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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रद्द किया नाबालिग पत्नी से दुष्कर्म का दोषसिद्धि व सज़ा

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रद्द किया नाबालिग पत्नी से दुष्कर्म का दोषसिद्धि व सज़ा

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक करीब दो दशक पुराने मामले में दी गई दुष्कर्म की दोषसिद्धि और सजा को रद्द कर दिया है। कोर्ट का यह फैसला इस आधार पर आया कि घटना के समय महिला की आयु 16 वर्ष से अधिक थी, और दोनों पक्षों का विवाहित संबंध था।

मुख्य बातें

अदालत ने कहा कि “16 वर्ष से अधिक आयु की पत्नी से यौन संबंध दुष्कर्म नहीं माना जाएगा” — यह सिद्धांत अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए इंडिपेंडेंट थोट बनाम भारत संघ (2017) फैसले के बाद ही लागू होगा।

अभियुक्त इस्लाम उर्फ पलटू को दुष्कर्म के आरोप में दोषी ठहराया गया था। लेकिन हाई कोर्ट ने यह निर्णय पलट दिया क्योंकि पीड़िता की आयु और वैवाहिक संबंध के बीच संतुलन देखते हुए उन्हें दोषी नहीं माना जा सकता।
मामले की शुरुआत इस प्रकार है: 29 अगस्त 2005 को दोनों पक्षों ने निकाह किया था। अभियुक्त ने यह दावा भी किया कि दोनों ने स्वेच्छा से साथ रहने का निर्णय लिया था।

निचली अदालत ने अभियुक्त को धारा 376 (दुष्कर्म) सहित अन्य धाराओं के तहत सज़ा सुनाई थी। लेकिन हाई कोर्ट ने यह सज़ा रद्द कर दी।

घटना का समय एवं पृष्ठभूमि

यह मामला करीब दो दशक पुराना है।

आरोप है कि 2005 में अभियुक्त इस्लाम उर्फ पलटू ने एक नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर या ज़बरदस्ती साथ ले गया और शारीरिक संबंध बनाए।

अभियुक्त एवं पीड़िता ने यह दावा किया कि 29 अगस्त 2005 को उनकी निकाह हुई थी।

निचली अदालत ने अभियुक्त को धारा 376 (दुष्कर्म), धारा 366 (फुसलाना / बहलाना / ले जाना) और अन्य धाराओं के अंतर्गत दोषी ठहराया था और विभिन्न सज़ाएं दी थीं।

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