आंध्र प्रदेश में 1 सितंबर से नई बार नीति लागू होगी। नीति में 10% लाइसेंस पिछड़े वर्गों को आरक्षित किया गया है और कम अल्कोहल युक्त पेय को बढ़ावा मिलेगा।
Andhra Bar Policy: आंध्र प्रदेश सरकार ने 1 सितंबर से लागू होने वाली नई बार नीति की घोषणा की है, जिसमें शराब से जुड़ी गतिविधियों को केवल राजस्व का स्रोत मानने के बजाय जन स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने सचिवालय में एक समीक्षा बैठक के दौरान इस नीति का उद्देश्य स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक कमाई का जरिया नहीं, बल्कि राज्य की सामाजिक संरचना और जनहित से जुड़ा मामला है।
पिछड़े वर्ग के लिए 10% लाइसेंस आरक्षित
नई नीति की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि बार लाइसेंसों में से 10 प्रतिशत पिछड़े वर्ग (Backward Classes - BC) के लिए आरक्षित रहेंगे। यह आरक्षण शराब की खुदरा दुकानों में पहले से लागू आरक्षण व्यवस्था के अनुरूप है। इससे पिछड़े वर्गों को उद्यम के नए अवसर मिलेंगे और सामाजिक न्याय की दिशा में एक और कदम बढ़ेगा।
लॉटरी सिस्टम से होगा लाइसेंस आवंटन
नायडू सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि लाइसेंस वितरण की प्रक्रिया पारदर्शी हो। इसके लिए बार लाइसेंस आवंटन में लॉटरी प्रणाली अपनाई जाएगी। प्रत्येक लाइसेंस के लिए कम से कम चार आवेदकों की अनिवार्यता होगी। इससे प्रतिस्पर्धा और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।
आबादी के अनुसार तय होगा लाइसेंस शुल्क
- नई नीति में लाइसेंस शुल्क को क्षेत्र की आबादी के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
- 50,000 से कम आबादी वाले क्षेत्रों में लाइसेंस शुल्क 35 लाख रुपये।
- 5 लाख तक की आबादी वाले क्षेत्रों के लिए 55 लाख रुपये।
- 5 लाख से अधिक आबादी वाले क्षेत्रों के लिए 75 लाख रुपये।
- यह प्रणाली छोटे शहरों और बड़े महानगरों के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करेगी।
संभावित राजस्व: 700 करोड़ रुपये
नई नीति से राज्य सरकार को लाइसेंस और आवेदन शुल्क के माध्यम से करीब 700 करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद है। हालांकि मुख्यमंत्री ने साफ किया कि राजस्व सृजन इस नीति का प्रमुख उद्देश्य नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता गरीबों और समाज के कमजोर वर्गों को शराब की हानियों से बचाना है।
कम अल्कोहल वाले पेय पदार्थों को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री नायडू ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बार मालिकों को कम अल्कोहल युक्त पेय पदार्थों की बिक्री के लिए प्रेरित किया जाए। इससे न केवल शराब सेवन में कमी आएगी, बल्कि स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव भी कम होंगे। खासतौर से गरीब तबके पर शराब का बुरा असर पड़ता है, जिसे कम करने के लिए यह कदम जरूरी बताया गया।
अवैध शराब के खिलाफ सख्त कार्रवाई
बैठक में अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि राज्य में अवैध रूप से बनी शराब (ID liquor) पर बड़ी कार्रवाई की गई है। अब तक 12 जिलों को ID शराब से पूरी तरह मुक्त घोषित किया जा चुका है। अगस्त में 8 और जिलों को इस सूची में शामिल करने की योजना है। सितंबर तक बाकी 6 जिलों को भी इस श्रेणी में लाने का लक्ष्य है। यह एक अहम उपलब्धि है जो राज्य की शराब नियंत्रण नीति को मज़बूती प्रदान करेगी।
अधिकारियों ने यह भी बताया कि आंध्र प्रदेश में शराब की कीमतें पड़ोसी राज्यों की तुलना में कम हैं और गुणवत्ता बेहतर है। इसी कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में शराब की वैध बिक्री में वृद्धि हुई है और अवैध तस्करी में गिरावट आई है।