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शापूरजी पालोनजी ग्रुप पर कर्ज का दबाव, दिसंबर तक चुकाने हैं 1.2 अरब डॉलर

शापूरजी पालोनजी ग्रुप पर कर्ज का दबाव, दिसंबर तक चुकाने हैं 1.2 अरब डॉलर

शापूरजी पालोनजी ग्रुप को दिसंबर तक लगभग 1.2 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है। इसके लिए समूह ने टाटा संस में अपनी 18% हिस्सेदारी गिरवी रखी है, लेकिन नकदी जुटाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि टाटा संस अनलिस्टेड कंपनी है और शेयर बेचने के लिए टाटा ग्रुप की मंजूरी जरूरी है।

Shapoorji Pallonji Group: शापूरजी पालोनजी ग्रुप को दिसंबर 2025 तक लगभग 1.2 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है, जो समूह के लिए गंभीर वित्तीय चुनौती है। कर्ज चुकाने के लिए इसने टाटा संस में अपनी 18% हिस्सेदारी गिरवी रखी है, लेकिन चूंकि टाटा संस एक अनलिस्टेड कंपनी है, शेयरों को नकदी में बदलने के लिए टाटा ग्रुप की मंजूरी आवश्यक है। इसके अलावा, कुल कर्ज 55,000-60,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जिसमें 25,000-30,000 करोड़ रुपये सिर्फ प्रमोटर परिवार पर हैं। वित्तीय दबाव और टाटा ग्रुप की प्रतिक्रिया न मिलने के कारण समूह की आर्थिक स्थिति और जटिल होती जा रही है।

पुराने कर्ज का रीफाइनेंसिंग

सूत्रों के अनुसार, शापूरजी पालोनजी ग्रुप ने पहले लगभग 3.2 अरब डॉलर के पुराने कर्ज की रीफाइनेंसिंग की थी। इसका मतलब यह है कि पुराने कर्ज का भुगतान करने के लिए नया कर्ज लिया गया। अब इसे महज दो महीने के भीतर इंटरेस्ट समेत प्रिंसिपल अमाउंट का भुगतान करना होगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि SP ग्रुप पर कुल 55,000 से 60,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसमें से 25,000-30,000 करोड़ रुपये का कर्ज प्रमोटर मिस्त्री फैमिली पर ही है।

टाटा संस में हिस्सेदारी का मुद्दा

कर्ज चुकाने के लिए शापूरजी पालोनजी ग्रुप ने टाटा संस में अपनी 18 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी को गिरवी रखा है। हालांकि, टाटा संस के शेयरों को नकदी में बदलना आसान नहीं है। टाटा संस एक अनलिस्टेड कंपनी है, इसलिए टाटा ग्रुप की मंजूरी के बिना शेयर खरीदे या बेचे नहीं जा सकते। इस वजह से कर्जदाता अपने एसेट्स मॉनिटाइजेशन प्लान पर अधिक राहत की मांग कर सकते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में SP ग्रुप के लिए अपनी हिस्सेदारी बेचकर कर्ज चुकाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा, अभी तक टाटा ग्रुप की ओर से SP ग्रुप की आशिंक या पूरी हिस्सेदारी की खरीद को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है।

टाटा ग्रुप और SP ग्रुप की बातचीत

टाटा संस के साथ SP ग्रुप की बातचीत फिलहाल जटिल बनी हुई है। टाटा ग्रुप की मंजूरी के बिना शेयरों का कोई भी लेन-देन संभव नहीं है। इसलिए कर्ज चुकाने की प्रक्रिया में देरी होने का खतरा बना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि टाटा संस में हिस्सेदारी बेचने के लिए SP ग्रुप को टाटा ग्रुप के साथ सहमति बनानी होगी, जो प्रक्रिया को लंबा खींच सकती है।

कर्ज चुकाने का दबाव

दिसंबर तक 1.2 अरब डॉलर का भुगतान करना समूह के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। शापूरजी पालोनजी ग्रुप को अपने टाटा संस शेयरों के अलावा अन्य संपत्तियों से भी पैसा जुटाना पड़ सकता है। वित्तीय विश्लेषकों का कहना है कि अगर समय पर कर्ज का भुगतान नहीं हुआ तो इससे समूह की वित्तीय स्थिति और खराब हो सकती है।

गौरतलब है कि SP ग्रुप की वित्तीय चुनौतियां नई नहीं हैं। पिछले कुछ वर्षों में समूह ने बड़े-बड़े कर्ज लिए और उनका प्रबंधन करना मुश्किल साबित हुआ। अब आने वाले दो महीनों में इंटरेस्ट और प्रिंसिपल राशि का भुगतान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

समूह की वर्तमान स्थिति

शापूरजी पालोनजी ग्रुप की वित्तीय स्थिति वर्तमान में तनावपूर्ण है। पुराने कर्ज की रीफाइनेंसिंग और नए कर्ज का दबाव समूह की क्षमता पर सवाल खड़ा कर रहा है। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समूह दिसंबर तक कर्ज का भुगतान करने में असफल रहा तो इससे समूह की प्रतिष्ठा पर भी असर पड़ सकता है।

समूह के सामने यह चुनौती है कि वह समय पर इंटरेस्ट और प्रिंसिपल अमाउंट का भुगतान कर सके और साथ ही टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी के विकल्प को भी संभाले।

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