इंडिया ब्लॉक उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर अपने उम्मीदवार को उतारने की तैयारी में है और इसको लेकर कई नामों पर चर्चा चल रही है। सूत्रों के मुताबिक विपक्ष एनडीए के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन को समर्थन देने के पक्ष में नहीं है।
नई दिल्ली: भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। सत्ता पक्ष एनडीए ने तमिलनाडु से आने वाले वरिष्ठ नेता सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है। वहीं विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया ब्लॉक भी अपने उम्मीदवार उतारने के मूड में दिख रहा है। सूत्रों के अनुसार, विपक्ष की ओर से जिन नामों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है उनमें प्रमुख हैं – इसरो के पूर्व वैज्ञानिक और ‘मून मैन ऑफ इंडिया’ कहलाने वाले डॉ. एम अन्नादुरई तथा महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी।
कौन हैं ‘मून मैन ऑफ इंडिया’ डॉ. एम अन्नादुरई?
डॉ. एम अन्नादुरई भारत के उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में से एक हैं जिन्होंने देश के अंतरिक्ष मिशनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका जन्म 2 जुलाई, 1958 को तमिलनाडु में हुआ। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1982 में इसरो (ISRO) से जुड़कर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाई।अन्नादुरई को भारत का ‘मून मैन’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे इसरो के कई बड़े चंद्रमा मिशनों और सैटेलाइट प्रोजेक्ट्स का नेतृत्व कर चुके हैं।
वे 2015 से 2018 तक यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) के निदेशक रहे। इससे पहले वे इंडियन रिमोट सेंसिंग (IRS) और स्मॉल सैटेलाइट सिस्टम्स (SSS) के प्रोग्राम डायरेक्टर के रूप में कार्य कर चुके थे। उनके नेतृत्व में इसरो ने कई उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा। भारत सरकार ने उनके योगदान को देखते हुए 2016 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया।
विपक्षी रणनीति और अन्नादुरई का नाम क्यों आगे?
सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी गठबंधन में शामिल डीएमके ने अपने सहयोगियों के सामने डॉ. अन्नादुरई का नाम रखा है। दरअसल, एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन भी तमिलनाडु से आते हैं। ऐसे में विपक्षी दल चाहते हैं कि वे भी राज्य से किसी ऐसे उम्मीदवार को उतारें, जिनकी साख राजनीतिक से अधिक सामाजिक और तकनीकी हो।
इसी कारण, वैज्ञानिक पृष्ठभूमि वाले गैर-राजनीतिक चेहरे के रूप में अन्नादुरई का नाम तेजी से उभर रहा है। इसके अलावा, टीएमसी की भी इच्छा है कि विपक्षी उम्मीदवार राजनीति से बाहर का हो। यही वजह है कि कांग्रेस, डीएमके और टीएमसी जैसे दल उनके नाम पर सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
तुषार गांधी और तिरुचि शिवा भी विकल्प
अन्नादुरई के अलावा, महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी का नाम भी चर्चा में है। हालांकि, उनकी उम्मीदवारी को लेकर विपक्ष अभी तक एकमत नहीं है। वहीं, डीएमके के वरिष्ठ नेता तिरुचि शिवा का नाम भी सामने आया है, लेकिन टीएमसी जैसे सहयोगी दल उनके पक्ष में नहीं हैं। पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में जब एनडीए ने जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया था, तब टीएमसी ने मतदान से दूरी बना ली थी। इस बार वह विपक्षी एकता को कमजोर नहीं करना चाहती, इसलिए गैर-राजनीतिक उम्मीदवार की मांग कर रही है।
संसद में संख्याबल के लिहाज से उपराष्ट्रपति चुनाव का पलड़ा साफ तौर पर सत्तापक्ष के पक्ष में है। एनडीए के पास आवश्यक बहुमत है और उन्हें पहले ही वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का समर्थन मिल चुका है। ऐसे में विपक्ष के लिए यह चुनाव जीतना बेहद मुश्किल होगा।