कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने सोमवार को ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर बयान दिया है। उन्होंने इसे सुनियोजित दुस्साहस, न्याय का उपहास और राष्ट्रीय मूल्यों के साथ विश्वासघात करार देते हुए इसके खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
नई दिल्ली: कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने सोमवार को कहा कि ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट एक सुनियोजित दुस्साहस, न्याय का उपहास और राष्ट्रीय मूल्यों के साथ विश्वासघात है। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए। सोनिया गांधी ने अंग्रेजी दैनिक ‘द हिंदू’ के लिए लिखे एक लेख में यह भी बताया कि जब कुछ जनजातियों का अस्तित्व ही दांव पर हो, तो देश की सामूहिक अंतरात्मा चुप नहीं रह सकती। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक अत्यंत स्पेसिफिक इकोसिस्टम का इतने बड़े पैमाने पर विनाश नहीं होने दिया जा सकता।
सोनिया गांधी की प्रतिक्रिया
सोनिया गांधी ने अंग्रेजी दैनिक ‘द हिंदू’ में लिखे अपने लेख में कहा कि जब कुछ जनजातियों का अस्तित्व ही दांव पर हो, तो देश की सामूहिक अंतरात्मा चुप नहीं रह सकती। उन्होंने कहा कि अत्यंत संवेदनशील और अनोखे इकोसिस्टम का बड़े पैमाने पर विनाश नहीं होने दिया जा सकता। सोनिया ने आरोप लगाया कि ग्रेट निकोबार मेगा-इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, जिसकी लागत 72,000 करोड़ रुपये है, द्वीप के मूल आदिवासी समुदायों के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर रहा है। यह परियोजना प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील द्वीप पर असंगठित और असंवेदनशील ढंग से आगे बढ़ाई जा रही है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोनिया गांधी के लेख को सोशल मीडिया पर साझा किया। राहुल गांधी ने कहा कि यह लेख इस परियोजना के माध्यम से निकोबार के लोगों और वहां की इकोसिस्टम के साथ हो रहे अन्याय को उजागर करता है। सोनिया गांधी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में इस परियोजना के लिए अधूरी और गलत नीतियां बनाई गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि परियोजना के चलते निकोबारी और शोम्पेन जनजातियों को विस्थापित किया जा रहा है।
सोनिया गांधी ने कहा- 'आदिवासी समुदायों पर खतरा'
ग्रेट निकोबार द्वीप दो मूल समुदायों का घर है: निकोबारी जनजाति और शोम्पेन जनजाति। परियोजना के प्रस्तावित भू-क्षेत्र में निकोबारी आदिवासियों के पैतृक गांव आते हैं। 2004 में आई हिंद महासागर सुनामी के दौरान निकोबारी लोगों को अपने गांव छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। सोनिया गांधी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट स्थायी रूप से समुदायों को विस्थापित कर देगा और उनके पैतृक गांवों में लौटने का सपना अधूरा रह जाएगा।
शोम्पेन जनजाति के निवास वाले फॉरेस्ट इकोसिस्टम को नष्ट करने से उनकी सामाजिक और आर्थिक पहचान खतरे में पड़ सकती है। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार स्थापित नियामक सुरक्षा उपायों और उचित प्रक्रियाओं की अवहेलना कर रही है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 के तहत निकोबारी और शोम्पेन जनजातियों को हितधारक के रूप में शामिल किया जाना चाहिए था।