अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी की बातचीत के बाद नए राजदूत सर्जियो गोर भारत पहुंचे। यह यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों में नई दिशा तय कर सकती है, खासकर रक्षा, व्यापार और इंडो-पैसिफिक रणनीति को लेकर।
India-US: अमेरिका और भारत के बीच कूटनीतिक रिश्तों में नई हलचल देखने को मिल रही है। एक ओर जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से बातचीत की, वहीं दूसरी ओर अमेरिका के नवनियुक्त राजदूत सर्जियो गोर (Sergio Gor) गुरुवार को भारत पहुंचे। इस यात्रा को भारत-अमेरिका संबंधों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह ऐसे समय पर हो रही है जब दोनों देशों के बीच रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को लेकर नए समीकरण बन रहे हैं।
भारत दौरे पर पहुंचे सर्जियो गोर
सर्जियो गोर ने अभी आधिकारिक तौर पर भारत में अमेरिकी राजदूत का कार्यभार नहीं संभाला है, लेकिन इससे पहले ही वह भारत के संक्षिप्त दौरे पर आ चुके हैं। गोर के साथ ट्रंप प्रशासन में मैनेजमेंट एंड रिसोर्स (Management & Resources) विभाग के उप सचिव माइकल जे. रिगास भी भारत पहुंचे हैं। दोनों अधिकारी 9 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक भारत में रहेंगे।
इस दौरान वे भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे और द्विपक्षीय संबंधों (bilateral relations) के अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस दौरे का मकसद भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी (strategic partnership) को और मजबूत बनाना है।
ट्रंप-मोदी बातचीत और गोर की यात्रा का समय बेहद अहम
गोर की भारत यात्रा उसी दिन शुरू हुई जब प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत हुई। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने व्यापारिक सहयोग (trade cooperation), रक्षा साझेदारी (defense partnership) और हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific region) में स्थिरता जैसे मुद्दों पर चर्चा की। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच “व्यापार वार्ता में अच्छी प्रगति” हुई है।
ट्रंप के करीबी माने जाते हैं सर्जियो गोर
सर्जियो गोर राष्ट्रपति ट्रंप के सबसे भरोसेमंद और करीबी सहयोगियों में गिने जाते हैं। उन्हें भारत का राजदूत नियुक्त करने के साथ ही अमेरिका ने उन्हें दक्षिण और मध्य एशिया (South & Central Asia) का दूत भी बनाया है। इसका मतलब है कि गोर न केवल भारत बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अमेरिकी नीतियों के तालमेल के लिए जिम्मेदार होंगे।
हालांकि, इस नियुक्ति को लेकर अमेरिकी और भारतीय कूटनीतिक हलकों में विवाद (diplomatic controversy) भी देखने को मिला है। विशेषज्ञों का मानना है कि गोर के “ट्रंप-निकट” रुख के कारण वे भारत की विदेश नीति के प्रति संतुलित दृष्टिकोण रख पाएंगे या नहीं, यह देखने वाली बात होगी।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय का बयान
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि “अमेरिका भारत के साथ मिलकर एक सुरक्षित, समृद्ध और मुक्त हिंद-प्रशांत (Free and Prosperous Indo-Pacific) क्षेत्र बनाने के लिए काम करता रहेगा। यह यात्रा इसी दिशा में एक कदम है।”
अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने भी स्पष्ट किया कि यह एक संक्षिप्त यात्रा (short visit) है। गोर अभी औपचारिक रूप से भारत में अपने पद का कार्यभार नहीं संभाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि गोर भारत सरकार को अपने राजदूत पद की नियुक्ति संबंधी औपचारिक दस्तावेज (credentials) बाद में प्रस्तुत करेंगे।