साउथ की मशहूर एक्ट्रेस तृषा कृष्णन ने तमिलनाडु के श्री अष्टलिंग अथिशेष सेल्वा विनयगर और श्री अष्टभुजा अथिशेष वरही अम्मन मंदिरों को एक जीवंत मेकैनिकल हाथी दान किया है।
एंटरटेनमेंट: साउथ सिनेमा की लोकप्रिय अभिनेत्री तृषा कृष्णन ने एक बार फिर अपने सामाजिक सरोकार और संवेदनशील सोच का परिचय दिया है। उन्होंने तमिलनाडु के दो प्रसिद्ध मंदिरों श्री अष्टलिंग अथिशेष सेल्वा विनयगर और श्री अष्टभुजा अथिशेष वरही अम्मन मंदिर को एक अत्याधुनिक यांत्रिक हाथी (मेकैनिकल एलीफेंट) दान किया है, जिसका नाम गज रखा गया है। इस कदम को न सिर्फ तृषा के प्रशंसकों ने सराहा है, बल्कि मंदिर प्रशासन और श्रद्धालुओं ने भी इसे खुले दिल से अपनाया।
गौरतलब है कि दक्षिण भारत के कई मंदिरों में उत्सवों और धार्मिक जुलूसों के दौरान जीवित हाथियों का उपयोग पारंपरिक रूप से होता रहा है। परंतु पशु अधिकार संगठनों द्वारा लगातार इस पर आपत्ति जताई जाती रही है कि इन हाथियों को अप्राकृतिक माहौल और जबरन काम में लगाया जाता है। इन्हीं सवालों के बीच तृषा का यह कदम एक नई दिशा दिखाता है, जहां परंपरा और करुणा को एक साथ सम्मान दिया गया है।
भक्ति में करुणा का महत्व
तृषा कृष्णन ने इस अवसर पर कहा, भक्ति तब सबसे अधिक चमकती है जब वह करुणा में निहित होती है। हमारे मंदिर परंपराओं में एक यांत्रिक हाथी का स्वागत करना दयालुता, नवाचार और संस्कृति का उत्सव है। हम अपनी विरासत का सम्मान इस तरह से कर रहे हैं कि इससे किसी प्राणी को नुकसान न पहुंचे।तृषा ने आगे कहा कि वह चाहती हैं कि यह पहल और भी लोगों को प्रेरित करे ताकि परंपरा और करुणा के बीच संतुलन बनाकर एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ा जा सके।
ढोल-नगाड़ों के बीच हुआ गज का स्वागत
मंदिर प्रशासन ने इस यांत्रिक हाथी का भव्य स्वागत किया। मंदिर के पुजारियों और श्रद्धालुओं की मौजूदगी में गज का पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ अनावरण हुआ। ढोल-नगाड़ों और मंत्रोच्चार के बीच यांत्रिक हाथी को मंदिर परिसर में लाया गया, जहां भक्तों ने इसे देखकर खुशी जताई। पीपल फॉर कैटल इन इंडिया (PFCI) ने इस पूरे कार्यक्रम में सहयोग किया। संगठन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर तृषा का धन्यवाद करते हुए लिखा, गज एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जहां असली हाथियों को उनकी आजादी लौटाई जाएगी और परंपराओं को आधुनिक तरीके से निभाया जाएगा।
भक्तों के लिए शाकाहारी प्रसाद
तृषा ने केवल यांत्रिक हाथी ही नहीं, बल्कि भक्तों के लिए पूरी तरह शाकाहारी भोजन की भी व्यवस्था की। इस भोजन में किसी भी प्रकार के मांस, डेयरी या अंडे का इस्तेमाल नहीं किया गया। एक साइन बोर्ड के जरिए बताया गया कि यह शाकाहारी प्रसाद न सिर्फ पशु-करुणा का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर विकल्प है।
PFCI ने इस बारे में कहा, जिस तरह हमारा यांत्रिक हाथी असली हाथियों के प्रति दयालुता दिखाता है, उसी तरह शाकाहारी भोजन भी जानवरों को हमारी थाली से बाहर रखकर उनके प्रति सम्मान का भाव दर्शाता है।
तृषा का बढ़ता सामाजिक योगदान
फिल्मी करियर के साथ-साथ तृषा का सामाजिक कार्यों में योगदान लगातार बढ़ रहा है। इस साल उनकी कई फिल्में रिलीज हो चुकी हैं, जैसे विदामुआर्ची, गुड बैड अग्ली और ठग लाइफ। आने वाले दिनों में वह विश्वम्भरा और करुप्पु जैसी चर्चित फिल्मों में भी नजर आएंगी। परंतु इन सबके बीच, उनका यह प्रयास यह साबित करता है कि तृषा न केवल पर्दे पर एक सशक्त कलाकार हैं, बल्कि पर्दे के पीछे भी सामाजिक बदलाव की अग्रदूत हैं।