रूस से तेल खरीद पर पश्चिमी देशों के दबाव के बीच भारत ने स्पष्ट किया कि ऊर्जा सुरक्षा उसकी प्राथमिकता है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा, भारत अपने हितों की रक्षा के लिए जरूरी हर कदम उठाएगा।
India-Russia: भारत सरकार ने एक बार फिर यह दोहराया है कि देश की ऊर्जा सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। चाहे दुनिया में कोई भी दबाव क्यों न हो, भारत अपनी जरूरत के हिसाब से ऊर्जा की खरीद जारी रखेगा। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने यह बात तब कही जब यूरोपीय संघ (EU) और अमेरिका की तरफ से भारत पर रूस से तेल खरीद को लेकर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। मिसरी ने कहा कि भारत अपने नागरिकों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जो जरूरी होगा, वो जरूर करेगा।
पश्चिमी देशों की धमकियों के बीच भारत का संतुलित रुख
हाल ही में अमेरिका, NATO और EU ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर कड़ी चेतावनी जारी की थी। अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने कहा कि यदि भारत, चीन और ब्राजील जैसे देश रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखते हैं, तो अमेरिका उन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा और उनकी अर्थव्यवस्था को "तहस-नहस" कर देगा। NATO प्रमुख ने भी इसी तरह की भाषा में बयान दिया, जिससे भारत पर आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।
यूरोपीय संघ ने वाडिनार रिफाइनरी पर लगाया प्रतिबंध
EU ने हाल ही में रूस पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के तहत गुजरात स्थित वाडिनार रिफाइनरी को भी निशाना बनाया है। यह प्रतिबंध ऐसे समय लगाए गए हैं जब यूरोपीय देश खुद ऊर्जा संकट से जूझ रहे हैं। मिसरी ने प्रेस वार्ता में कहा कि इन देशों को दोहरे मापदंड अपनाने के बजाय संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने साफ किया कि भारत के लिए प्राथमिकता अपने नागरिकों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना है, न कि किसी विशेष राजनीतिक एजेंडे का समर्थन करना।
भारत की बढ़ती रूस से ऊर्जा खरीद
यूक्रेन युद्ध के बाद से पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। इसके बावजूद भारत ने रूस से ऊर्जा की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि की है। आज भारत की कुल कच्चे तेल की आपूर्ति में करीब 35 प्रतिशत हिस्सा रूस से आता है। इराक और सऊदी अरब इसके बाद दूसरे स्थान पर हैं। यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि भारत अपने रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेता है।
विदेश सचिव की दो टूक
मिसरी ने कहा कि ऊर्जा आपूर्ति और मांग के वैश्विक परिदृश्य को देखकर ही भारत अपने निर्णय लेता है। उन्होंने जोर दिया कि कोई भी देश यह तय नहीं कर सकता कि भारत को कहां से और कैसे अपनी ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी करनी हैं। ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर किसी भी तरह की राजनीति को भारत स्वीकार नहीं करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री की बातचीत में उठ सकता है मुद्दा
सवाल पूछा गया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष कीर स्टार्मर के बीच आगामी बैठक में इस विषय पर चर्चा होगी। इस पर मिसरी ने कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की, लेकिन यह संकेत दिया कि भारत हर स्तर पर अपनी नीति और प्राथमिकताओं को मजबूती से रखेगा।