दिल्ली नगर निगम के 12 वार्डों में उपचुनाव 6 नवंबर को होगा। भाजपा अपने पुराने नौ वार्डों को बनाए रखने और तीन में जीत दर्ज करने की कोशिश कर रही है, जबकि AAP भी जीत का दावा कर रही है। यह चुनाव नई नीतियों और विकास कार्यों का मतदाताओं पर प्रभाव परखने का पहला मौका है।
Delhi MCD Byelections: दिल्ली नगर निगम के 12 वार्डों में उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है। इस कदम से राजधानी में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। भाजपा और आम आदमी पार्टी (AAP) दोनों ही जीत का दावा कर रहे हैं। यह चुनाव दोनों पार्टियों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पिछले आठ महीने में दिल्ली में लागू नई नीतियों और विकास कार्यों का मतदाताओं पर प्रभाव परखने का पहला अवसर है।
भाजपा के लिए चुनाव की महत्वता
भाजपा के लिए यह उपचुनाव विशेष महत्व रखता है। 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता हासिल करने के बाद यह उसकी पहली चुनावी परीक्षा है। पार्टी अपने पुराने कब्जे वाले वार्डों को बनाए रखने के साथ ही अन्य तीन वार्डों में जीत दर्ज करने का प्रयास कर रही है। इसके लिए भाजपा ने रणनीति बनाई है जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार के कामकाज के मुकाबले अपनी उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाना शामिल है।
रिक्त हुए वार्ड
इन 12 वार्डों में से नौ वार्डों पर भाजपा का और तीन पर आप का कब्जा था। पिछले वर्ष मई में पश्चिमी दिल्ली से सांसद चुने जाने के बाद कमलजीत सहरावत के द्वारका बी वार्ड में कोई पार्षद नहीं है। फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में आठ पार्षदों ने जीत हासिल की थी, जिससे उनके वार्ड रिक्त हो गए। आप के तीन पार्षदों के विधानसभा पहुंचने से तीन वार्डों में उपचुनाव की स्थिति बनी।

भाजपा की रणनीति
भाजपा का प्रयास अपने कब्जे वाले नौ वार्डों को बनाए रखने और अन्य तीन वार्डों में जीत हासिल करने का है। इसके लिए पार्टी ने विशेष रणनीति तैयार की है। भाजपा नेताओं का मानना है कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सरकार के आठ महीने के कामकाज का लाभ उन्हें उपचुनाव में मिलेगा। संबंधित वार्डों में यमुना नदी की सफाई, छठ पूजा के आयोजन, प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना और अन्य विकास कार्यों को जनता तक पहुंचाकर वोट मांगे जा रहे हैं।
आप का दावा
AAP ने भी उपचुनाव में जीत का दावा किया है। पार्टी का कहना है कि दिल्लीवासियों ने पिछले आठ महीने में उनकी नीतियों और जन कल्याण कार्यक्रमों को देखा है और इसके आधार पर मतदाता उन्हें समर्थन देंगे। इस चुनाव में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है।
भाजपा के पुराने कब्जे वाले वार्ड
भाजपा के पास इन वार्डों में पहले से जीत दर्ज थी। इनमें शालीमार बाग, द्वारका बी, ग्रेटर कैलाश, ढिचाऊं कलां, नारायणा, संगम विहार, विनोद नगर, अशोक विहार और मुंडका शामिल हैं। इन वार्डों में अब तक भाजपा के पार्षद विधानसभा या संसद में चुने जा चुके हैं, जिससे रिक्त सीटों पर उपचुनाव की स्थिति बनी।
AAP के पास चांदनी महल, चांदनी चौक और दक्षिणपुरी वार्डों में पहले से जीत थी। इन वार्डों में अब उपचुनाव होगा क्योंकि पार्टी के पार्षद विधानसभा चुनाव जीतने के बाद पद छोड़ चुके हैं।













