रूस ने भारत के साथ अपने रिश्तों को लेकर बड़ा बयान दिया। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत-रूस की दोस्ती अटूट है और इसे तोड़ने की हर कोशिश नाकाम होगी।
India-Russia Relation: भारत और रूस के रिश्ते दशकों से मजबूत रहे हैं। 1971 की जंग में सोवियत संघ (अब रूस) ने जिस तरह भारत का साथ दिया था, वह इतिहास का अहम अध्याय है। तब से लेकर अब तक कई बार इन रिश्तों में दरार डालने की कोशिशें हुईं, लेकिन हर बार यह दोस्ती और मजबूत होती गई।
रूसी विदेश मंत्रालय का बयान
हाल ही में रूस के विदेश मंत्रालय ने भारत को लेकर बड़ा बयान दिया। मंत्रालय ने साफ कहा कि भारत और रूस के बीच की दोस्ती को तोड़ने की हर कोशिश नाकाम होगी। रूस ने इस बात की भी सराहना की कि भारत ने वैश्विक दबाव और धमकियों के बावजूद मॉस्को के साथ सहयोग जारी रखा है और इसे आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दिखाई है।
ट्रंप प्रशासन की कोशिशें
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाने का फैसला लिया था। उनका मानना था कि इससे भारत-रूस संबंधों पर असर पड़ेगा। लेकिन रूस ने अब जो बयान दिया है, उसने साबित कर दिया कि भारत और रूस की दोस्ती केवल आर्थिक नहीं बल्कि रणनीतिक और ऐतिहासिक भी है।
भारत का स्पष्ट रुख
भारत ने भी कई मौकों पर यह साफ कर दिया है कि उसकी विदेश नीति पूरी तरह से उसके राष्ट्रीय हितों (National Interests) पर आधारित है। हाल ही में रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने कहा था कि भारतीय कंपनियां वहीं से तेल खरीदेंगी, जहां उन्हें सबसे अच्छा सौदा मिलेगा। भारत ने यह भी दोहराया कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने वाले कदम उठाता रहेगा।
यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका ने भारत पर आरोप लगाया कि वह रूस से कच्चा तेल खरीदकर मॉस्को की मदद कर रहा है। लेकिन भारत ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। भारत का तर्क है कि तेल आयात पूरी तरह से उसके आर्थिक हितों और ऊर्जा जरूरतों पर आधारित है।
ट्रंप प्रशासन का रुख
दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप प्रशासन ने रूस पर सीधे कड़े प्रतिबंध नहीं लगाए। हालांकि भारत पर टैरिफ बढ़ाने के फैसले से रिश्तों में कुछ तनाव जरूर आया। खुद ट्रंप ने स्वीकार किया कि उनके इस फैसले से भारत और अमेरिका के बीच मतभेद पैदा हुए। लेकिन इन सबके बावजूद भारत ने रूस के साथ अपने सहयोग को बनाए रखा।
भारत-रूस सहयोग की मजबूती
भारत और रूस का सहयोग सिर्फ तेल व्यापार तक सीमित नहीं है। रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष, विज्ञान और शिक्षा जैसे कई क्षेत्रों में दोनों देश दशकों से एक-दूसरे के अहम साझेदार रहे हैं। वहीं रक्षा क्षेत्र में रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है। इसके अलावा परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं में भी रूस भारत का सहयोगी है।