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वक्फ संशोधन अधिनियम 2025: सुप्रीम कोर्ट का फैसला, रोक लगाने से किया इनकार, केंद्र से मांगा जवाब

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025: सुप्रीम कोर्ट का फैसला, रोक लगाने से किया इनकार, केंद्र से मांगा जवाब
अंतिम अपडेट: 17-04-2025

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के विवादास्पद प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाने के प्रस्ताव पर विचार किया, लेकिन केंद्र सरकार की अपील के बाद फैसला टाल दिया गया। 

Waqf Amendment Act: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर अहम सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने अधिनियम के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा। इनमें अदालतों द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने और केंद्रीय वक्फ परिषदों तथा बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की शक्ति शामिल है।

हालांकि, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस प्रस्ताव का विरोध किया और कहा कि किसी भी अंतरिम आदेश से पहले विस्तृत सुनवाई की जानी चाहिए। केंद्र की इस अपील के बाद अदालत ने फिलहाल कोई आदेश पारित नहीं किया और मामले में एक और दिन सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया। 

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: क्या हिंदू मंदिरों में मुस्लिमों की नियुक्ति संभव है?

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से तीखे सवाल पूछते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार वक्फ परिषदों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति को जायज ठहराना चाहती है, तो क्या वह हिंदू धार्मिक संस्थानों में मुस्लिमों की नियुक्ति को भी स्वीकार करेगी? सीजेआई खन्ना ने कहा, धार्मिक संस्थाओं की प्रकृति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर केंद्रीय वक्फ परिषद में 22 में से केवल 8 मुस्लिम सदस्य होंगे, तो क्या यह संस्था अपने धार्मिक स्वरूप को बनाए रख पाएगी?

कलेक्टर की भूमिका पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

संशोधित अधिनियम के तहत कलेक्टर को यह तय करने की शक्ति दी गई है कि किसी संपत्ति को वक्फ माना जाए या नहीं। इस पर अदालत ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह अधिकार किसी न्यायिक प्रक्रिया के बिना संपत्ति के मालिकाना हक को प्रभावित कर सकता है। सीजेआई ने कहा, कोर्ट के आदेश या डिक्री को कानून द्वारा शून्य घोषित नहीं किया जा सकता। यह संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ होगा।

अदालत-केंद्र सरकार के बीच गरमाया माहौल

सुनवाई के दौरान माहौल उस समय गर्म हो गया जब सरकार की ओर से पेश विधि अधिकारी ने कथित रूप से सभी हिंदू न्यायाधीशों वाली पीठ की निष्पक्षता पर सवाल उठाया। इस पर पीठ ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, जब हम न्याय की कुर्सी पर होते हैं, तो हम अपनी पहचान भूल जाते हैं। हमारे लिए सभी समान हैं।

पीठ ने स्पष्ट किया कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को रद्द करना उचित नहीं होगा, क्योंकि ऐसे कई मामले हैं जहां दस्तावेज़ी साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन वर्षों से धार्मिक उपयोग हो रहा है। सीजेआई ने कहा, आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते। कई ऐतिहासिक फैसलों में उपयोगकर्ता वक्फ को मान्यता दी गई है। अगर आप इन संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करते हैं, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

केंद्र सरकार ने मांगा दो सप्ताह का समय

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा और कोर्ट को रोजाना सुनवाई का विकल्प भी दिया। सीजेआई ने इसपर कहा कि आमतौर पर कोर्ट इस प्रकार के अंतरिम आदेश पारित नहीं करता, लेकिन यह मामला एक अपवाद हो सकता है।

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