विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2025 11 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर मानी जाती हैं और साधक को शुभ फल प्राप्त होते हैं। इस वर्ष कई शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें वृद्धि, ध्रुव और शिववास योग शामिल हैं, जो इसे और अधिक लाभकारी बनाते हैं।
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2025: इस साल विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 11 सितंबर को मनाई जाएगी, जब श्रद्धालु भगवान गणेश की पूजा और व्रत करेंगे। यह पर्व विशेष रूप से जीवन में बाधाएं दूर करने और शुभ फल प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली यह चतुर्थी तिथि 10 सितंबर दोपहर 03:37 बजे से शुरू होकर 11 सितंबर दोपहर 12:45 बजे समाप्त होगी। इस अवसर पर लोग विशेष भोग अर्पित कर, मंत्रों का जप और व्रत कथा का पाठ करेंगे, ताकि जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी की तिथि और समय
इस साल विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 11 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी। वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 10 सितंबर दोपहर 03:37 बजे शुरू होकर 11 सितंबर दोपहर 12:45 बजे समाप्त होगी। इस दौरान श्रद्धालु भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर व्रत करते हैं और उन्हें विशेष भोग अर्पित करते हैं।
शुभ योग और मुहूर्त
ज्योतिषियों के अनुसार इस बार संकष्टी चतुर्थी के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें वृद्धि और ध्रुव योग के साथ शिववास योग भी शामिल है। इसे अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस दिन के विशेष मुहूर्त इस प्रकार हैं:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:31 से 05:18 बजे
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:23 से 03:12 बजे
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:32 से 06:55 बजे
- निशिता मुहूर्त: रात्रि 11:55 से 12:41 बजे
पूजा विधि और परंपराएं
व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनें। चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। लाल फूल, दूर्वा, रोली और चंदन अर्पित करें। देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें। व्रत कथा का पाठ करें और मंत्रों का जप करें। गणेश चालीसा का पाठ करें और मोदक व लड्डू का भोग भगवान को अर्पित करें। अंत में जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और बाधा मुक्त जीवन की कामना करें।
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता लाने का माध्यम भी मानी जाती है। श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा करने से साधक के घर और जीवन में सुख-शांति का संचार होता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं।