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भोपाल की सड़कें बरसात में बदहाल, 50 करोड़ खर्च के बाद भी गड्ढों और धूल से जूझ रहे लोग

भोपाल की सड़कें बरसात में बदहाल, 50 करोड़ खर्च के बाद भी गड्ढों और धूल से जूझ रहे लोग

भोपाल में मानसून के बाद सड़कों की स्थिति बेहद खराब है। 50 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद नई सड़कें गड्ढों और धूल से जूझ रही हैं। पीडब्ल्यूडी और बीएमसी केवल अस्थायी मरम्मत कर रहे हैं।

भोपाल: मानसून की पहली बारिश ने शहर की सड़कों की खराब स्थिति को फिर से उजागर कर दिया है। करौंद से कोलार, बैरसिया से बिट्टन मार्केट तक की प्रमुख सड़कें बारिश के चलते बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। बावजूद इसके पीडब्ल्यूडी और भोपाल नगर निगम (बीएमसी) केवल अस्थायी गड्ढा भराई पर ही ध्यान दे रहे हैं। तीन साल की मेंटेनेंस जिम्मेदारी निभाने से ठेकेदार भी लगातार बचते नजर आ रहे हैं।

खराब सड़को से राहगीरों और वाहन चालकों को मुश्किले 

इस मानसून सीज़न में शहर की कई सड़कों ने जनता को परेशान कर दिया। रोहित नगर और सलैया इलाके की नई क्रांकीट सड़कें बारिश के तुरंत बाद उखड़ गईं, जिससे राहगीरों और वाहन चालकों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सड़कों में पानी भरने और फिर धूल उड़ने की स्थिति ने दैनिक जीवन को और कठिन बना दिया।

स्थानीय दुकानदार राजीव तिवारी ने बताया कि बारिश में सड़कों के गड्ढे पानी से भरे रहते हैं। पानी सूखने के बाद गड्ढे धूल और मिट्टी से भर जाते हैं। इसके चलते वाहन चलाना बेहद मुश्किल हो गया है। नागरिकों ने बताया कि बीते साल 50 करोड़ रुपये सड़क रखरखाव पर खर्च किए गए, लेकिन इसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।

अस्थायी मरम्मत से बढ़ती परेशानियां

बीएमसी और पीडब्ल्यूडी द्वारा की जा रही अस्थायी मरम्मत भी कारगर साबित नहीं हो रही। गड्ढा भराई का काम मनमाने ढंग से किया जा रहा है, जिससे सड़कें मरम्मत के तुरंत बाद ही फिर से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। ऐसे में नागरिकों को रोजाना टूटी-फूटी सड़कों पर सफर करने को मजबूर होना पड़ता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क मरम्मत में गुणवत्ता और सामग्री पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। गड्ढा भराई के साथ-साथ उचित ड्रेनेज और सड़क की मजबूती पर ध्यान देना आवश्यक है। न होने के कारण सड़कें बार-बार टूटती और गड्ढेदार होती रहती हैं।

मेंटनेंस कॉन्ट्रैक्ट पर उठ रहे सवाल

सड़क निर्माण के नियम के अनुसार नए निर्माण की गई सड़कों की तीन साल तक मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है। लेकिन भोपाल में ठेकेदार इस जिम्मेदारी से लगातार बचते नजर आ रहे हैं। इसके चलते मरम्मत कार्य अस्थायी और बेकार साबित हो रहा है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि बीएमसी और पीडब्ल्यूडी हर मानसून के बाद सड़कों की मरम्मत का वादा करते हैं, लेकिन न तो कोई व्यवस्थित सर्वे होता है और न ही कोई ठोस योजना बनाई जाती है। ऐसे में शहरवासी सड़कों की खराब हालत से लगातार जूझ रहे हैं।

सुधार के लिए उठाए जाने चाहिए ठोस कदम

विशेषज्ञों और नागरिकों का सुझाव है कि सड़क मरम्मत और रखरखाव के लिए ठोस योजना बनाई जाए। गड्ढा भराई के बजाय पूरी सड़क की मजबूती और गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। ड्रेनेज सिस्टम को सुधारना, सड़क की सामग्री की जांच करना और ठेकेदार को उनकी जिम्मेदारी निभाने के लिए बाध्य करना आवश्यक है।

भोपाल शहरवासियों की यह मांग है कि बीएमसी और पीडब्ल्यूडी सिर्फ दिखावे के काम न करें। यदि यह कार्य ठोस ढंग से किया गया, तो सड़कों की हालत में सुधार और वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

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