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वर्कलोड मैनेजमेंट मास्टरस्ट्रोक: इंग्लैंड में बुमराह के फैसले पर रहाणे का बड़ा बयान

वर्कलोड मैनेजमेंट मास्टरस्ट्रोक: इंग्लैंड में बुमराह के फैसले पर रहाणे का बड़ा बयान

इंग्लैंड दौरे में जसप्रीत बुमराह ने वर्कलोड मैनेजमेंट के तहत केवल तीन टेस्ट खेले, जिसमें उन्होंने 14 विकेट झटके। अजिंक्य रहाणे ने उनके इस साहसी और पारदर्शी फैसले की प्रशंसा की। 

Jasprit Bumrah: भारतीय क्रिकेट टीम का हालिया इंग्लैंड दौरा नतीजे के लिहाज़ से भले ही बराबरी पर समाप्त हुआ हो, लेकिन इस सीरीज में कई ऐसी कहानियां बनीं जो लंबे समय तक चर्चा में रहेंगी। उनमें से एक प्रमुख किस्सा तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह का है, जिन्होंने सीरीज से पहले ही टीम मैनेजमेंट को साफ कर दिया था कि वे सिर्फ तीन टेस्ट मैच खेलेंगे। उनके इस साहसी और स्पष्ट फैसले की अब टीम के वरिष्ठ बल्लेबाज और पूर्व कप्तान अजिंक्य रहाणे ने खुलकर तारीफ की है।

सीरीज से पहले तय की अपनी उपलब्धता

इंग्लैंड दौरे की शुरुआत से पहले ही बुमराह ने कप्तान और टीम मैनेजमेंट के सामने अपना प्लान रख दिया था। उन्होंने साफ कहा था कि वे केवल पहला, तीसरा और चौथा टेस्ट खेलेंगे, ताकि उनका वर्कलोड बेहतर तरीके से मैनेज हो सके। यह फैसला उन्होंने अपनी फिटनेस और लंबे करियर को ध्यान में रखते हुए लिया था।

रहाणे के मुताबिक, यह पारदर्शिता और पहले से दी गई जानकारी टीम रणनीति बनाने में बेहद मददगार साबित हुई। 'एक कप्तान के लिए यह जानना जरूरी है कि उसका प्रमुख गेंदबाज कब उपलब्ध होगा। बुमराह ने इस मामले में पूरी ईमानदारी दिखाई, जो मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित करती है,' रहाणे ने कहा।

ऐसे फैसले लेना आसान नहीं

रहाणे ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत जैसे क्रिकेट-दीवाने देश में ऐसे फैसले लेना बेहद कठिन है। 'कई बार खिलाड़ी इस डर से अपनी स्थिति साफ नहीं बताते कि कहीं टीम से बाहर न कर दिए जाएं। लेकिन बुमराह ने टीम और अपने शरीर—दोनों के हित में सही कदम उठाया। यह साहस और आत्मविश्वास की निशानी है' रहाणे ने जोड़ा।

भारत में वर्कलोड मैनेजमेंट को लेकर खिलाड़ियों के बीच मिश्रित सोच रही है। कुछ खिलाड़ी इसे जरूरी मानते हैं, तो कुछ के लिए यह चयन पर खतरे जैसा लगता है। बुमराह का यह कदम निश्चित रूप से इस मानसिकता में बदलाव ला सकता है।

गेंदबाजी में दिखा असर

बुमराह ने अपने सीमित लेकिन फोकस्ड अप्रोच का फायदा मैदान पर भी दिखाया। उन्होंने सीरीज में तीन मैच खेले और कुल 14 विकेट झटके, वह भी 26 के औसत से। दो बार पारी में पांच विकेट लेने का कारनामा कर उन्होंने टीम के लिए मैच में निर्णायक भूमिका निभाई। 119.4 ओवर की गेंदबाजी करते हुए उन्होंने इंग्लिश बल्लेबाजों को कई बार असहज किया। चाहे नई गेंद से स्विंग कराना हो या पुराने गेंद से रिवर्स स्विंग, बुमराह ने अपनी काबिलियत का हर बार प्रदर्शन किया।

वर्कलोड मैनेजमेंट की अहमियत

आधुनिक क्रिकेट में तेज गेंदबाजों के लिए लगातार खेलना शारीरिक रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण है। एक टेस्ट मैच में 20-25 ओवर गेंदबाजी के बाद शरीर पर पड़ने वाला दबाव काफी अधिक होता है। चोट लगने का खतरा भी बढ़ जाता है।

इसी वजह से दुनियाभर की टीमें अब अपने प्रमुख खिलाड़ियों के लिए वर्कलोड मैनेजमेंट रणनीति अपना रही हैं। बुमराह का उदाहरण भारत में इस सोच को और मजबूत करेगा। वे आने वाले बड़े टूर्नामेंट, जैसे विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप और ऑस्ट्रेलिया सीरीज के लिए फिट रहना चाहते हैं।

ओवल टेस्ट से पहले लिया आराम

ओवल में खेले गए चौथे टेस्ट के दौरान, दूसरे दिन के खेल से पहले बीसीसीआई ने बुमराह को टीम से रिलीज कर दिया। यह पहले से तय योजना का हिस्सा था। यह कदम दर्शाता है कि भारतीय क्रिकेट अब खिलाड़ियों की लंबी अवधि की उपलब्धता और फिटनेस पर विशेष ध्यान दे रहा है, न कि सिर्फ तात्कालिक परिणामों पर।

युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा

रहाणे का मानना है कि बुमराह का यह निर्णय आने वाली पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरक उदाहरण है। उन्होंने कहा,

'कई बार खिलाड़ी अपने शरीर की सीमाओं को नजरअंदाज कर देते हैं और लगातार खेलते रहते हैं। इससे उनके करियर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। बुमराह ने दिखाया कि सही समय पर आराम लेना और ईमानदारी से अपनी उपलब्धता बताना टीम और खिलाड़ी दोनों के लिए फायदेमंद है।'

आगे का सफर

इंग्लैंड सीरीज के बाद अब भारतीय टीम का फोकस आने वाली घरेलू और विदेशी सीरीज पर होगा। बुमराह से उम्मीद है कि वे पूरी फिटनेस के साथ तीनों फॉर्मेट में खेलते नजर आएंगे। उनका वर्कलोड मैनेजमेंट भविष्य में अन्य प्रमुख खिलाड़ियों के लिए भी एक मानक तय कर सकता है।

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