उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम के पास कुबेर पर्वत से ग्लेशियर टूटकर कंचनगंगा नाले में गिरा। किसी जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। आपदा प्रबंधन विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है और लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी।
चमोली: उत्तराखंड के बद्रीनाथ क्षेत्र में शुक्रवार (17 अक्टूबर) को एक बार फिर ग्लेशियर टूटने की घटना सामने आई। जानकारी के अनुसार, कुबेर पर्वत से टूटकर हिमखंड कंचनगंगा नाले में गिरा। सौभाग्य से इस घटना में कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।
उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि ग्लेशियर के साथ कुछ चट्टानें भी खिसकी हैं, लेकिन स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। स्थानीय लोग और पर्यटक सतर्क बनाए गए हैं और आपदा प्रबंधन विभाग स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
ग्लेशियर टूटने के बाद क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाई
ग्लेशियर टूटने के बाद तुरंत आपदा प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन ने क्षेत्र की निगरानी बढ़ा दी। कंचनगंगा नाले के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल कोई अन्य आपदा या खतरा नहीं है। हालांकि, पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसे हादसे अचानक और खतरनाक होते हैं, इसलिए लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने की पूर्व घटनाएं
बद्रीनाथ और आसपास के क्षेत्रों में ग्लेशियर टूटने की घटनाएं पहले भी दर्ज हो चुकी हैं। 28 फरवरी 2025 को माणा कैंप के पास भारी हिमस्खलन हुआ था, जिसमें 55 मजदूर बर्फ में दब गए थे। वहीं, 2021 में चमोली जिले के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही मची थी, जिसमें 206 लोगों की मौत हुई थी। ऋषिगंगा नदी में अचानक आई बाढ़ ने निर्माणाधीन परियोजनाओं को भी नष्ट कर दिया था।
इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में ग्लेशियर और हिमखंड टूटने की घटनाएं प्राकृतिक आपदाओं का रूप ले सकती हैं और सतर्कता अत्यंत आवश्यक है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लेशियर और हिमखंडों में लगातार परिवर्तन जलवायु और मौसम के प्रभाव के कारण होता है। यदि समय रहते चेतावनी और रोकथाम के उपाय नहीं किए गए, तो भविष्य में और बड़े हादसे हो सकते हैं। उन्हीं के अनुसार, बारिश का मौसम खत्म होने के बाद पहाड़ धीरे-धीरे दरकने लगते हैं, इसलिए स्थानीय लोगों और पर्यटकों को सतर्क रहना चाहिए।