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Android ऐप्स चुपचाप जुटा रहे यूजर डेटा, IIT Delhi की स्टडी में चौंकाने वाला दावा

Android ऐप्स चुपचाप जुटा रहे यूजर डेटा, IIT Delhi की स्टडी में चौंकाने वाला दावा

IIT Delhi के शोध में सामने आया है कि कई Android ऐप्स लोकेशन परमिशन लेकर यूजर की गतिविधियों और आसपास के माहौल तक की जानकारी ट्रैक कर सकते हैं, वह भी बिना कैमरा या माइक्रोफोन के. स्टडी में पता चला कि GPS डेटा के आधार पर फोन यह पहचान सकता है कि यूजर बैठा है, चल रहा है या कमरे में कितने लोग मौजूद हैं.

Android Privacy Risk: IIT Delhi में किए गए एक शोध में खुलासा हुआ है कि कई Android ऐप्स केवल GPS परमिशन के जरिए यूजर की गतिविधियों और आसपास के माहौल की डिटेल जानकारी जुटा सकते हैं. यह अध्ययन एक साल तक 40 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में किया गया, जिसमें AndroCon नाम की सिस्टम तकनीक ने 99% तक सटीकता से लोकेशन पहचान और 87% से ज्यादा सटीकता के साथ मानव गतिविधि ट्रैकिंग दिखाई. अध्ययन में कहा गया कि यह तकनीक प्राइवेसी के लिए गंभीर जोखिम है, इसलिए यूजर्स को ऐप परमिशन देने में ज्यादा सतर्क होना चाहिए.

GPS डेटा से यूजर एक्टिविटी का पूरा ट्रैक

IIT Delhi की स्टडी AndroCon बताती है कि प्रिसाइस लोकेशन की परमिशन लेने वाले Android ऐप्स GPS सिग्नल का उपयोग कर यूजर की डिटेल्ड एक्टिविटी ट्रैक कर सकते हैं. यह सिस्टम बिना कैमरा या माइक्रोफोन के यूजर के मूवमेंट का पता लगा लेता है. यानी फोन को यह पता हो सकता है कि आप मेट्रो में हैं, पार्क में बैठे हैं या अपने कमरे में.

शोध में बताया गया कि यह सिस्टम कमरे की स्थिति तक समझ सकता है, जैसे कमरा खाली है या अंदर लोग मौजूद हैं. यही नहीं, स्टडी के अनुसार हाथ मिलाने जैसी छोटी गतिविधि भी फोन सेंसर पकड़ सकते हैं.

40000 वर्ग किलोमीटर में टेस्ट

IIT Delhi के साइबर सिस्टम और इंफॉर्मेशन एश्योरेंस सेंटर में यह शोध एक साल तक चला और इसे 40000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में टेस्ट किया गया. इस दौरान कई फोन और लोकेशन शामिल किए गए. परिणामों में AndroCon सिस्टम ने आसपास के माहौल का पता लगाने में करीब 99% सटीकता और मानव गतिविधि पहचान में 87% से अधिक सटीकता दिखाई.

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक सामान्य यूजर के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि फोन की लोकेशन परमिशन ही प्राइवेसी का बड़ा खतरा बन सकती है. यह इशारा करता है कि Android यूजर्स को ऐप परमिशन देने में और ज्यादा सावधानी रखनी होगी.

IIT Delhi की यह स्टडी साफ बताती है कि मोबाइल फोन की लोकेशन परमिशन केवल रास्ता दिखाने या डिलीवरी ट्रैक करने के लिए नहीं रह गई है. कई ऐप्स इसका उपयोग यूजर एक्टिविटी और वातावरण समझने में कर सकते हैं, जो भविष्य में प्राइवेसी के लिए गंभीर मुद्दा बन सकता है. यूजर्स को अब ऐप परमिशन देते समय सतर्क रहने और अनावश्यक परमिशन तुरंत रद्द करने की जरूरत है.

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