चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए बनाए गए QUAD समूह की महत्वाकांक्षा इस साल कम होती दिख रही है। अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के इस चार देशों के समूह का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखना है, लेकिन इस साल QUAD शिखर सम्मेलन (QUAD Summit) की संभावना बेहद कम हो गई है।
QUAD Summit: चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए बनाए गए QUAD ग्रुप का अब खास महत्व नहीं बचा है। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और हरकतों के कारण यह समूह ठंडे बस्ते में चला गया है। इस साल क्वाड समिट आयोजित होने की संभावना अब संदेह के घेरे में है। इसकी वजह है क्वाड देशों के घरेलू मुद्दे और अमेरिका-भारत तथा जापान के बीच व्यापारिक मतभेद, जिससे बैठक स्थगित हो सकती है। इस बार बैठक आयोजित करने की जिम्मेदारी भारत के पास थी।
बताया जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप भारत में होने वाली संभावित क्वाड बैठक पर लगातार नजर बनाए हुए थे, लेकिन उन्होंने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
ट्रंप की नीतियों का असर
इस साल की बैठक के लिए भारत को मेजबानी करने का जिम्मा था। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाकर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा दिया। इस स्थिति ने बैठक की संभावनाओं को और जटिल बना दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता में ठोस नतीजे के बिना ट्रंप का नवंबर में भारत दौरा संभव नहीं है। हफ्तों की तैयारी, सुरक्षा व्यवस्था, होटल और लॉजिस्टिक बुकिंग जैसी बुनियादी व्यवस्थाओं के बिना बैठक कराना मुश्किल है।
घरेलू मुद्दों और द्विपक्षीय मतभेदों की चुनौती
QUAD समूह के प्रत्येक देश के घरेलू मुद्दे भी इस बैठक की संभावनाओं को प्रभावित कर रहे हैं। अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया में अलग-अलग राजनीतिक और आर्थिक दबाव हैं, जो बैठक की रूपरेखा तैयार करने में बाधक बन रहे हैं। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक मतभेद भी इस शिखर सम्मेलन के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इन मतभेदों पर सहमति नहीं बनी, तो शिखर सम्मेलन को स्थगित करना पड़ सकता है।
न्यूयॉर्क में भी नहीं हुई बैठक
पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में न्यूयॉर्क में QUAD देशों के विदेश मंत्रियों की द्विपक्षीय बैठकें हुईं, लेकिन इस दौरान कोई QUAD की औपचारिक बैठक आयोजित नहीं की गई। यह संकेत देता है कि इस साल की शिखर सम्मेलन की तैयारियां अभी तक अधूरी हैं। सूत्रों के अनुसार, सम्मेलन के लिए बुनियादी व्यवस्थाएं जैसे होटल बुकिंग, सुरक्षा प्रोटोकॉल और मीडिया कवरेज जैसी तैयारियां अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। यही कारण है कि इस साल शिखर सम्मेलन से अपेक्षित परिणाम प्राप्त करना मुश्किल हो रहा है।