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अयनी एयरबेस से भारत की वापसी, 25 साल बाद बदली रणनीतिक दिशा, जानें वजह

अयनी एयरबेस से भारत की वापसी, 25 साल बाद बदली रणनीतिक दिशा, जानें वजह

भारत ने ताजिकिस्तान में स्थित अयनी एयरबेस को पूरी तरह खाली कर दिया है। 25 वर्षों तक यहां वायुसेना की मौजूदगी रही। अब भारत अपनी रक्षा नीति को Indo-Pacific क्षेत्र और कूटनीतिक साझेदारी पर केंद्रित कर रहा है। अयनी एयरबेस की वापसी मध्य एशिया में सैन्य उपस्थिति में बदलाव का संकेत देती है।

World News: भारत ने ताजिकिस्तान में स्थित अयनी एयरबेस को पूरी तरह खाली कर दिया है। लगभग 25 वर्षों तक इस एयरबेस पर भारतीय वायुसेना की मौजूदगी रही, जो मध्य एशिया में भारत की रणनीतिक ताकत का प्रतीक मानी जाती थी। अब भारत के इस कदम को उसकी रक्षा नीति और विदेश रणनीति में बड़े बदलाव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

अयनी एयरबेस की रणनीतिक अहमियत

अयनी एयरबेस ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एयरबेस सोवियत काल में बनाया गया था और 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद ताजिकिस्तान के नियंत्रण में चला गया। भारत ने वर्ष 2002 में ताजिकिस्तान के साथ एक रणनीतिक समझौता किया, जिसके तहत इस बेस का पुनर्निर्माण और आधुनिकीकरण भारत ने अपने हाथों में लिया। भारतीय वायुसेना ने यहां MiG-29 फाइटर जेट्स, हेलीकॉप्टर, हैंगर और रनवे सिस्टम को अपग्रेड किया। यह ठिकाना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक संपत्ति था, जिसने उसे अफगानिस्तान और मध्य एशिया में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद की।

अफगानिस्तान और चीन पर निगरानी का फायदा

अयनी एयरबेस की सबसे बड़ी सामरिक ताकत उसकी लोकेशन थी। यह अफगानिस्तान की उत्तरी सीमा से मात्र 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिससे भारत को क्षेत्र में सुरक्षा और निगरानी का मजबूत लाभ मिला। यह बेस पाकिस्तान की गतिविधियों पर भी नजर रखने के लिए उपयोगी साबित होता था।

इसके अलावा, ताजिकिस्तान की सीमा चीन के शिंजियांग प्रांत से लगती है, जिससे भारत को इस क्षेत्र में चीन की सैन्य और आर्थिक गतिविधियों पर नजदीकी नजर रखने में मदद मिलती थी।

ताजिकिस्तान की नीति में बदलाव

हाल के वर्षों में ताजिकिस्तान की राजनीतिक दिशा में बदलाव देखने को मिला है। राष्ट्रपति इमामोली रहमान ने देश में विदेशी सैनिकों की उपस्थिति पर कड़ा रुख अपनाया है। सरकार का मानना है कि किसी भी विदेशी सेना की लंबे समय तक उपस्थिति से ताजिकिस्तान की संप्रभुता (Sovereignty) पर असर पड़ सकता है। इसी कारण, धीरे-धीरे विदेशी सैनिकों की मौजूदगी को सीमित किया जा रहा है। भारत की अयनी एयरबेस से वापसी को इसी नीति का हिस्सा माना जा रहा है।

भारत की नई रक्षा रणनीति – Indo-Pacific पर ध्यान केंद्रित

भारत अब अपनी रक्षा रणनीति को नए सिरे से आकार दे रहा है। जहां पहले मध्य एशिया में स्थायी ठिकानों के जरिए सामरिक मौजूदगी बनाए रखना प्राथमिकता थी, वहीं अब भारत का फोकस Indo-Pacific Region की ओर शिफ्ट हो गया है। अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत का क्वाड (QUAD) गठबंधन इस रणनीतिक बदलाव का प्रतीक है। भारत अब समुद्री सुरक्षा, तकनीकी सहयोग और रक्षा नवाचार को प्राथमिकता दे रहा है।

कूटनीतिक और तकनीकी साझेदारी पर जोर

अयनी एयरबेस को खाली करने के बावजूद भारत ने ताजिकिस्तान के साथ अपने रक्षा और खुफिया सहयोग को बरकरार रखा है। भारत अब पारंपरिक सैन्य उपस्थिति के बजाय कूटनीतिक और तकनीकी साझेदारी के माध्यम से अपने हितों की रक्षा कर रहा है। इसके तहत भारत चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) और उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (International North-South Transport Corridor) जैसे प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम कर रहा है। ये प्रोजेक्ट्स भारत को मध्य एशिया, यूरोप और रूस तक पहुंचने का सीधा मार्ग प्रदान करते हैं।

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