Microsoft ने OpenAI में 27% हिस्सेदारी हासिल कर ली है। 135 अरब डॉलर की इस ऐतिहासिक डील के साथ OpenAI अब गैर-लाभकारी से मुनाफे वाली कंपनी बन गई है। इस समझौते से Microsoft को 2032 तक OpenAI की सभी एआई और एजीआई तकनीकों तक विशेष पहुंच मिलेगी।
Microsoft openai deal: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में एक बड़ा कदम उठाते हुए Microsoft ने चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी OpenAI में 27% हिस्सेदारी खरीद ली है। 135 अरब डॉलर की इस डील से Microsoft को 2032 तक OpenAI की सभी उन्नत तकनीकों, जिनमें एजीआई (Artificial General Intelligence) भी शामिल है, तक पहुंच मिलेगी। इस सौदे के बाद OpenAI अब गैर-लाभकारी से मुनाफे वाली कंपनी बन गई है, जबकि इसके सीईओ सैम ऑल्टमैन को व्यक्तिगत हिस्सेदारी नहीं मिली है।
एक साल चली बातचीत के बाद बनी डील
Microsoft और OpenAI के बीच यह ऐतिहासिक सौदा एक या दो बैठकों का नतीजा नहीं है। दोनों कंपनियों के बीच लगभग एक साल तक गहन बातचीत चली। इसके बाद आखिरकार OpenAI ने Microsoft को अपनी कंपनी का 27 प्रतिशत हिस्सा देने पर सहमति जताई। यह डील न केवल आर्थिक दृष्टि से बड़ी है, बल्कि इसका असर आने वाले वर्षों में पूरे AI उद्योग पर पड़ने वाला है।
माना जा रहा है कि Microsoft को इस समझौते के तहत 2032 तक OpenAI की सभी उन्नत तकनीकों तक पहुंच मिल जाएगी। इसमें आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) जैसी अत्याधुनिक तकनीकें भी शामिल हैं। AGI को AI का सबसे उन्नत और भविष्य का रूप कहा जाता है, जो इंसानों की तरह सोचने और निर्णय लेने की क्षमता वाली मशीनें विकसित करने पर केंद्रित है।
Microsoft के शेयरों में उछाल
जैसे ही इस बड़ी डील की खबर बाजार में फैली, निवेशकों की उत्सुकता बढ़ गई। Microsoft के शेयरों में 4.2 प्रतिशत की तेजी देखी गई और कंपनी के स्टॉक की कीमत बढ़कर 553.72 डॉलर प्रति शेयर तक पहुंच गई। इस तेजी से यह साफ झलकता है कि बाजार को इस डील से बड़ी उम्मीदें हैं। निवेशकों का मानना है कि Microsoft ने आने वाले दशक की सबसे अहम तकनीकी दिशा पर दांव लगाया है।
OpenAI का गैर-लाभकारी से मुनाफे वाली कंपनी बनना

जब OpenAI की स्थापना हुई थी, तब इसका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना नहीं था, बल्कि मानवता के हित में सुरक्षित और जिम्मेदार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास करना था। कंपनी का प्रारंभिक ढांचा गैर-लाभकारी था। लेकिन जैसे-जैसे चैटजीपीटी जैसी तकनीकों की लोकप्रियता और मांग बढ़ी, वैसे-वैसे उनके संचालन की लागत भी कई गुना बढ़ गई।
इन बढ़ती लागतों को पूरा करने और तकनीक के विस्तार के लिए कंपनी को नई वित्तीय संरचना की जरूरत महसूस हुई। इसी जरूरत ने इस बड़े बदलाव की राह खोली। अब OpenAI एक पारंपरिक मुनाफे वाली कंपनी बन चुकी है, हालांकि उसकी मूल गैर-लाभकारी इकाई अभी भी नियंत्रण के कुछ हिस्से पर बनी रहेगी।
सैम ऑल्टमैन को नहीं मिला कोई हिस्सा
इस पूरी डील और पुनर्गठन में सबसे दिलचस्प पहलू कंपनी के सीईओ सैम ऑल्टमैन से जुड़ा रहा। सैम ऑल्टमैन, जो चैटजीपीटी के जनक माने जाते हैं और OpenAI को वैश्विक पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं, उन्हें कंपनी में कोई व्यक्तिगत हिस्सेदारी नहीं मिली है।
OpenAI के चेयरमैन ब्रेट टेलर ने बताया कि इस पुनर्गठन का मकसद किसी व्यक्ति को हिस्सेदारी देना नहीं, बल्कि कंपनी को बड़े निवेश और संसाधनों तक पहुंच दिलाना है। उनके मुताबिक, AGI जैसी तकनीक विकसित करने के लिए भारी पूंजी की जरूरत होती है और Microsoft के साथ साझेदारी से यह संभव हो सकेगा।
AGI पर Microsoft की निगाह
Microsoft के लिए यह डील सिर्फ निवेश नहीं बल्कि भविष्य की तकनीकी बादशाहत को पक्का करने का कदम है। कंपनी का लक्ष्य AGI यानी आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस के विकास में बढ़त हासिल करना है। Microsoft पहले ही OpenAI की तकनीक को अपने उत्पादों जैसे Microsoft Copilot और Bing AI में शामिल कर चुका है। अब यह साझेदारी कंपनी को अगली पीढ़ी की AI तकनीकों तक सीधी पहुंच देगी।
AI की दुनिया में AGI को वह तकनीक माना जाता है जो इंसानों जैसी समझ और तर्क क्षमता वाली मशीनें बना सकती है। यह तकनीक आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्त और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों को पूरी तरह बदल सकती है। Microsoft इस क्षेत्र में अग्रणी बनने की तैयारी में है।













