राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत चार दिवसीय दौरे पर केरल जा रहे हैं। उनका यह दौरा कई दृष्टिकोण से खास माना जा रहा है। इस दौरान संघ प्रमुख विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े कई दिग्गजों से मुलाकात करेंगे और शिक्षा क्षेत्र के भविष्य व दिशा को लेकर संवाद करेंगे।
RSS Chief in Kerala: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत 25 से 28 जुलाई तक केरल के चार दिवसीय दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे केरल के कलाड़ी में आयोजित हो रहे शिक्षा शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह दौरा सिर्फ एक साधारण कार्यक्रम नहीं बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में RSS के भविष्य के एजेंडे को मजबूती देने की बड़ी योजना का हिस्सा माना जा रहा है। इस सम्मेलन में भागवत शिक्षा से जुड़े शीर्ष पदाधिकारियों, शिक्षाविदों और नीति-निर्माताओं के साथ सीधे संवाद करेंगे।
'शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास' के बैनर तले आयोजित हो रहा है सम्मेलन
इस चार दिवसीय शिक्षा शिखर सम्मेलन का आयोजन RSS से जुड़े संगठन 'शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास' के द्वारा किया जा रहा है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के प्रभावी क्रियान्वयन और भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ने की रणनीति को अंतिम रूप देना है। इस सम्मेलन में देशभर के 300 से अधिक प्रमुख शिक्षाविदों, कुलपतियों, तकनीकी संस्थानों के निदेशकों और उच्च शिक्षा के शीर्ष अधिकारियों को आमंत्रित किया गया है।
विशेष बात यह है कि इस आयोजन में सभी संस्थानों को नहीं, बल्कि उन चुनिंदा हितधारकों को बुलाया गया है, जो नीति निर्माण और शिक्षा सुधार में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।
कई राज्यों के शिक्षा मंत्री और उच्च पदाधिकारी होंगे शामिल
राजस्थान, उत्तराखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश और पुडुचेरी के शिक्षा मंत्रियों ने पहले ही अपनी भागीदारी की पुष्टि कर दी है। इसके अलावा AICTE के चेयरमैन टी.जी. सीताराम, UGC के उपाध्यक्ष और NAAC के निदेशक जैसे उच्चाधिकारी भी इस सम्मेलन में उपस्थित रहेंगे। साथ ही केरल के राज्यपाल आरएन आर्लेकर भी इस सम्मेलन के दौरान एक अलग सत्र में शामिल होंगे, जिसमें केरल के 200 से अधिक शिक्षाविद् और लगभग 1,000 प्रतिभागी भाग लेंगे।
27 जुलाई को मोहन भागवत 'शिक्षा में भारतीयता' विषय पर सार्वजनिक व्याख्यान देंगे। जबकि अंतिम दिन 28 जुलाई को वह 'ज्ञान सभा: विकसित भारत हेतु शिक्षा' विषय पर राष्ट्रीय स्तर के विचार मंथन सत्र को संबोधित करेंगे। इस सत्र में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए शिक्षा के मॉडल पर विस्तृत चर्चा होगी।इस कार्यक्रम के आयोजक अतुल कोठारी (राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास) के अनुसार, मोहन भागवत की इस सम्मेलन में उपस्थिति यह दर्शाती है कि RSS शिक्षा क्षेत्र में अपने सामाजिक-सांस्कृतिक एजेंडे के तहत तेजी से भागीदारी बढ़ा रहा है।
RSS के शिक्षा मॉडल पर क्यों हो रही चर्चा?
RSS लंबे समय से भारतीय ज्ञान परंपराओं, भारतीय भाषाओं, गणित, कौशल विकास और चरित्र निर्माण को आधुनिक शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा बनाने की वकालत करता रहा है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास इससे पहले भी ज्ञान कुंभ, ज्ञान महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों के जरिए इस एजेंडे को आगे बढ़ाता रहा है।समर्थकों का कहना है कि यह उपनिवेशवाद काल की विरासत में मिले पाठ्यक्रम में जरूरी सुधार है, ताकि शिक्षा भारतीय संस्कृति और मूल्यों के अनुरूप हो सके। वहीं, आलोचक RSS पर 'शिक्षा का भगवाकरण' करने का आरोप लगाते रहे हैं।
यह सम्मेलन ऐसे समय पर हो रहा है जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लेकर विभिन्न राज्यों में बहस तेज हो गई है। कुछ राज्य इसे तेजी से लागू कर रहे हैं, तो कुछ इसका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में RSS इस सम्मेलन के जरिए न केवल नीति निर्माण में अपनी मौजूदगी दर्ज कराना चाहता है, बल्कि शिक्षा में 'भारतीयता' के विचार को और अधिक स्थापित करने की रणनीति बना रहा है।