्नाटक लोक सेवा आयोग की ओर से उच्च न्यायालय में मामलों का प्रतिनिधित्व किया।
2 जनवरी, 2015 को उन्हें कर्नाटक उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 16 मार्च, 2015 को उनका स्थानांतरण पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में किया गया। लगभग साढ़े तीन साल की सेवा के बाद, 17 नवंबर, 2018 को वह अपने मूल कर्नाटक उच्च न्यायालय में लौट आए। इस अनुभव ने उन्हें न्यायिक मामलों के गहन ज्ञान और व्यापक दृष्टिकोण से लैस किया।
बजंतरी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
न्यायमूर्ति बजंतरी का जन्म 23 अक्टूबर, 1963 को हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा धारवाड़ स्थित विद्यावर्धक संघ से प्राप्त की, जो कर्नाटक का एक 135 वर्ष पुराना सांस्कृतिक संगठन है। इसके बाद उन्होंने कर्नाटक लिंगायत शिक्षा समिति से संबद्ध स्कूलों में पढ़ाई पूरी की। स्नातक की पढ़ाई के बाद उन्होंने बेंगलुरु के एसजेआर लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की।
उनकी शिक्षा और कानूनी पृष्ठभूमि ने उन्हें न केवल कानूनी विशेषज्ञता दी, बल्कि न्यायपालिका में नेतृत्व करने की क्षमता भी प्रदान की।