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चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हेराफेरी के आरोपों को किया खारिज, कहा – 'बिना आधार के हैं विपक्षी दावे'

चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हेराफेरी के आरोपों को किया खारिज, कहा – 'बिना आधार के हैं विपक्षी दावे'
अंतिम अपडेट: 17-04-2025

चुनाव आयोग ने विपक्ष द्वारा लगाए गए उस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप लगाया गया था। आयोग से जुड़े सूत्रों ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में सुधार के लिए केवल 89 अपील की गईं थीं, जो कोई बड़ी संख्या नहीं है। 

नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोपों को चुनाव आयोग ने सिरे से नकार दिया है। विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस के नेताओं ने दावा किया था कि राज्य की मतदाता सूची में अनियमितताएं और विसंगतियां हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने इन आरोपों को पूरी तरह से गलत और बिना तथ्य के करार दिया।

चुनाव आयोग के एक बयान में कहा गया है कि चुनाव से पहले मतदाता सूची में कई तरह के बदलाव किए जाते हैं, जिसमें मृतकों, स्थानांतरण या निर्वाचन क्षेत्र बदलने वालों के नाम को हटाया जाता है। आयोग ने बताया कि इस प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता और न्यायसंगत तरीके से किया गया है। इसके अलावा, चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनावी प्रक्रिया के तहत डुप्लिकेट और मृत मतदाताओं को सूची से हटा दिया जाता है, जिससे कोई भी गलत तरीके से मतदान नहीं कर सकता।

महाराष्ट्र में केवल 89 अपीलें दर्ज हुईं

आयोग के सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र में मतदाता सूची को लेकर केवल 89 अपील दर्ज की गईं, जबकि देशभर में 13,857,359 बूथ स्तरीय एजेंट (BLA) काम कर रहे थे। आयोग ने कहा कि यह संख्या अत्यंत कम है और यह साबित करता है कि मतदाता सूची में कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं हुई है। यदि किसी को लगता है कि सूची में गड़बड़ी है, तो उन्हें 1961 में पारित चुनाव कानून का पुनः अध्ययन करना चाहिए, जो ऐसे आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है।

राहुल गांधी के आरोपों का खंडन

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में लोकसभा में मतदाता सूची पर विस्तृत चर्चा की थी और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 2019 से 2024 तक लगभग 30 लाख मतदाताओं को जोड़े जाने का आरोप लगाया था। हालांकि चुनाव आयोग ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि यह जानकारी गलत और बिना किसी तथ्य के है।

चुनाव आयोग ने आगामी बिहार और अन्य राज्यों के चुनावों के मद्देनजर विपक्षी दलों द्वारा इस मुद्दे को फिर से उठाने की संभावना को नकारा नहीं किया है, लेकिन वह अपनी स्थिति पर कायम है और सभी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से पूरा करने का दावा करता है।

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