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उज्जैन में नकली नोट छापने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 6 आरोपी गिरफ्तार

उज्जैन में नकली नोट छापने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 6 आरोपी गिरफ्तार

उज्जैन पुलिस ने नकली नोट बनाने वाले छह सदस्यों के गिरोह का भंडाफोड़ किया। गिरोह सीपीयू और कलर प्रिंटर से बटर पेपर पर नकली नोट छापता था, जिन्हें 30 हजार रुपए में 1 लाख के नोट के रूप में बेचते थे।

उज्जैन: पुलिस ने नकली नोट बनाने वाले एक शातिर गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने कुल छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से 5 लाख रुपए के नकली नोट, सीपीयू, कलर प्रिंटर, बटर पेपर और अन्य उपकरण जब्त किए हैं। आरोपी नोट छापकर बाजार में 30 प्रतिशत कम दाम पर बेचते थे। इस खुलासे ने उज्जैन पुलिस की सक्रियता को उजागर किया और नकली मुद्रा के कारोबार पर बड़ा चोट लगी।

नकली नोट गिरोह का आरोपी गिरफ्तार 

गिरोह में शामिल दो लोग सीपीयू और कलर प्रिंटर की मदद से बटर पेपर पर 100, 200 और 500 रुपए के नोट छापते थे। इन्हें 30 प्रतिशत के भाव पर बाजार में बेचा जाता था। आरोपी एक लाख रुपए के नकली नोट खरीदने के लिए केवल 30 हजार रुपए खर्च करते थे। ऐसे नोटों की बरामदगी से यह स्पष्ट हुआ कि गिरोह काफी संगठित तरीके से काम कर रहा था।

पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में शुभम (22 वर्ष), शेखर (31 वर्ष), प्रहलाद (54 वर्ष), कमलेश (48 वर्ष) और दुर्गेश डाबी शामिल हैं। इनका एक साथी सुनील पाटिल जेल में बंद है। सुनील पहले से ही नकली नोट छापने के मामले में 10 वर्ष की सजा काट चुका है।

घटना का खुलासा कैसे हुआ

इस गिरोह का पर्दाफाश उस समय हुआ जब अमरदीप नगर निवासी हीरालाल ने पुलिस को शिकायत दी। हीरालाल के अनुसार, उनका इलेक्ट्रॉनिक सामान का व्यवसाय है। दुर्गेश नामक ग्राहक वाशिंग मशीन और मोबाइल खरीदने आए और 23 हजार रुपए का भुगतान नकली नोट से किया। नोटों में गड़बड़ी देखकर हीरालाल ने माधव नगर पुलिस को सूचना दी।

पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दुर्गेश को हिरासत में लिया। पूछताछ में उसने गिरोह के अन्य सदस्यों और नोट छापने की पूरी प्रक्रिया का खुलासा किया। इसके बाद पुलिस ने शुभम, शेखर, प्रहलाद और कमलेश को गिरफ्तार किया। इस कार्रवाई से उज्जैन में नकली नोट चलाने वाले गिरोह की जड़ें उजागर हुईं।

जेल में बने संबंध और नकली नोट छापने का धंधा

पुलिस ने बताया कि मुख्य सरगना प्रहलाद और कमलेश पूर्व में एनडीपीएस के मामलों में जेल जा चुके थे। जेल में रहते हुए उनकी मुलाकात सुनील पाटिल से हुई, जिसने पहले से नकली नोट छापने का धंधा चलाया था। जमानत पर आने के बाद तीनों ने मिलकर फिर से नकली मुद्रा छापना शुरू किया।

सुनील पाटिल ने अकेले लगभग 18 लाख रुपए के नकली नोट छापे हैं। पुलिस अब तक केवल 5 लाख रुपए के नोट बरामद कर सकी है और शेष 13 लाख रुपए के नोट की खोज जारी है। अधिकारी इस गिरोह की पूर्ण गिरफ़्तारी और नकली मुद्रा के प्रसार पर रोक लगाने में जुटे हैं।

उज्जैन पुलिस ने नकली नोट गिरोह पर कड़ी कार्रवाई की 

पुलिस ने आरोपियों के पास से बरामद उपकरणों में सीपीयू, कलर प्रिंटर, बटर पेपर, स्केल और रासायनिक सामग्री शामिल हैं। ये सभी उपकरण नकली नोट छापने में उपयोग किए जाते थे। एसपी प्रदीप शर्मा ने कहा कि उज्जैन पुलिस इस तरह के गिरोहों पर कड़ी निगरानी रखेगी और किसी भी तरह की नकली मुद्रा को बाजार में नहीं चलने देगी।

अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों को अदालत में पेश किया जाएगा और शेष नकली नोटों की बरामदगी के लिए जांच जारी है। इस कार्रवाई से उज्जैन में नकली नोट चलाने वालों के लिए चेतावनी भी जा चुकी है और सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता सामने आई है।

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