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सीता जन्मस्थली पुनौरा धाम में बनेगा भव्य जानकी मंदिर, भूमि पूजन के बाद शुरू हुआ निर्माण कार्य

सीता जन्मस्थली पुनौरा धाम में बनेगा भव्य जानकी मंदिर, भूमि पूजन के बाद शुरू हुआ निर्माण कार्य

बिहार के सीतामढ़ी जिले स्थित पुनौरा धाम को माता सीता की जन्मस्थली माना जाता है। अब यहां 67 एकड़ भूमि पर भव्य जानकी मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। भूमि पूजन के साथ इसका कार्य शुरू हो चुका है, जो अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर बनेगा और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा।

बिहार: माता सीता की जन्मस्थली माने जाने वाले पुनौरा धाम में भव्य जानकी मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। हाल ही में यहां विधिवत भूमि पूजन कर मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी गई। यह मंदिर करीब 67 एकड़ भूमि पर बनेगा और इसकी भव्यता अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर होगी। स्थानीय प्रशासन, श्रद्धालु और संत समाज इस ऐतिहासिक कार्य को लेकर उत्साहित हैं। माना जा रहा है कि यह मंदिर धार्मिक पर्यटन और क्षेत्रीय विकास की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगा।

पुनौरा धाम: त्रेता युग से जुड़ी आस्था की धरती

पुनौरा धाम का नाम आते ही हिन्दू धर्म में आस्था का एक गहरा भाव जागृत होता है। मान्यता है कि त्रेता युग में जब मिथिला के राजा जनक अपने क्षेत्र में अकाल की स्थिति को दूर करने हेतु यज्ञ के लिए भूमि जोत रहे थे, तभी हल की नोक से धरती फटी और वहां से एक कन्या प्रकट हुई। वही कन्या थी जानकी, जिन्हें आज हम माता सीता के नाम से जानते हैं। इसीलिए माता सीता को 'भूमिजा' कहा जाता है और इस स्थान को उनका जन्मस्थल माना गया है।

सीतामढ़ी का नामकरण भी सीता से जुड़ा

जनमान्यता है कि माता सीता के इसी स्थान पर प्रकट होने के कारण इस क्षेत्र का नाम ‘सीतामढ़ी’ पड़ा। यह नाम आज भी माता सीता के पुण्य स्मरण को जीवित रखता है। पुनौरा गांव में स्थित यह धाम आज हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुका है, जहां प्रतिवर्ष रामनवमी और विवाह पंचमी जैसे पर्वों पर भारी संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

भव्य जानकी मंदिर: राम मंदिर के बाद अगला तीर्थ

राम जन्मभूमि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण अब पूर्णता की ओर है। इसके बाद अब श्रद्धालुओं की नजर सीता जन्मभूमि पर केंद्रित हो रही है। इसी कड़ी में पुनौरा धाम में बनने वाला जानकी मंदिर आने वाले समय में देश का एक प्रमुख धार्मिक तीर्थस्थल बन सकता है। जानकी मंदिर की परिकल्पना आधुनिक स्थापत्य और वैदिक वास्तुशास्त्र के आधार पर की गई है। मंदिर निर्माण के लिए 67 एकड़ भूमि चिह्नित की गई है, जिसमें मुख्य मंदिर, सरोवर, यज्ञशाला, संग्रहालय, ध्यान केंद्र और धर्मशाला जैसी सुविधाएं भी होंगी।

स्थानीय लोगों में उत्साह, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

सीतामढ़ी में जानकी मंदिर के निर्माण से न केवल धार्मिक महत्त्व को बल मिलेगा, बल्कि यह क्षेत्र पर्यटन के नक्शे पर भी उभरेगा। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को संबल मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। स्थानीय लोगों और व्यवसायियों में इस परियोजना को लेकर भारी उत्साह है। यहां तक कि सरकारी और निजी दोनों स्तरों पर सहयोग मिलने की संभावना जताई जा रही है।

माता सीता जन्मस्थल को लेकर मान्यताएं

माता सीता के जन्मस्थान को लेकर जनकपुर (नेपाल) और पुनौरा (बिहार) के बीच ऐतिहासिक मान्यताओं का भिन्नता रही है। जनकपुर को पारंपरिक रूप से मिथिला की राजधानी माना गया है, जहां राजा जनक का महल स्थित था। जबकि पुनौरा वह स्थल है जहां धरती से माता सीता प्रकट हुई थीं। आधुनिक शोध और स्थानीय धार्मिक मान्यताओं के आधार पर पुनौरा को अब मुख्य जन्मस्थली के रूप में स्थापित करने की दिशा में प्रयास तेज हो गए हैं।

400 किमी की राम-जानकी धाम यात्रा

सीतामढ़ी के पुनौरा धाम और अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि के बीच की दूरी लगभग 400 किलोमीटर है। श्रद्धालु इस दूरी को राम-जानकी मार्ग या पथ के रूप में भी देख रहे हैं। ऐसी योजनाएं सामने आई हैं, जिनमें दोनों तीर्थस्थलों को जोड़ने वाला विशेष धार्मिक यात्रा मार्ग विकसित किया जाएगा, ताकि राम और सीता की जीवनगाथा को भक्त करीब से अनुभव कर सकें।

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