सावन का महीना भगवान शिव की पूजा और भक्ति के लिए तो प्रसिद्ध है ही, लेकिन कम लोग जानते हैं कि इस मास में चंद्रमा की पूजा भी उतनी ही फलदायी मानी जाती है। खासकर जब शिवशंकर के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाए, तो यह केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि गहरे आध्यात्मिक और ज्योतिषीय प्रभावों से जुड़ा हुआ यज्ञ बन जाता है।
चंद्रमा को सावन में विशेष दिनों पर अर्घ्य देने की परंपरा न केवल पुरानी है, बल्कि इसके पीछे छिपा विज्ञान और भावनात्मक संतुलन का रहस्य आज भी लोगों को चमत्कृत करता है।
चंद्रमा क्यों हैं भावनाओं और भाग्य के कारक
भारतीय ज्योतिष में चंद्रमा को मन का स्वामी माना गया है। जन्म कुंडली में यदि चंद्रमा मज़बूत हो, तो व्यक्ति का मन शांत, संतुलित और कल्पनाशील होता है। वहीं, यदि चंद्रमा कमजोर हो, तो चिंता, भ्रम, अनिद्रा और जीवन में असंतुलन जैसे असर दिखते हैं।
ऐसे में चंद्रमा को जल से अर्घ्य देने की प्रक्रिया, केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन की ओर बढ़ा हुआ एक वैज्ञानिक कदम बन जाता है। विशेषकर सावन की उस ठंडी हवा और नमी भरी रातों में जब चंद्रमा पूर्ण रूप से चमकता है, तब उसका प्रभाव और भी ज्यादा प्रबल हो जाता है।
चंद्र अर्घ्य का महत्व सावन में बढ़ क्यों जाता है
सावन का महीना शिवभक्ति के लिए समर्पित होता है। भगवान शिव के मस्तक पर चंद्रमा विराजमान होते हैं, इसलिए इस महीने चंद्रमा को अर्घ्य देना, शिव की कृपा पाने का एक अप्रत्यक्ष लेकिन शक्तिशाली उपाय माना जाता है।
इसके अलावा, सावन की प्रकृति – हरियाली, वर्षा, ठंडक – चंद्रमा की ऊर्जा के साथ विशेष तालमेल बनाती है। मान्यता है कि इन दिनों चंद्रमा की किरणें पृथ्वी पर विशेष प्रकार की शांत और सुखद ऊर्जा पहुंचाती हैं। इस ऊर्जा को अर्घ्य के माध्यम से ग्रहण करने से मानसिक संतुलन, धन लाभ, और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
कैसे करें सावन में चंद्रमा को अर्घ्य
- सामग्री जोड़ी जाती है विशेष प्रभाव के लिए
- तांबे या चांदी का लोटा
- शुद्ध जल
- थोड़ा कच्चा दूध
- सफेद चावल
- मिश्री
- सफेद फूल (जैसे चमेली या सफेद गुलाब)
इन सभी चीजों को मिलाकर चंद्रमा को अर्पित करना एक संपूर्ण प्रक्रिया मानी जाती है।
शुभ समय और दिशा
संध्या के समय, जब चंद्रमा आकाश में पूरी तरह दिखने लगे, उसी समय अर्घ्य देना सर्वोत्तम होता है। उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके अर्घ्य देना विशेष फलदायक माना गया है।
जप और भावना
अर्घ्य देते समय निम्न मंत्रों का जप करें
ॐ चंद्राय नमः
ॐ सों सोमाय नमः
इन मंत्रों के साथ मन की शांति, पारिवारिक सुख, रोग मुक्ति, या धन लाभ जैसी इच्छाओं को मन ही मन दोहराना चाहिए। माना जाता है कि चंद्रमा से जुड़ी भावनाएं जितनी शुद्ध होंगी, उतना ही अर्घ्य प्रभावशाली होता है।
कौन सी तिथियां हैं सबसे असरदार
सावन माह में हर सोमवार, रक्षाबंधन से पहले की रात, श्रावणी पूर्णिमा और अमावस्या की रातें विशेष मानी जाती हैं। इन दिनों यदि व्यक्ति चंद्र अर्घ्य देता है, तो उसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
सावन सोमवार का दिन तो शिव की आराधना के लिए वैसे ही सबसे खास होता है, लेकिन रात के समय चंद्र अर्घ्य करने से शिव और चंद्रमा दोनों की कृपा एक साथ मिलती है।
चंद्रमा की रोशनी में छिपा है मानसिक शांति का रहस्य
आधुनिक विज्ञान भी यह मानता है कि चंद्रमा की किरणें विशेष कंपन उत्पन्न करती हैं जो मस्तिष्क की तरंगों पर असर डालती हैं। अर्घ्य देने के समय जब व्यक्ति मानसिक रूप से केंद्रित होकर मंत्रों का जाप करता है, तो वह न केवल अपने चेतन मन बल्कि अवचेतन को भी प्रभावित करता है।
यही कारण है कि सावन में चंद्र अर्घ्य केवल पूजा नहीं, बल्कि मन की साधना बन जाता है। यही साधना व्यक्ति को नकारात्मकता से मुक्त करके उसे नई दिशा की ओर ले जाती है।