डेंगू हर साल एक ही व्यक्ति को बार-बार हो सकता है क्योंकि इसके चार अलग-अलग स्ट्रेन हैं। किसी स्ट्रेन से इम्यूनिटी बनने के बावजूद दूसरा स्ट्रेन संक्रमित कर सकता है। विशेषज्ञों ने बताया कि इससे गंभीर स्थिति का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए डेंगू के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
Dengue: देश के कई राज्यों में डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं और कुछ लोगों को साल में एक नहीं, दो बार भी डेंगू हो रहा है। दिल्ली के जीटीबी अस्पताल के प्रोफेसर डॉ. कुलदीप कुमार के अनुसार इसका कारण डेंगू वायरस के चार अलग-अलग स्ट्रेन हैं। किसी स्ट्रेन से इम्यूनिटी बनने के बाद भी दूसरा स्ट्रेन संक्रमित कर सकता है। विशेषज्ञों ने चेताया कि बार-बार डेंगू होने पर गंभीर लक्षण हो सकते हैं, इसलिए तुरंत डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है।
डेंगू के चार स्ट्रेन हैं जिम्मेदार
डॉ. कुलदीप कुमार के अनुसार, डेंगू वायरस के चार अलग-अलग स्ट्रेन होते हैं। इन्हें DENV-1, DENV-2, DENV-3 और DENV-4 कहा जाता है। जब कोई व्यक्ति किसी एक स्ट्रेन से पहली बार संक्रमित होता है, तो उसका शरीर उसी स्ट्रेन के खिलाफ इम्यूनिटी बना लेता है। लेकिन यदि मच्छर द्वारा दूसरे स्ट्रेन का वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो व्यक्ति फिर से डेंगू का शिकार हो सकता है। उन्होंने बताया कि दोबारा संक्रमण होने पर गंभीर स्थिति का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए सावधानी आवश्यक है।
कमजोर इम्यूनिटी का सवाल
बहुत से लोग सोचते हैं कि बार-बार डेंगू होने का मतलब इम्यूनिटी कमजोर होना है। डॉ. कुलदीप ने स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं है। बार-बार डेंगू होने का संबंध मुख्य रूप से वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन से है। भले ही एक स्ट्रेन के खिलाफ इम्यूनिटी बन गई हो, लेकिन दूसरी बार कोई अलग स्ट्रेन शरीर में प्रवेश करता है, तो संक्रमण हो सकता है। दूसरी बार डेंगू होने पर हर व्यक्ति में गंभीर लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन संक्रमण की स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेना बेहद जरूरी है।
जांच और इलाज
डेंगू से संक्रमित व्यक्ति को ब्लड टेस्ट और एंटीबॉडी टेस्ट की जरूरत होती है। इससे पता चलता है कि शरीर में कौन सा स्ट्रेन सक्रिय है और कौन सा स्ट्रेन के खिलाफ इम्यूनिटी बन चुकी है। इसके आधार पर डॉक्टर उचित इलाज निर्धारित करते हैं। घरेलू उपायों या बिना जांच के इलाज करना जोखिम भरा हो सकता है।
डेंगू से बचाव के तरीके
डॉ. कुलदीप के अनुसार, डेंगू से बचाव के लिए सबसे पहला कदम है अपने आसपास खुले पानी को इकट्ठा न होने देना। मच्छर इसी पानी में पनपते हैं। इसके अलावा, यदि अचानक बुखार, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द या त्वचा पर दाने दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। डेंगू होने पर खुद से दवा लेना या घरेलू नुस्खों पर भरोसा करना सुरक्षित नहीं है।
सावधानी और सतर्कता
बार-बार डेंगू होने के मामले बताते हैं कि यह केवल मच्छर के नियंत्रण और साफ-सफाई का मुद्दा नहीं है। इसके पीछे वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन भी जिम्मेदार हैं। इसलिए व्यक्तिगत सतर्कता और समय पर चिकित्सा जांच बेहद जरूरी है। एक्सपर्ट्स ने कहा कि मरीज को लापरवाही नहीं करनी चाहिए और संक्रमण की शुरुआती अवस्था में ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
लगातार बढ़ते मामलों का कारण
देश के कई हिस्सों में बारिश के बाद पानी जमा होने से मच्छर तेजी से पनप रहे हैं। यही कारण है कि डेंगू के मामले सामान्य से अधिक दर्ज किए जा रहे हैं। इसके अलावा, लोग अक्सर शुरुआती लक्षणों की अनदेखी कर देते हैं, जिससे संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है। डॉ. कुलदीप ने कहा कि डेंगू को हल्के में लेने की बजाय इसे समय पर पहचानना और उपचार करना जरूरी है।