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भारतीयों की यूरोप ट्रिप पर 'वीजा ट्रैफिक जाम' का साया: शेंगेन वीजा बना सबसे बड़ी रुकावट

भारतीयों की यूरोप ट्रिप पर 'वीजा ट्रैफिक जाम' का साया: शेंगेन वीजा बना सबसे बड़ी रुकावट

भारतीय यात्रियों के लिए शेंगेन वीजा हासिल करना 2025 में भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है, खासकर गर्मियों की छुट्टियों के मौसम में, जब यूरोप घूमने की प्लानिंग चरम पर होती है।

Visa Traffic Jam: गर्मियों की छुट्टियों में यूरोप की सैर का सपना हर साल हजारों भारतीय पर्यटकों के दिल में होता है, लेकिन 2025 में भी यह सपना ‘वीजा ट्रैफिक जाम’ में फंसा नजर आ रहा है। लगातार चौथे साल भारतीय यात्रियों को शेंगेन वीजा हासिल करने में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। स्टाफ की भारी कमी, बढ़ती मांग, और कड़े वीजा नियमों ने इस प्रक्रिया को इतना पेचीदा बना दिया है कि कई पर्यटकों को अपनी यात्रा रद्द तक करनी पड़ रही है।

क्या है शेंगेन वीजा और क्यों है इतना जरूरी?

शेंगेन वीजा यूरोप के 29 देशों में एक बार में यात्रा करने की अनुमति देता है। इसके तहत फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, ऑस्ट्रिया, स्विट्ज़रलैंड और कई अन्य देश शामिल हैं। लेकिन अब इस वीजा को हासिल करना उतना ही मुश्किल हो गया है जितना किसी बड़ी प्रतियोगिता में सीट पाना।भारत की प्रमुख ट्रैवल कंपनियों के मुताबिक, नीदरलैंड के वीजा प्रोसेसिंग में अब 45 दिन तक का वक्त लग रहा है, जबकि क्रोएशिया के वीजा के लिए यह समय 60 दिन तक जा पहुंचा है। 

इससे भी बड़ी समस्या यह है कि भारत में डॉक्यूमेंट जमा करने के बाद फाइनल अप्रूवल यूरोपीय देशों के कांसुलेट से आता है, जो प्रोसेस को और अधिक समय लेने वाला बना देता है। एक ट्रैवल एजेंसी अधिकारी ने बताया: हमारी सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वीजा भारत में एप्लाई होता है लेकिन उसका निर्णय बाहर से आता है। इससे हर स्टेप पर देरी हो रही है।

सबसे ज्यादा डिमांड फ्रांस, जर्मनी और स्पेन की

इस सीजन में भी फ्रांस, जर्मनी और स्पेन भारतीय पर्यटकों की पहली पसंद बने हुए हैं। लेकिन इन देशों के लिए वीजा अपॉइंटमेंट बेहद सीमित हैं। एक वीजा प्रोसेसिंग कंपनी के अधिकारी ने बताया कि स्लॉट सप्ताह में दो बार खुलते हैं, लेकिन 10-15 मिनट में भर जाते हैं। बीएलएस इंटरनेशनल के मैनेजिंग डायरेक्टर शिखर अग्रवाल ने बताया कि बेंगलुरु में नीदरलैंड के वीजा के लिए अप्लाई करने में ही 45 दिन लग गए। उनकी कंपनी स्पेन, स्लोवेनिया, पुर्तगाल, इटली, हंगरी जैसे देशों के वीजा हैंडल करती है।

एस्टोनिया में भारतीय यात्रियों के लिए वीजा रिजेक्शन रेट 37% से 38% तक पहुंच चुका है। इस वजह से कई यात्री इस देश को अपनी यात्रा सूची से बाहर कर रहे हैं। वीजा रिजेक्शन की वजहें आम तौर पर दस्तावेज़ों की कमी, स्पॉन्सर की स्थिति अस्पष्ट होना, या यात्रा उद्देश्य का स्पष्ट न होना बताई जाती हैं।

इस संकट के बीच धार्मिक यात्रियों को कुछ राहत मिली है। विशेष रूप से चर्च संगठनों द्वारा आयोजित पिलग्रिम टूर (Pilgrim Visa) जैसे प्रोग्राम्स में वीजा प्रोसेस अपेक्षाकृत आसान रहा है, लेकिन यह सुविधा हर किसी के लिए उपलब्ध नहीं है।

वीजा प्लानिंग को लेकर सलाह

ट्रैवल एक्सपर्ट्स और एजेंसियों ने भारतीय यात्रियों को सलाह दी है कि वे अपनी यूरोप यात्रा की योजना कम से कम 6 से 12 महीने पहले बनाएं। इससे वीजा अपॉइंटमेंट मिलने और प्रोसेसिंग टाइम को लेकर दिक्कत कम होगी। थॉमस कुक (इंडिया) के सर्विस क्वालिटी प्रमुख अब्राहम अलापट कहते हैं: यात्रियों की डिमांड इस बार भी उतनी ही मजबूत है, लेकिन वीजा बाधाएं उन्हें रुकने पर मजबूर कर रही हैं। हम उन्हें वैकल्पिक यूरोपीय गंतव्यों की ओर भी देखने की सलाह दे रहे हैं।

इटली, फ्रांस, स्पेन और जर्मनी जैसे हाई-डिमांड वाले देशों के बजाय ऑस्ट्रिया, हंगरी और चेक गणराज्य जैसे देशों में जल्दी अपॉइंटमेंट और कम रिजेक्शन दर के चलते भारतीय यात्री अब वहां रुख कर रहे हैं। ये देश शेंगेन जोन का हिस्सा हैं, इसलिए एक वीजा मिलने के बाद इनसे बाकी यूरोप में घूमा जा सकता है।

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