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बिहार में मतदाता सूची सुधार पर EC का हलफनामा पेश, 1 सितंबर तक दावे-आपत्तियां दर्ज

बिहार में मतदाता सूची सुधार पर EC का हलफनामा पेश, 1 सितंबर तक दावे-आपत्तियां दर्ज

बिहार SIR पर EC ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बिना नोटिस और सुनवाई के किसी पात्र मतदाता का नाम सूची से नहीं हटाया जाएगा। अंतिम तारीख 1 सितंबर 2025।

Bihar SIR: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। आयोग ने साफ किया है कि बिना नोटिस और सुनवाई के किसी भी पात्र मतदाता का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा। SIR का पहला चरण पूरा हो चुका है और 1 अगस्त 2025 को प्रारूप सूची जारी की जा चुकी है। दावे और आपत्तियां दर्ज कराने की अंतिम तारीख 1 सितंबर 2025 तय की गई है।

सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग का हलफनामा

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में विस्तृत हलफनामा दायर किया है। इसमें आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना पूर्व सूचना और सुनवाई का अवसर दिए सूची से नहीं हटाया जाएगा।

आयोग ने कहा कि किसी भी नाम को हटाने के लिए तीन जरूरी कदम अनिवार्य हैं—पहला, मतदाता को नोटिस जारी करना। दूसरा, सुनवाई का अवसर देना। और तीसरा, सक्षम अधिकारी द्वारा तर्कपूर्ण (reasoned) आदेश जारी करना।

ADR के आरोप और सुप्रीम कोर्ट का रुख

इस मामले में याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से दायर की गई थी। ADR ने आरोप लगाया था कि बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम गलत तरीके से मतदाता सूची से हटा दिए गए और इस प्रक्रिया में पारदर्शिता का पालन नहीं हुआ। साथ ही, हटाए गए मतदाताओं की सूची भी सार्वजनिक नहीं की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त को चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करे। अदालत ने कहा था कि पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। इस मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त 2025 को निर्धारित है।

SIR का पहला चरण पूरा, प्रारूप सूची जारी

चुनाव आयोग ने अपने अतिरिक्त हलफनामे में बताया कि SIR का पहला चरण पूरा हो चुका है। 1 अगस्त 2025 को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित की जा चुकी है। इस चरण में बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs) ने घर-घर जाकर मतदाताओं के नाम और दस्तावेज जुटाए।

कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ लोगों ने अपने नाम की पुष्टि करते हुए आवश्यक दस्तावेज जमा किए। इस प्रक्रिया में छूटे हुए नामों को भी शामिल करने पर जोर दिया गया।

बड़े पैमाने पर प्रशासनिक और जनसहभागिता

SIR की प्रक्रिया में राज्यभर के 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचन पंजीकरण पदाधिकारी, 77,895 BLO, 2.45 लाख स्वयंसेवक और 1.60 लाख बूथ स्तर एजेंट सक्रिय रूप से शामिल रहे।

राजनीतिक दलों को समय-समय पर छूटे हुए मतदाताओं की सूची उपलब्ध कराई गई ताकि वे अपने स्तर पर भी सुधार के सुझाव दे सकें। प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण के लिए 246 अखबारों में हिंदी विज्ञापन प्रकाशित किए गए।

इसके अलावा, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से फॉर्म भरने की सुविधा दी गई। शहरी निकायों में विशेष कैंप लगाए गए। युवाओं के लिए अग्रिम पंजीकरण (advance registration) और वरिष्ठ नागरिकों व दिव्यांगों के लिए विशेष सहायता प्रदान करने हेतु 2.5 लाख स्वयंसेवक तैनात किए गए।

दावे-आपत्तियों की अंतिम तारीख 1 सितंबर

चुनाव आयोग के अनुसार, 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक दावे और आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं। इस अवधि में जो भी मतदाता अपने नाम को लेकर सुधार, जोड़ने या हटाने की आपत्ति दर्ज कराना चाहता है, वह संबंधित प्रपत्र भरकर BLO या निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी को दे सकता है।

सभी दावों का निस्तारण सात कार्य दिवस के भीतर किया जाएगा। अगर कोई मतदाता निर्णय से असंतुष्ट होता है, तो वह अपील ERO (Electoral Registration Officer) के पास कर सकता है। अंतिम अपील राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (Chief Electoral Officer) के पास की जा सकती है।

पारदर्शिता और सूचना प्रसार पर जोर

चुनाव आयोग ने कहा कि पूरी प्रक्रिया पर रोजाना प्रेस रिलीज जारी की जा रही है ताकि जनता को सभी अपडेट समय पर मिल सकें। मतदाताओं को जागरूक करने के लिए विभिन्न माध्यमों- अखबार, रेडियो, सोशल मीडिया और सरकारी नोटिस का इस्तेमाल किया जा रहा है। आयोग का मानना है कि मतदाता सूची की शुद्धता लोकतंत्र की नींव है और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही या पक्षपात को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में प्रक्रिया

ADR की याचिका और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद यह प्रक्रिया और भी संवेदनशील हो गई है। अदालत स्पष्ट कर चुकी है कि यदि किसी पात्र मतदाता का नाम गलत तरीके से हटाया गया है, तो यह मताधिकार के उल्लंघन के समान है।

क्यों जरूरी है SIR की प्रक्रिया

Special Intensive Revision का मकसद मतदाता सूची को सही और अद्यतन रखना है। समय-समय पर कई कारणों से नाम छूट सकते हैं—जैसे, पता बदलना, प्रवास, या दस्तावेजों में त्रुटि। इसी तरह, मृतकों के नाम या गलत प्रविष्टियों को हटाना भी जरूरी है।

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