आरबीआई की इस पहल का उद्देश्य था कि छोटे मूल्य के नोटों की उपलब्धता बढ़ाकर आम जनता, खासकर ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुविधा दी जाए।
नई दिल्ली: देश में छोटे नोटों की किल्लत लंबे समय से आम जनता के लिए चिंता का विषय रही है। चाहे वह सब्ज़ी मंडी हो, किराने की दुकान हो या फिर पेट्रोल पंप, 500 या 2000 रुपये के बड़े नोटों के बदले छोटे नोट देने में हमेशा परेशानी रही है। लेकिन अब यह समस्या तेजी से सुलझती नजर आ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक के आदेश के बाद देशभर के 70 प्रतिशत से अधिक एटीएम में 100 और 200 रुपये के नोट उपलब्ध होने लगे हैं।
यह बदलाव जनता के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां नकद लेनदेन अब भी डिजिटल पेमेंट से कहीं अधिक होता है। ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में रहने वाले नागरिकों को अब रोजमर्रा की जरूरतों के लिए छोटे नोट जुटाने में पहले जैसी मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी।
आरबीआई का सख्त निर्देश और समयसीमा
भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल 2024 में बैंकों को निर्देश दिया था कि वे सुनिश्चित करें कि देश के कम-से-कम 75 प्रतिशत एटीएम से 100 या 200 रुपये के नोट निकल सकें। इसके लिए समयसीमा 30 सितंबर 2025 तय की गई थी। लेकिन अच्छी खबर यह है कि बैंकों ने समयसीमा से पहले ही लक्ष्य हासिल कर लिया है।
आरबीआई के इस निर्देश के पीछे मुख्य उद्देश्य था कि आम नागरिकों को छोटे लेनदेन में परेशानी न हो और खुदरा व्यापारियों को भी नोट बदलने की आवश्यकता न पड़े। रिजर्व बैंक की यह पहल नकद आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था को और सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
CMS इंफोसिस्टम्स की रिपोर्ट से खुलासा
देश के एटीएम प्रबंधन में अग्रणी संस्था CMS इंफोसिस्टम्स ने बताया है कि उनके द्वारा प्रबंधित कुल 2,15,000 एटीएम में से 73,000 एटीएम ऐसे हैं जो अब 100 या 200 रुपये के नोट उपलब्ध कराते हैं। दिसंबर 2024 के अंत तक यह आंकड़ा 65 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 73 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
इससे स्पष्ट है कि रिजर्व बैंक की पहल का असर जमीनी स्तर पर देखने को मिल रहा है। यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा, क्योंकि आरबीआई ने 31 मार्च 2026 तक 90 प्रतिशत एटीएम में छोटे नोट उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया है।
छोटे नोट क्यों हैं जरूरी
CMS इंफोसिस्टम्स के कार्यकारी अनुश राघवन के अनुसार, देश में अभी भी लगभग 60 प्रतिशत खर्च नकद में ही किया जाता है। ऐसे में छोटे नोटों की मांग अधिक है। छोटे शहरों और गांवों में आज भी डिजिटल पेमेंट की पहुंच सीमित है। वहां नकद लेनदेन ही प्रमुख माध्यम है, जहां बड़े नोटों के चलते अक्सर छुट्टे पैसे की समस्या खड़ी होती है।
यही कारण है कि 100 और 200 रुपये के नोटों की उपलब्धता से न केवल उपभोक्ताओं को सुविधा होती है, बल्कि व्यापारियों को भी बार-बार नोट बदलवाने की जरूरत नहीं पड़ती।
बदले ICICI बैंक के एटीएम ट्रांजेक्शन चार्ज
इस बीच, ICICI बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए एटीएम से संबंधित सर्विस चार्ज में बदलाव की घोषणा की है। ये नए चार्ज 1 जुलाई 2025 से लागू होंगे। इसके तहत मेट्रो शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद और बेंगलुरु में ग्राहक महीने में केवल तीन मुफ्त ट्रांजेक्शन कर सकेंगे। इसके बाद प्रत्येक ट्रांजेक्शन पर 23 रुपये तक शुल्क देना होगा।
वहीं, गैर-मेट्रो शहरों में यह सीमा पांच ट्रांजेक्शन तक होगी। पांच से अधिक ट्रांजेक्शन करने पर भी प्रति बार 23 रुपये तक की कटौती की जाएगी।
विदेशों में एटीएम ट्रांजेक्शन हुआ और महंगा
ICICI बैंक के अंतरराष्ट्रीय लेनदेन पर भी बदलाव हुए हैं। अब विदेशों में एटीएम से कैश निकालने पर ग्राहकों को 125 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन और 3.5 प्रतिशत करेंसी एक्सचेंज शुल्क चुकाना होगा। यह शुल्क पहले की तुलना में अधिक है और इससे विदेशी यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
इंटरचेंज शुल्क में भी वृद्धि
एटीएम से लेनदेन करने वालों के लिए एक और झटका यह है कि रिजर्व बैंक ने 1 मई 2025 से इंटरचेंज शुल्क बढ़ा दिया है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति उस बैंक के एटीएम से पैसे निकालता है जिसमें उसका खाता नहीं है, तो सीमित मुफ्त ट्रांजेक्शन के बाद उसे पहले से अधिक चार्ज देना होगा।
इसमें न केवल पैसे निकालना, बल्कि बैलेंस चेक करना, मिनी स्टेटमेंट निकालना या अन्य सेवाएं शामिल हैं। यह वृद्धि ग्राहकों के लिए निश्चित रूप से खर्चीली हो सकती है।
ग्राहकों के लिए सलाह
इन बदलावों को देखते हुए अब जरूरी हो गया है कि ग्राहक एटीएम का उपयोग सोच-समझकर करें। कोशिश करें कि महीने में सीमित फ्री ट्रांजेक्शन के भीतर ही जरूरतें पूरी कर ली जाएं। साथ ही, डिजिटल पेमेंट के विकल्पों का ज्यादा इस्तेमाल कर अतिरिक्त चार्ज से बचा जा सकता है।
अगर कोई ग्राहक छोटे नोटों की जरूरत महसूस करता है, तो अब बैंक शाखा जाने की बजाय एटीएम से ही उन्हें आसानी से निकाला जा सकता है। खासकर ग्रामीण इलाकों में यह सुविधा बड़ा बदलाव साबित हो सकती है।