बारिश के मौसम में पानी जमा होने से त्वचा पर फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। खुजली, रैशेज़, पिंपल्स और लाल चकत्ते आम लक्षण हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, साफ-सफाई, गीले कपड़े तुरंत बदलना, वाटरप्रूफ जूते पहनना और मॉइश्चराइजिंग से स्किन की बीमारियों से बचाव संभव है।
Skin problems: बरसात के मौसम में सड़कों पर पानी जमा होने से त्वचा संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। गाजियाबाद के मैक्स अस्पताल की डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. सौम्या सचदेवा के अनुसार, फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन, खुजली, रैशेज़ और लाल चकत्ते आम समस्याएं हैं, जो गीले कपड़ों और नमी के कारण बढ़ती हैं। बचाव के लिए साफ-सफाई बनाए रखना, गीले कपड़े तुरंत बदलना, वाटरप्रूफ जूते पहनना और मॉइश्चराइजिंग का उपयोग जरूरी है। शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करना भी महत्वपूर्ण है।
बारिश के मौसम में आम स्किन समस्याएं
विशेषज्ञों के अनुसार, बारिश में त्वचा की बीमारियां आम होती हैं। इनमें फंगल इंफेक्शन, डैंड्रफ, खुजली, रैशेज़, पिंपल्स और त्वचा पर लाल चकत्ते शामिल हैं। फंगल इंफेक्शन जैसे एथलीट्स फुट और रिंगवर्म गीली जगहों में आसानी से उभरते हैं। खुजली और रैशेज से त्वचा में जलन, दर्द और लालिमा महसूस हो सकती है। यदि समय रहते इलाज न किया जाए, तो संक्रमण फैल सकता है और त्वचा पर स्थायी निशान या दाग रह सकते हैं।
बच्चों और बुजुर्गों में यह खतरा ज्यादा होता है। बच्चों की इम्यूनिटी पूरी तरह विकसित नहीं होती, जिससे उनकी त्वचा संवेदनशील होती है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह बुजुर्गों में भी त्वचा पतली और नमी के प्रति संवेदनशील होती है।
संक्रमण के शुरुआती लक्षण
स्किन पर फंगल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के शुरुआती लक्षणों में खुजली, लाल चकत्ते, छोटे दाने या त्वचा पर छाले शामिल हैं। ऐसे लक्षण दिखते ही डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। शुरुआती इलाज से संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है और त्वचा सुरक्षित रहती है।
साबुन, हैंड सैनिटाइज़र और एंटी-फंगल पाउडर का नियमित और सही तरीके से इस्तेमाल स्किन को संक्रमण से बचाने में मदद करता है। इसके साथ ही त्वचा को बहुत बार रगड़ने से बचें, क्योंकि इससे सूजन और जलन बढ़ सकती है।
स्किन की बीमारियों से बचाव के उपाय
गाजियाबाद के मैक्स अस्पताल की डर्माटोलॉजिस्ट डॉ. सौम्या सचदेवा के अनुसार, बरसात के मौसम में त्वचा की देखभाल और साफ-सफाई सबसे महत्वपूर्ण है। बाहर से घर लौटने के बाद त्वचा को हल्के साबुन और पानी से धोना चाहिए। गीले कपड़े तुरंत बदलने चाहिए ताकि नमी से संक्रमण का खतरा कम हो।
पैरों की देखभाल पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। बाहर निकलते समय वाटरप्रूफ जूते या बूट्स पहनना लाभदायक होता है। यदि जूते और मोज़े गीले हो जाएं, तो उन्हें तुरंत बदलें और पैरों को सुखाएं। पैरों की सतह को साफ रखना भी आवश्यक है।
त्वचा की नमी संतुलित रखने के लिए हल्की मॉइश्चराइजिंग क्रीम का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह त्वचा को नमी बनाए रखने में मदद करती है और संक्रमण से बचाती है।
बच्चों और बुजुर्गों की विशेष देखभाल
बारिश के मौसम में बच्चों की त्वचा विशेष रूप से संवेदनशील होती है। उन्हें गीले कपड़े पहनने से बचाएं और बार-बार हाथ-पैर धोकर साफ रखें। बुजुर्गों की त्वचा पतली होती है, इसलिए उन्हें भी गीले वातावरण से बचाना जरूरी है। बच्चों और बुजुर्गों के जूते, मोज़े और कपड़ों की साफ-सफाई का ध्यान रखें।
बरसात के मौसम में घर में भी नमी के कारण फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। पानी जमा होने वाले स्थानों को सुखाएं और हवा के आने के लिए दरवाजे और खिड़कियों को खुला रखें। बाहर जाते समय वाटरप्रूफ जूते पहनें और पैरों को पूरी तरह से सुखाएं।