ISRO और NASA का संयुक्त मिशन 'निसार' आज लॉन्च होगा। यह उपग्रह पृथ्वी पर होने वाले परिवर्तनों, जलवायु, भूस्खलन और आपदाओं की निगरानी करेगा।
Satellite NISAR: भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसियों इसरो (ISRO) और नासा (NASA) के बीच तकनीकी सहयोग का नतीजा 'निसार' उपग्रह आज श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने जा रहा है। यह मिशन पृथ्वी की स्थिति, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और ग्लेशियरों के बदलावों पर बारीकी से नजर रखेगा। यह न केवल भारत-अमेरिका सहयोग का एक नया अध्याय है, बल्कि यह अंतरिक्ष विज्ञान में भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
श्रीहरिकोटा से होगा प्रक्षेपण
नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) को भारत के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से बुधवार को शाम 5:40 बजे GSLV-S16 रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाएगा। इस प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती 29 जुलाई को शुरू हो चुकी थी। रॉकेट की कुल लंबाई 51.7 मीटर है और उपग्रह का वजन लगभग 2,393 किलोग्राम है। यह उपग्रह सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun-Synchronous Polar Orbit) में भेजा जाएगा।
क्या है निसार उपग्रह
निसार यानी NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar एक उन्नत पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह है, जो दोहरी आवृत्ति (dual-frequency) रडार प्रणाली से लैस है। इसमें L-band और S-band दोनों शामिल हैं, जिससे यह दिन और रात, किसी भी मौसम में पृथ्वी की सतह की तस्वीरें लेने में सक्षम है। यह दुनिया का पहला ऐसा उपग्रह है जो इस प्रकार की दोहरी प्रणाली का उपयोग कर रहा है।
कौन-कौन से क्षेत्र होंगे कवर
इस उपग्रह का उद्देश्य पृथ्वी के बदलते स्वरूप, जैसे हिमखंडों का पिघलना, भूस्खलन, जंगलों का विस्तार या क्षरण, और भूकंप से संबंधित हलचलों को रिकॉर्ड करना है। निसार हिमालय, अंटार्कटिका और वनों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की भी सटीक निगरानी करेगा। इसकी जानकारी आपदा प्रबंधन, मौसम विज्ञान और पर्यावरण अध्ययन में अहम भूमिका निभाएगी।
GSLV के जरिए पहली बार सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा में प्रक्षेपण
आमतौर पर सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा में उपग्रहों को PSLV रॉकेट के जरिए भेजा जाता है। लेकिन पहली बार GSLV Mk II का इस्तेमाल इस प्रकार के मिशन के लिए किया जा रहा है। GSLV की क्षमता अधिक वज़न वाले उपग्रहों को ले जाने की है, और निसार जैसे भारी और जटिल उपग्रह के लिए यह आदर्श विकल्प है।
अंतरिक्ष में भारत-अमेरिका साझेदारी का प्रतीक
निसार मिशन भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते अंतरिक्ष सहयोग का प्रतीक है। इसरो और नासा ने एक दशक से अधिक समय तक तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग कर इस परियोजना को साकार किया है। निसार का निर्माण भारत और अमेरिका दोनों में हुआ है, और इसके महत्वपूर्ण हिस्सों का योगदान दोनों देशों से आया है।
आपदा प्रबंधन में मददगार
निसार उपग्रह आपदा प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यह भूकंप, बाढ़, भूस्खलन और सूखे जैसी आपदाओं का वास्तविक समय में विश्लेषण कर सकेगा। इसकी मदद से समय पर चेतावनी जारी कर जान-माल की हानि को कम किया जा सकता है।
पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर निगरानी
जलवायु परिवर्तन आज वैश्विक चिंता का विषय है। निसार का डेटा वैज्ञानिकों को धरती के जलवायु से जुड़े बदलावों की गहराई से समझ विकसित करने में मदद करेगा। जंगलों की कटाई, बर्फ की चादरों का पिघलना, और महासागरों के व्यवहार जैसे विषयों पर यह मिशन सतत निगरानी रखेगा।
निसार की विशेषताएं
- दोहरी फ्रीक्वेंसी रडार (L-band और S-band) से लैस
- दिन-रात और सभी मौसम में पृथ्वी की निगरानी
- हर 12 दिन में वैश्विक स्केल पर पृथ्वी का मानचित्रण
- 1 सेंटीमीटर तक की सतहीय गतिविधियों की पहचान करने की क्षमता