तुर्किए राष्ट्रपति एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिर कश्मीर मुद्दा उठाया। उन्होंने भारत-पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की अपील की और हालिया सीजफायर का स्वागत किया। भारत इसे आंतरिक मामला मानता है।
UN General Assembly: तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में कश्मीर का मुद्दा उठाया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान को आतंकवाद (Terrorism) से लड़ने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए। एर्दोगन ने यह भी कहा कि कश्मीर विवाद का समाधान संयुक्त राष्ट्र (UN) के प्रस्तावों के आधार पर बातचीत से होना चाहिए।
एर्दोगन ने साफ शब्दों में कहा कि दक्षिण एशिया में स्थिरता और शांति के लिए कश्मीर मुद्दे का समाधान बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि हाल के महीनों में भारत और पाकिस्तान के बीच जो संघर्ष हुआ और फिर उसके बाद सीजफायर (Ceasefire) हुआ, उससे वह संतुष्ट हैं।
आतंकवाद पर भारत-पाक सहयोग की बात
राष्ट्रपति एर्दोगन ने अपने भाषण में आतंकवाद के खतरे पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान जैसे दो बड़े देशों के लिए यह समय की मांग है कि वे क्षेत्र से आतंकवाद को खत्म करने के लिए सहयोग करें। उनके अनुसार, जब तक दोनों पड़ोसी देश आपसी बातचीत और सहयोग का रास्ता नहीं चुनते, तब तक स्थायी शांति की संभावना नहीं बन सकती।
उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि कश्मीर विवाद का समाधान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और कश्मीर में रह रहे हमारे भाइयों और बहनों के सर्वोत्तम हित में बातचीत के जरिए किया जाएगा।”
शांति और स्थिरता को प्राथमिकता
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में आम बहस के दौरान एर्दोगन ने कहा कि साउथ एशिया में शांति और स्थिरता हम सबके लिए सर्वोपरि है। उन्होंने पिछले अप्रैल में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तनाव का जिक्र करते हुए कहा कि संघर्ष के बाद हुआ युद्धविराम (Ceasefire) स्वागत योग्य है।
उनका मानना है कि युद्धविराम ने उस समय हालात को और बिगड़ने से बचा लिया। उन्होंने कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान इसी तरह आपसी समझ से आगे बढ़ते हैं तो यह पूरे क्षेत्र के लिए बेहतर होगा।
बार-बार कश्मीर मुद्दे को उठाते हैं एर्दोगन
यह पहली बार नहीं है जब एर्दोगन ने कश्मीर का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया हो। पिछले कई वर्षों से वह संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्रों में इस विषय को बार-बार उठाते रहे हैं। उनके इस रवैये पर भारत की ओर से अक्सर नाराजगी भी जताई जाती रही है। भारत का कहना है कि कश्मीर उसका आंतरिक मुद्दा है और इस पर बाहरी दखल की कोई जरूरत नहीं है।
फिर भी, एर्दोगन अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस दिशा में खींचने की कोशिश करते रहते हैं। उन्होंने अपने संबोधन में यह भी कहा कि क्षेत्रीय शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह भारत और पाकिस्तान को बातचीत की राह पर लाए।
भारत की ओर से हालिया सैन्य कार्रवाई
कश्मीर को लेकर एर्दोगन के बयान ऐसे समय पर आए हैं जब हाल ही में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी। पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) चलाया था।
इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद चार दिनों तक भीषण झड़पें हुईं। इस संघर्ष में दोनों ओर से नुकसान हुआ, लेकिन आखिरकार पाकिस्तान की अपील पर सीजफायर की घोषणा की गई।
सीजफायर के बाद की स्थिति
सीजफायर लागू होने के बाद सीमावर्ती इलाकों में हालात सामान्य होने लगे हैं। स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली, क्योंकि लगातार गोलाबारी के कारण गांवों में भय का माहौल था। एर्दोगन ने इस सीजफायर का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसे कदम ही शांति बहाल करने में मददगार साबित होंगे।