भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष के नामों पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया पूरी कर ली है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी इन नामों को अंतिम रूप देने से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की पसंद को प्राथमिकता दे रही है।
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष किसी ब्राह्मण को बनाए जाने की संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं। कुछ दिन पहले ही एनबीटी ऑनलाइन ने इस बारे में एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट प्रकाशित की थी। वहीं, पार्टी उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष के लिए किसी ओबीसी नेता को नियुक्त करने पर विचार कर रही है।
इस बीच बीजेपी ने गुजरात और झारखंड के प्रदेश अध्यक्षों के नाम पहले ही घोषित कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने अपने राष्ट्रीय और यूपी प्रदेश अध्यक्ष के लिए चर्चाओं और परामर्श की प्रक्रिया पूरी कर ली है। हालांकि, इन नामों की घोषणा बिहार चुनाव के बाद ही होने की संभावना है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी प्रदेश अध्यक्ष का फाइनल निर्णय
बीजेपी ने हाल ही में गुजरात और झारखंड के प्रदेश अध्यक्षों के नाम घोषित कर दिए हैं। अब पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी प्रदेश अध्यक्ष के लिए परामर्श और चर्चाओं की प्रक्रिया पूरी कर ली है। सूत्र बताते हैं कि यूपी में 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं, और इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा।
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी आने वाले दिनों में दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक और त्रिपुरा के प्रदेश अध्यक्षों के नाम भी घोषित कर सकती है। यूपी प्रदेश अध्यक्ष का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम से पहले घोषित होने की संभावना जताई जा रही है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के हाथों में यह निर्णय होगा कि प्रदेश में ब्राह्मण या ओबीसी नेता को जिम्मेदारी दी जाए।
आरएसएस की मुहर अनिवार्य
सूत्रों का कहना है कि चाहे राष्ट्रीय अध्यक्ष हों या यूपी प्रदेश अध्यक्ष, दोनों पदों पर निर्णय लेने से पहले RSS की सहमति लेना जरूरी है। संघ परिवार में दोनों पदों के लिए व्यापक मंथन हो चुका है। रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए हाल में नियुक्त दो चुनाव प्रभारियों और एक पूर्व मुख्यमंत्री के नाम पर विचार हुआ है। दक्षिण भारत के एक केंद्रीय मंत्री ने इस पद के लिए स्वयं को 'सक्षम' नहीं बताया, जबकि एक पूर्व सीएम ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की उम्र लगभग 60 वर्ष के आसपास होनी चाहिए। इसका मतलब यह है कि अनुभव और ऊर्जा दोनों को महत्व दिया जा रहा है।
संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा है कि सरकार और संगठन दो अलग हिस्से हैं। सरकार में संघ का दखल नहीं है, लेकिन संगठन RSS परिवार का हिस्सा है। इसलिए संगठन की अगुवाई करने वाले नेता के चयन में संघ की सहमति अनिवार्य होगी। इसका साफ संकेत यह है कि चाहे राष्ट्रीय अध्यक्ष हों या यूपी प्रदेश अध्यक्ष, BJP द्वारा किए गए चयन पर संघ की मुहर होना जरूरी है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (क्षत्रीय) हैं। ऐसे में संभावना है कि पार्टी किसी ओबीसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में आगे बढ़ाएगी। वहीं, केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (ओबीसी) के नेतृत्व में सरकार होने के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर ब्राह्मण चेहरे को चुना जा सकता है।