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आंखों में तैरते धब्बे क्यों दिखते हैं? जानिए खतरे के संकेत और बचाव के तरीके

आंखों में तैरते धब्बे क्यों दिखते हैं? जानिए खतरे के संकेत और बचाव के तरीके

आंखों में फ्लोटर्स यानी नजर में तैरते छोटे-छोटे धब्बे आमतौर पर उम्र बढ़ने या विट्रियस जेली में बदलाव से होते हैं। हालांकि अचानक बढ़ने या लंबे समय तक रहने पर ये रेटिना डिटैचमेंट जैसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकते हैं। नियमित आंखों की जांच और समय पर डॉक्टर से सलाह लेने से जोखिम कम किया जा सकता है।

Floaters in the Eyes: आंखों में फ्लोटर्स यानी नजर में तैरते छोटे-छोटे धब्बे दिखना आम समस्या है, जो अक्सर उम्र बढ़ने या विट्रियस जेली में बदलाव के कारण होती है। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉ. एके ग्रोवर के अनुसार, अगर ये अचानक बढ़ जाएं या साथ में असामान्य लक्षण दिखें तो यह रेटिना डिटैचमेंट जैसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। डायबिटीज या उच्च उम्र वाले लोग अधिक प्रभावित होते हैं। समय पर आंखों की जांच, डायबिटीज कंट्रोल, ब्रेक लेना और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से फ्लोटर्स के जोखिम को कम किया जा सकता है।

फ्लोटर्स क्यों होते हैं

आंख के अंदर एक जेल जैसी चीज होती है जिसे विट्रियस कहा जाता है। यह विट्रियस आंख की संरचना बनाए रखने और रोशनी को सही तरीके से रेटिना तक पहुंचाने में मदद करता है। उम्र बढ़ने के साथ विट्रियस में बदलाव आने लगते हैं और छोटे-छोटे धब्बे नजर आने लगते हैं। यह धब्बे अक्सर छोटे कण या तैरते हुए धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं।

डायबिटीज के मरीजों में भी फ्लोटर्स की समस्या ज्यादा देखी जाती है। अचानक ज्यादा फ्लोटर्स दिखाई देना कभी-कभी गंभीर स्थिति की ओर इशारा करता है। ऐसे मामलों में देर न करना जरूरी है।

कब फ्लोटर्स खतरे की घंटी बन सकते हैं

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. एके ग्रोवर बताते हैं कि सबसे गंभीर स्थिति तब होती है जब रेटिना में कुछ समस्या आ जाए या रेटिना डिटैचमेंट हो जाए। रेटिना का हट जाना आंख की रोशनी पर गंभीर असर डाल सकता है और इलाज न मिलने पर अंधापन तक का खतरा रहता है।

अगर फ्लोटर्स के साथ कुछ असामान्य लक्षण दिखें, जैसे धुंधलापन, अचानक बढ़ते धब्बे, रोशनी में चमक या किसी एक दिशा में धब्बों का जमना, तो तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। समय पर जांच और इलाज से आंख की रोशनी को बचाया जा सकता है।

फ्लोटर्स की आम वजहें

  • उम्र बढ़ना।
  • विट्रियस में बदलाव।
  • डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी स्वास्थ्य समस्याएं।
  • लंबे समय तक स्क्रीन के सामने रहना।

आंखों की देखभाल और रोकथाम

फ्लोटर्स को पूरी तरह से रोक पाना मुश्किल है, लेकिन आंखों की नियमित जांच और सावधानी से इसकी गंभीरता कम की जा सकती है। नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार, समय-समय पर आंखों की जांच कराते रहना चाहिए। साथ ही डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना, स्क्रीन पर काम करते समय बीच-बीच में ब्रेक लेना, हेल्दी डाइट और पर्याप्त पानी पीना आंखों के लिए फायदेमंद होता है।

क्या करें जब फ्लोटर्स अचानक बढ़ जाएं

अगर अचानक फ्लोटर्स की संख्या बढ़ जाए या धुंधलापन शुरू हो जाए, तो इसे हल्के में न लें। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है। समय पर इलाज से रेटिना और आंखों की रोशनी को बचाया जा सकता है।

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