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यूरोपीय यूनियन ने 19वां पैकेज लागू किया, भारत की कंपनियों को मिली चेतावनी

यूरोपीय यूनियन ने 19वां पैकेज लागू किया, भारत की कंपनियों को मिली चेतावनी

यूरोपीय यूनियन (EU) ने रूस के खिलाफ 19वां सैंक्शन पैकेज लागू किया है, जिसमें रूस के 45 संस्थानों और भारत, चीन, थाईलैंड की कुछ कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके तहत ड्यूल यूज सामान और रक्षा तकनीक के निर्यात पर रोक लगी है और रूस के राजनयिकों की आवाजाही भी सीमित की गई है।

US Sanctions Russian Oil Companies: यूरोपीय यूनियन ने रूस पर 19वां सैंक्शन पैकेज लागू किया है, जिसमें रूस की सैन्य और औद्योगिक क्षमता को समर्थन देने वाले 45 संस्थानों और भारत, चीन और थाईलैंड की 17 कंपनियों को शामिल किया गया है। इन पर ड्यूल यूज तकनीक और रक्षा उपकरण के निर्यात पर रोक लगी है। EU ने रूस के राजनयिकों की आवाजाही भी सीमित कर दी है ताकि युद्ध को वित्तीय और तकनीकी मदद मिलना कठिन हो।

रूस और EU के बीच बढ़ता तनाव

ईयू की वाइस प्रेसिडेंट काजा कैलास ने बताया कि रूस के खिलाफ 19वां प्रतिबंध पैकेज लागू कर दिया गया है। इसके तहत रूसी बैंकों, क्रिप्टो एक्सचेंजों और कुछ अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर कार्रवाई की गई है। कैलास ने कहा कि रूस के राजनयिकों की आवाजाही पर भी रोक लगाई गई है ताकि पुतिन की कोशिशों को रोका जा सके जो यूरोप में अस्थिरता फैलाने के लिए की जा रही हैं। उनका कहना था कि अब पुतिन के लिए इस युद्ध को वित्तीय रूप से जारी रखना और कठिन होता जा रहा है।

कौन-कौन से संस्थान प्रभावित होंगे

यूरोपीय यूनियन की काउंसिल ने 45 नए संस्थानों की पहचान की है जो रूस की सैन्य और औद्योगिक क्षमता को मजबूत करने में मदद कर रहे थे। इन संस्थानों में वे संगठन शामिल हैं जो रूस पर लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों को दरकिनार करने में सहयोग करते थे। विशेष तौर पर CNC मशीन टूल्स, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, ड्रोन और अन्य एडवांस तकनीकी उपकरणों के मामले में इन संस्थानों की भूमिका रही है।

भारत और चीन की कंपनियां भी शामिल

इन 45 संस्थानों में से 17 संस्थान रूस के बाहर स्थित हैं। इनमें से 12 चीन (हांगकांग सहित), 3 भारत और 2 थाईलैंड में हैं। इस सूची में शामिल भारतीय कंपनियों के बारे में फिलहाल विस्तार से जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय व्यापार और रक्षा तकनीक के लेन-देन को प्रभावित कर सकता है।

निर्यात और ड्यूल यूज वस्तुओं पर असर

इन सभी संस्थानों पर अब ड्यूल यूज वाले सामान और रक्षा तकनीक से जुड़ी वस्तुओं के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लागू किए जाएंगे। इसका मतलब है कि अब ये संस्थान रूस को तकनीकी उपकरण, मशीन टूल्स या अन्य संवेदनशील सामान नहीं भेज पाएंगे। यूरोपीय संघ का उद्देश्य रूस की युद्ध क्षमता को कमजोर करना और उसे आर्थिक रूप से दबाव में लाना है।

वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम का असर वैश्विक व्यापार और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों पर पड़ सकता है। खासकर उन देशों में जहां रूस के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत हैं। भारत की तीन कंपनियों के शामिल होने से घरेलू व्यापारियों और उद्योगों को संभावित चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। चीन और थाईलैंड की कंपनियों पर भी यह प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर सकता है।

रूस ने अब तक इस प्रतिबंध के प्रति कड़ा रुख अपनाया है। मॉस्को ने कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा। रूसी अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने पश्चिमी प्रतिबंधों से निपटने के लिए मजबूत प्रतिरोधी तंत्र तैयार किया है और भविष्य में आर्थिक तथा ऊर्जा क्षेत्रों में इसे और सशक्त किया जाएगा।

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