चुनाव आयोग ने मंगलवार से देश के 12 राज्यों में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया शुरू की है। इस पहल का उद्देश्य आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूची को अपडेट और सटीक बनाना है।
नई दिल्ली: भारत के चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने मंगलवार को 12 राज्यों में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (Special Intensive Revision - SIR) की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस कदम का उद्देश्य मतदाता सूची को अपडेट करना और फर्जी नामों को हटाना बताया गया है। हालांकि, यह प्रक्रिया पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में तीव्र राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गई है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस रिवीजन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग की नीयत पर संदेह जताया है। दोनों राज्यों की सत्तारूढ़ पार्टियों — तृणमूल कांग्रेस (TMC) और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) — ने आरोप लगाया कि आयोग भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दबाव में काम कर रहा है।
बंगाल में TMC का तीखा विरोध
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने SIR के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी मतदाता सूची के अपडेट के खिलाफ नहीं है, लेकिन “इसकी समयसीमा और उद्देश्य संदिग्ध हैं। अभिषेक बनर्जी ने सवाल उठाया,
'अगर वोटर लिस्ट से घुसपैठियों के नाम हटाना ही मकसद है, तो असम, त्रिपुरा या मणिपुर जैसे सीमावर्ती राज्यों में, जहां बीजेपी की सरकार है, वहां SIR क्यों नहीं किया जा रहा?'
उन्होंने कहा कि जब पिछली बार यह प्रक्रिया चली थी, तब इसे पूरा होने में दो साल लगे थे, “अब चुनाव आयोग इसे दो महीने में कैसे निपटा सकता है?” उन्होंने चेतावनी दी कि यदि “एक भी असली वोटर” का नाम सूची से हटाया गया, तो “तृणमूल कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ता चुनाव आयोग की नाक में दम कर देंगे।

बीजेपी का पलटवार
TMC के आरोपों पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। केंद्रीय मंत्री और बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने अभिषेक बनर्जी के बयानों को “चुनाव आयोग पर हमला” बताया। मजूमदार ने कहा, अभिषेक बनर्जी ने चीफ इलेक्शन कमिश्नर पर बेबुनियाद आरोप लगाए हैं। वे इसलिए बौखलाए हुए हैं क्योंकि SIR के जरिए बंगाल की मतदाता सूची से फर्जी वोटरों को हटाया जाएगा। तृणमूल कांग्रेस ने वर्षों से घुसपैठियों को शरण दी है और उन्हें वोटर लिस्ट में शामिल किया है। बीजेपी ने चुनाव आयोग से अभिषेक बनर्जी के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है।
तमिलनाडु में भी विरोध की लहर
SIR प्रक्रिया का विरोध तमिलनाडु में भी तेज हो गया है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इसे “लोकतंत्र के खिलाफ कदम” बताया है। उन्होंने कहा कि DMK और उसके गठबंधन सहयोगी 2 नवंबर को चेन्नई में एक विशाल रैली आयोजित करेंगे और पूरे तमिलनाडु में SIR के खिलाफ प्रदर्शन (Protests) किए जाएंगे। महाबलीपुरम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए स्टालिन ने कहा,
'बीजेपी का तमिलनाडु में कोई वोट बेस नहीं है, इसलिए वह AIADMK के सहारे बैकडोर से चुनाव जीतने का सपना देख रही है। यह रिवीजन प्रक्रिया उसी साजिश का हिस्सा है।'
उन्होंने दावा किया कि SIR के जरिये दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के वोटर नाम काटे जा रहे हैं ताकि बीजेपी और AIADMK को फायदा मिले। स्टालिन ने कहा कि DMK ने पहले ही आयोग से इस प्रक्रिया को स्थगित करने की मांग की थी, लेकिन “आयोग ने कोई सुनवाई नहीं की।”
AIADMK का समर्थन
वहीं, तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी AIADMK ने SIR प्रक्रिया का स्वागत किया है। पार्टी के प्रवक्ता कोवई साथ्यन ने कहा कि DMK को डर है कि “वोटर लिस्ट से फर्जी वोटरों के नाम हट जाएंगे। उन्होंने कहा, कोर्ट ने भी कहा है कि मतदाता सूची से नकली नामों को हटाया जाना चाहिए। DMK लंबे समय से बोगस वोटर्स के सहारे चुनाव जीतती आई है। अब जब SIR शुरू हुआ है, तो वे डर गए हैं।












