AXIOM-4 मिशन पर गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का ड्रैगन कैप्सूल धरती की ओर लौट रहा है। यह 28,000 किमी/घंटे की रफ्तार से फ्लोरिडा तट के पास अटलांटिक महासागर में लैंड करेगा।
Axiom-4 मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट इस समय अंतरिक्ष से धरती की ओर तेजी से बढ़ रहा है। यह स्पेसक्राफ्ट करीब 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी के वायुमंडल की ओर बढ़ रहा है। लगभग 18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर बिताने के बाद अब यह मिशन अपने अंतिम और सबसे अहम चरण में पहुंच चुका है।
भारत को गौरव देने वाला क्षण
शुभांशु शुक्ला की वापसी को लेकर भारत में उत्साह चरम पर है। भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान में यह एक ऐतिहासिक पल है, जब एक भारतीय वैज्ञानिक अंतरिक्ष से सुरक्षित लौट रहे हैं। उनके परिवार के साथ-साथ पूरा देश इस गौरवपूर्ण क्षण का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
कंट्रोल सेंटर की नजरें हर पल पर
NASA और SpaceX के कंट्रोल सेंटर लगातार ड्रैगन कैप्सूल की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। AXIOM-4 मिशन की यह वापसी बेहद संवेदनशील मानी जा रही है क्योंकि अंतरिक्ष से धरती पर वापसी का हर चरण तकनीकी और मौसम की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण होता है।
तकनीकी दिक्कतों ने बढ़ाई चिंताएं
इस मिशन की शुरुआत में ही कई तकनीकी चुनौतियां सामने आई थीं। Falcon 9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन लीक की समस्या आई। इसके बाद ड्रैगन कैप्सूल के सिस्टम में भी खामी देखने को मिली। हालांकि इंजीनियरों ने तुरंत सुधार कर मिशन को आगे बढ़ाया। इसके साथ-साथ मौसम भी मिशन के रास्ते में रुकावट बनता रहा।
कोलंबिया हादसे की याद और मौजूदा सतर्कता
इस तरह की स्थितियों में 2003 की स्पेस शटल कोलंबिया दुर्घटना की याद ताजा हो जाती है, जिसमें मिशन के पूरा होने से महज 15 मिनट पहले बड़ा हादसा हो गया था। इसी वजह से AXIOM-4 की वापसी को लेकर पूरी सतर्कता बरती जा रही है।
सुरक्षित वापसी के लिए तय किया गया लैंडिंग पॉइंट
AXIOM-4 मिशन का ड्रैगन कैप्सूल फ्लोरिडा के तट के पास अटलांटिक महासागर में उतरेगा। इसे "सॉफ्ट स्प्लैशडाउन" कहा जाता है। यानी कैप्सूल पानी की सतह पर धीमी रफ्तार से आकर गिरेगा। इस दौरान पैराशूट सिस्टम कैप्सूल की गति को नियंत्रित करेगा और क्रू की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
मौसम से जुड़ी संभावित परेशानियां
European Space Agency और NASA दोनों ही इस समय मौसम की स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। अगर तेज हवाएं, तूफान या भारी बारिश लैंडिंग क्षेत्र में होती हैं, तो स्प्लैशडाउन में देरी हो सकती है या वैकल्पिक स्थान चुना जा सकता है।
कैप्सूल की संरचना और सुरक्षा तंत्र
ड्रैगन कैप्सूल की बाहरी सतह पर विशेष हीट शील्ड लगी होती है, जो वायुमंडल में प्रवेश करते समय 2000 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन करने में सक्षम है। यह प्रणाली कैप्सूल को जलने या टूटने से बचाती है। जैसे-जैसे यह धरती के करीब आता है, इसकी रफ्तार नियंत्रित रूप से घटाई जाती है।