RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू समाज की मजबूती जरूरी है। भारत और हिंदू समाज जुड़े हैं। जब तक हिंदू मजबूत नहीं होंगे, दुनिया उनकी चिंता नहीं करेगी।
New Delhi: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज की मजबूती और एकता पर जोर देते हुए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज और भारत एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं, इसलिए जब तक हिंदू समाज सशक्त नहीं होगा, तब तक न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया में भी हिंदुओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित नहीं हो सकता। भागवत ने यह भी स्पष्ट किया कि हिंदू समाज की मजबूती से पूरे विश्व के हिंदुओं को ताकत मिलेगी।
हिंदू समाज और भारत का गहरा संबंध
मोहन भागवत ने अपने बयान में हिंदू समाज और भारत के बीच गहरे रिश्ते को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज की गरिमा भारत के गौरव का आधार है। भारत तभी गौरव हासिल कर सकता है जब उसका हिंदू समाज मजबूत हो। यह मजबूती न केवल सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से जरूरी है बल्कि राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के लिए भी अहम है।

भागवत का मानना है कि एक सशक्त हिंदू समाज ही उन लोगों को साथ लेकर चलने का आदर्श प्रस्तुत कर सकता है, जो आज खुद को हिंदू नहीं मानते, लेकिन किसी समय वे भी हिंदू ही थे। इसका मतलब यह है कि हिंदू समाज की एकता और मजबूती में ही देश की प्रगति और सामाजिक समरसता निहित है।
दुनिया में हिंदुओं की सुरक्षा और सम्मान
भागवत ने पड़ोसी देशों में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचारों का जिक्र करते हुए मानवाधिकार संगठनों की चुप्पी पर सवाल उठाया। उनका कहना है कि जब तक हिंदू समाज खुद मजबूत नहीं होगा, तब तक दुनिया में कोई उनकी सुरक्षा या सम्मान की चिंता नहीं करेगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि भारत का हिंदू समाज मजबूत होगा, तो स्वाभाविक रूप से दुनिया भर के हिंदुओं को भी ताकत मिलेगी। यह ताकत केवल राजनीतिक या आर्थिक नहीं बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक मजबूती का भी प्रतीक होगी।
यह बात आज के वैश्विक परिदृश्य में बहुत प्रासंगिक है, जहां हिंदुओं को कई जगहों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भागवत की यह अपील हिंदू समाज को एकजुट होने और अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानने के लिए है।
हिंदू समाज की आंतरिक शक्ति बढ़ रही है

मोहन भागवत ने यह भी बताया कि हिंदू समाज की आंतरिक शक्ति लगातार बढ़ रही है। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचारों के खिलाफ उत्पन्न आक्रोश का उदाहरण दिया, जो अब तक पहले कभी इस तरह से सामने नहीं आया। वहां के हिंदू अब खुलकर कह रहे हैं कि वे भागेंगे नहीं बल्कि अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे।
यह बदलाव हिंदू समाज की जागरूकता और आत्मविश्वास का परिचायक है। साथ ही, RSS के संगठन का विस्तार भी इस शक्ति को और व्यापक कर रहा है। भागवत ने कहा कि जब तक यह लक्ष्य पूरी तरह हासिल नहीं हो जाता, तब तक लड़ाई जारी रखनी होगी। यह लड़ाई केवल अपने अधिकारों के लिए ही नहीं बल्कि हिंदू संस्कृति और समाज की रक्षा के लिए भी है।
हिंदू राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए काम करेंगे संघ के स्वयंसेवक
मोहन भागवत ने साफ किया कि RSS दुनिया भर के हिंदुओं के लिए हरसंभव प्रयास करेगा, लेकिन अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों का पालन करते हुए। संघ के स्वयंसेवक धर्म, संस्कृति और समाज की रक्षा करते हुए हिंदू राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए काम करेंगे।
यह विकास केवल आर्थिक या राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और शैक्षिक क्षेत्रों में होगा। संघ की यह प्रतिबद्धता हिंदू समाज को मजबूत बनाने और उसकी एकता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।












