AI के गॉडफादर Geoffrey Hinton ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संभावित खतरों पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने चेतावनी दी कि AI का गलत इस्तेमाल जैविक और परमाणु हथियार बनाने में मदद कर सकता है और मानवता के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है। Hinton ने हालिया AI से जुड़े हिंसक और आत्महत्या जैसे मामलों का भी हवाला दिया।
AI Security Alert: Geoffrey Hinton ने हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संभावित खतरों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। अमेरिका में AI विशेषज्ञ Geoffrey Hinton ने कहा कि AI का गलत उपयोग किसी भी व्यक्ति को जैविक या परमाणु हथियार बनाने में सक्षम बना सकता है, जिससे मानवता को बड़ा खतरा हो सकता है। Hinton ने इसे हालिया घटनाओं, जैसे कि AI टूल्स के कारण एक 16 वर्षीय बच्चे की आत्महत्या और बेटे द्वारा मां की हत्या, से जोड़कर समझाया। उनका कहना है कि AI के विकास के साथ इसके दुरुपयोग और सुरक्षा जोखिमों पर गंभीर ध्यान देना जरूरी है।
AI का गलत इस्तेमाल खतरनाक
AI के ‘गॉडफादर’ Geoffrey Hinton ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संभावित खतरों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि अगर AI का दुरुपयोग हुआ तो यह किसी भी व्यक्ति को परमाणु या जैविक हथियार बनाने में मदद कर सकता है, जिससे बड़े पैमाने पर जोखिम उत्पन्न हो सकता है। Hinton ने हाल ही में AI टूल्स से जुड़े गंभीर मामलों का उदाहरण दिया, जिसमें एक 16 साल के बच्चे की आत्महत्या और AI के बहकावे में आकर बेटे द्वारा मां की हत्या शामिल है।
हिंटन ने जोर देकर कहा कि AI विकास के साथ-साथ इसके दुरुपयोग और सुरक्षा जोखिमों पर भी गहन विचार करना जरूरी है। उनके अनुसार, तकनीक जितनी तेजी से बढ़ रही है, उतनी ही जिम्मेदारी के साथ इसे नियंत्रित करना आवश्यक है। विशेषज्ञों का मानना है कि AI जितना लाभकारी है, उतना ही इसके गलत इस्तेमाल से सामाजिक और सुरक्षा संबंधी खतरे भी पैदा हो सकते हैं।
AI Intelligent
Geoffrey Hinton ने यह भी चेतावनी दी कि एआई अत्यंत बुद्धिमान हो सकता है और इसका अनुभव इंसानी अनुभव के समान दिखाई दे सकता है। इसका मतलब यह है कि AI केवल मशीन नहीं है, बल्कि निर्णय लेने और प्रतिक्रिया देने में इंसानी जैसे पैटर्न दिखा सकता है।
हालांकि, हर कोई उनके दृष्टिकोण से सहमत नहीं है। उनके पूर्व सहयोगी यान लेकुन, जो अब मेटा में चीफ एआई साइंटिस्ट हैं, का कहना है कि बड़े लैंग्वेज मॉडल सीमित हैं और वे पूरी तरह से दुनिया के साथ सार्थक संवाद करने में सक्षम नहीं हैं। इससे साफ होता है कि AI की शक्ति के साथ-साथ इसकी सीमाएँ और वास्तविक उपयोग क्षमता पर भी नजर रखना आवश्यक है।