महाराष्ट्र की राजनीति में एक अनौपचारिक मुलाकात ने नई हलचल पैदा कर दी है। विधान भवन परिसर में मानसून सत्र के दौरान शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता प्रवीण दरेकर की टकराहट भर मुलाकात अब सियासी गलियारों में गर्म मुद्दा बन गई है। भले ही यह बातचीत हंसी-मजाक के माहौल में हुई हो, लेकिन इसके संकेत गहरे राजनीतिक मायने रख रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे ने मुस्कुराते हुए प्रवीण दरेकर से कहा, आइए, फिर से साथ आएं। इस पर दरेकर ने भी उसी अंदाज में जवाब देते हुए माहौल को हल्का बनाए रखा। हालांकि दोनों नेताओं की इस संक्षिप्त बातचीत को केवल शिष्टाचार तक सीमित नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे भविष्य के संभावित गठजोड़ की भूमिका के रूप में देखा जा रहा है।
उद्धव ने दिया पार्टी में वापसी का न्योता
इस मुलाकात के दौरान प्रवीण दरेकर ने खुद को शिवसेना संस्थापक बाळासाहेब ठाकरे का 100 प्रतिशत सच्चा शिवसैनिक" बताया और अपनी निष्ठा पर सवाल उठाए जाने को खारिज कर दिया। इस पर उद्धव ठाकरे ने भी चुटकी लेते हुए उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा की सहयोगी शिवसेना पर निशाना साधा।
ठाकरे ने कहा, तो फिर उन फर्जी शिवसैनिकों से भी कहिए कि वे ईमानदार रहें। अगर आप सच में मराठी भाषी लोगों के लिए काम कर रहे हैं, तो हम साथ काम कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको शिवसेना में वापस आना होगा। इस पर दरेकर ने हंसते हुए जवाब दिया, ज़रूर आइए, हम सब एक बार फिर साथ आएं।
बातचीत अनौपचारिक जरूर थी, लेकिन उसके बाद जो चर्चाएं तेज़ हुईं, उन्होंने साफ कर दिया कि इस मुलाकात को केवल एक सामान्य राजनीतिक संवाद मानना गलत होगा।
कभी शिवसेना में थे दरेकर
प्रवीण दरेकर का राजनीतिक सफर भी कम दिलचस्प नहीं रहा है। एक समय था जब वे उद्धव ठाकरे के करीबी माने जाते थे और शिवसेना का अहम हिस्सा थे। लेकिन 2005 में उन्होंने पार्टी से नाता तोड़कर राज ठाकरे की नवगठित महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का दामन थाम लिया।
2009 में उन्होंने मनसे के टिकट पर मगठाणे विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन 2014 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस हार के एक साल बाद ही उन्होंने मनसे छोड़ दी और भाजपा में शामिल होकर अपनी नई राजनीतिक पारी की शुरुआत की। पिछले करीब 10 वर्षों से दरेकर भाजपा में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और वर्तमान में विधान परिषद सदस्य हैं।
हाल ही में उन्होंने स्व-पुनर्विकास परियोजना अध्ययन समूह की रिपोर्ट उद्धव ठाकरे को सौंपी। इस पर उद्धव ने कहा, अगर आपकी कोशिशें सच्ची हैं, तो मैं आपसे बात करने के लिए हमेशा तैयार हूं। इस बयान को पुराने रिश्तों की गर्माहट के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है।
क्या होगी सियासी वापसी
दरेकर की मुलाकात, उनके बयानों और उद्धव ठाकरे की प्रतिक्रिया के बाद सियासी गलियारों में ये सवाल तेजी से उठ रहा है—क्या प्रवीण दरेकर एक बार फिर शिवसेना में वापसी कर सकते हैं? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा हालात और दरेकर के संकेत इसकी संभावना को नकारते नहीं हैं।
भाजपा और शिंदे गुट की मौजूदा समीकरणों के बीच, अगर दरेकर जैसे पुराने शिवसैनिक की वापसी होती है, तो यह उद्धव ठाकरे के लिए एक मजबूत राजनीतिक संदेश होगा। साथ ही मराठी अस्मिता और शिवसैनिक पहचान के मुद्दे पर भी शिवसेना (उबाठा) को मजबूती मिलेगी।
फिलहाल दोनों नेताओं की ओर से इस मुलाकात को लेकर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक हलचलों और चर्चाओं का दौर तेजी से जारी है। आने वाले दिनों में अगर दरेकर का रुख बदलता है, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।