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शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे: नागपुर-गोवा को जोड़ेगा 802 KM लंबा धार्मिक महामार्ग

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे: नागपुर-गोवा को जोड़ेगा 802 KM लंबा धार्मिक महामार्ग

यह नया एक्सप्रेसवे महाराष्ट्र के तीन प्रमुख शक्तिपीठों महालक्ष्मी मंदिर (कोल्हापुर), तुलजा भवानी मंदिर (धाराशिव) और रेणुका माता मंदिर (नांदेड़) को आपस में जोड़ने का काम करेगा। इस कॉरिडोर से न केवल तीर्थयात्रियों को यात्रा में सुविधा होगी, बल्कि धार्मिक पर्यटन को भी नया बढ़ावा मिलेगा।

महाराष्ट्र में तीर्थयात्रियों और यात्रियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। नागपुर से गोवा को जोड़ने वाले शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे परियोजना को राज्य सरकार की मंजूरी मिल चुकी है। यह एक्सप्रेसवे न केवल दो प्रमुख शहरों को जोड़ने का काम करेगा, बल्कि यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक गलियारा भी साबित होगा, जो राज्य के 18 प्रमुख तीर्थ स्थलों को आपस में जोड़ेगा। परियोजना को लेकर उत्साह का माहौल है, क्योंकि इसके पूरा होने पर नागपुर से गोवा की यात्रा का समय 18 घंटे से घटकर मात्र 8 घंटे रह जाएगा।

क्या है शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे

शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे, जिसे अब आधिकारिक रूप से महाराष्ट्र शक्तिपीठ महामार्ग के नाम से जाना जाएगा, कुल 802 किलोमीटर लंबा हाई-स्पीड कॉरिडोर होगा। यह वर्धा जिले के पवनार गांव से शुरू होकर सिंधुदुर्ग जिले के पतरादेवी तक जाएगा, जो महाराष्ट्र और गोवा की सीमा के समीप स्थित है। यह एक्सप्रेसवे महाराष्ट्र के 11 जिलों से होकर गुजरेगा और तीन शक्तिपीठों, दो ज्योतिर्लिंगों, साथ ही पंढरपुर और अंबाजोगाई जैसे प्रमुख धार्मिक केंद्रों को एक साथ जोड़ेगा।

जिन धार्मिक स्थलों को जोड़ेगा एक्सप्रेसवे

  • महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर
  • तुलजा भवानी मंदिर, धाराशिव
  • रेणुका माता शक्तिपीठ, नांदेड़
  • पंढरपुर मंदिर, सोलापुर
  • अंबाजोगाई मंदिर, बीड
  • औंढा नागनाथ ज्योतिर्लिंग, हिंगोली
  • पारली वैजनाथ ज्योतिर्लिंग, बीड

इन तीर्थस्थलों को जोड़ने से यह मार्ग न केवल एक साधारण सड़क परियोजना रह जाएगी, बल्कि यह पूरे महाराष्ट्र को एक आध्यात्मिक धरोहर के रूप में एकजुट करेगा।

कितना होगा खर्च और किस तरह होगा क्रियान्वयन

राज्य सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के भूमि अधिग्रहण के लिए 20,787 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए हैं। पूरे एक्सप्रेसवे के निर्माण में लगभग 80,000 करोड़ रुपये तक खर्च होने का अनुमान है। इसका क्रियान्वयन राज्य द्वारा संचालित बुनियादी ढांचा निगम के माध्यम से किया जाएगा, जबकि भूमि अधिग्रहण और योजना तैयार करने की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग (PWD) को सौंपी गई है।

भूमि अधिग्रहण की स्थिति और किसान विरोध

इस परियोजना के लिए कुल 8,419 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है, जिसमें से करीब 8,100 हेक्टेयर भूमि निजी किसानों की है। विशेषकर कोल्हापुर और इसके आसपास के इलाकों में गन्ना बेल्ट से जुड़े किसानों ने इस परियोजना का विरोध किया था। किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार ने मुआवजे की नीति में संशोधन की योजना बनाई है ताकि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ़ सके।

क्यों है यह एक्सप्रेसवे विशेष

  • यह केवल यातायात के लिहाज से ही नहीं, बल्कि धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देगा
  • इससे विदर्भ, मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के अलग-अलग सांस्कृतिक क्षेत्रों के बीच सीधा संपर्क बनेगा
  • यह एक्सप्रेसवे राज्य के ग्रामीण इलाकों को भी आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद करेगा
  • बड़ी संख्या में धार्मिक और घरेलू पर्यटकों को यात्रा में सहूलियत मिलेगी
  • गोवा और नागपुर के बीच वाणिज्यिक गतिविधियां और व्यापार भी तेजी से बढ़ेगा

क्या होंगे अन्य लाभ

  • पर्यटन को मिलेगा बल:  प्रमुख तीर्थ स्थल जुड़ने से महाराष्ट्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इससे स्थानीय लोगों को रोज़गार के नए अवसर मिलेंगे।
  • सड़क सुरक्षा और गुणवत्ता में सुधार: हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे आधुनिक तकनीक से बनाया जाएगा, जिससे यातायात सुगम और सुरक्षित रहेगा।
  • व्यापारिक परिवहन की सुविधा: नागपुर से गोवा तक सामान की ढुलाई आसान हो जाएगी, जिससे ट्रांसपोर्ट कंपनियों का समय और ईंधन बचेगा।
  • स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल: छोटे शहरों और गांवों में होटल, ढाबा, पेट्रोल पंप, सेवा केंद्र जैसे सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा।

भविष्य की दिशा और चुनौतियां

हालांकि यह परियोजना बहुत संभावनाओं से भरी हुई है, लेकिन इसमें कुछ प्रमुख चुनौतियां भी हैं

  • भूमि अधिग्रहण से जुड़ी संवेदनशीलताएं
  • प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव
  • राजनीतिक और सामाजिक असहमति
  • बजट प्रबंधन और समय पर परियोजना पूरी करने की चुनौती

सरकार ने इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए समन्वित विकास योजना बनाने की बात कही है, जिसमें पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ स्थानीय लोगों की सहमति भी प्रमुख होगी।

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