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सावन अमावस्या 2025 में करें ये 5 कार्य, मिलेगा पूर्वजों का आशीर्वाद और शिव कृपा

सावन अमावस्या 2025 में करें ये 5 कार्य, मिलेगा पूर्वजों का आशीर्वाद और शिव कृपा

हिंदू पंचांग में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है, खासकर जब यह तिथि सावन जैसे पवित्र महीने में आती है। सावन अमावस्या को पितृ तर्पण, दान, स्नान और शिव पूजन के लिए शुभ माना जाता है। यह दिन पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने और उनके आशीर्वाद को पाने के लिए सबसे उपयुक्त समय माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विशेष उपायों और पूजा-पाठ से जन्म-जन्मांतर के पाप भी नष्ट हो सकते हैं।

कब है सावन अमावस्या 2025

साल 2025 में सावन अमावस्या 24 जुलाई को पड़ रही है। यह तिथि श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या होती है, जिसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है। यह दिन हर साल हरियाली तीज से तीन दिन पहले आता है।

अमावस्या तिथि का समय

सावन अमावस्या 24 जुलाई 2025 को प्रात: 2 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर 25 जुलाई को प्रात: 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। इस दौरान किसी भी समय तर्पण, स्नान, दान और पूजा करना शुभ माना जाता है।

स्नान और दान का शुभ मुहूर्त

इस दिन सुबह स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अमावस्या पर इन मुहूर्तों में पूजा या तर्पण करना अधिक फलदायी होता है।

  • शुभ मुहूर्त: सुबह 5:38 से सुबह 7:20 तक
  • चर मुहूर्त: सुबह 10:35 से दोपहर 12:27 तक
  • लाभ मुहूर्त: दोपहर 12:27 से 2:10 तक

इन समयों में स्नान, पूजा और तर्पण करना श्रेष्ठ माना गया है।

इस बार बन रहे हैं दुर्लभ संयोग

सावन अमावस्या 2025 पर इस बार कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है, जो इसे और भी विशेष बनाता है।

  • गुरु पुष्य योग: 24 जुलाई शाम 4:43 से 25 जुलाई सुबह 5:49 तक
  • हर्षण योग: 23 जुलाई दोपहर 12:34 से 24 जुलाई सुबह 9:51 तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: 24 जुलाई को पूरे दिन
  • अमृत सिद्धि योग: 24 जुलाई शाम 4:43 से 25 जुलाई सुबह 5:49 तक

इन योगों में किया गया कोई भी धार्मिक कार्य कई गुना फलदायी होता है। विशेषकर दान, पूजन और पवित्र कार्यों का महत्व इन योगों में और भी बढ़ जाता है।

सावन अमावस्या पर कौन से कार्य पुण्यदायक माने जाते हैं

पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म

इस दिन पितरों के लिए जल तर्पण, श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन कराने की परंपरा है। मान्यता है कि इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष समाप्त होता है। कई लोग इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके तर्पण करते हैं।

पौधे लगाना और पीपल की पूजा

सावन अमावस्या पर पीपल का पौधा लगाना और उसकी पूजा करना शुभ माना जाता है। पीपल को जल अर्पित करने और दीपक जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं। साथ ही शिव-पार्वती की कृपा भी मिलती है।

 शिव पूजन और जलाभिषेक

इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, इसलिए अमावस्या पर शिवलिंग का जलाभिषेक विशेष फल देता है।

अन्न, वस्त्र और धन का दान

गरीबों को अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़, चावल और दक्षिणा दान करना इस दिन अत्यंत पुण्यदायक होता है। इससे सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।

व्रत और मौन साधना

कुछ श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं और मौन रहकर ध्यान करते हैं। यह आत्मिक शुद्धि और पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक तरीका माना गया है।

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