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बिटकॉइन माइनिंग पर चीन का दबदबा, अमेरिका को साइबर खतरे की आशंका


MARA Holdings, जो अमेरिका की एक प्रमुख डिजिटल एसेट कंपनी है और Auradine का एक बड़ा निवेशक भी है, इस मांग का समर्थन कर रही है। दोनों कंपनियों का मानना है कि यदि अमेरिका में ही माइनिंग हार्डवेयर का उत्पादन बढ़ाया जाए, तो इससे देश को टेक्नोलॉजिकल बढ़त मिलेगी और चीन पर निर्भरता भी कम होगी।

बिटकॉइन माइनिंग आज दुनिया भर में एक तकनीकी प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन चुका है। जिस तकनीक की शुरुआत कुछ वर्षों पहले तक एक सीमित वर्ग के बीच हुई थी, वह अब वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक बहस का मुद्दा बन चुकी है। इस तकनीकी दौड़ में चीन ने न केवल अपनी पकड़ बनाई है, बल्कि बिटकॉइन माइनिंग मशीनों के निर्माण में भी लगभग एकाधिकार स्थापित कर लिया है। वहीं अमेरिका अब इस स्थिति से परेशान है और इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानने लगा है।

चीन का माइनिंग मशीनों पर वर्चस्व

दुनिया में बिटकॉइन माइनिंग के लिए जिस हार्डवेयर की आवश्यकता होती है, वह अत्यंत शक्तिशाली और ऊर्जा-गहन होता है। इस क्षेत्र में चीन की तीन बड़ी कंपनियां – Bitmain, Canaan और MicroBT – मिलकर लगभग 90 प्रतिशत से अधिक मशीनों का निर्माण करती हैं। ये मशीनें दुनिया भर में खासकर अमेरिका, रूस और यूरोप में बड़ी संख्या में निर्यात होती हैं।

हालांकि चीन ने 2021 में घरेलू क्रिप्टो माइनिंग और ट्रेडिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन मशीन निर्माण अब भी उसी पैमाने पर जारी है। यही वजह है कि अमेरिका की कंपनियां इस पर आश्रित हो गई हैं और इसे अब रणनीतिक चिंता मान रही हैं।

अमेरिका में घुसपैठ कर रहीं चीनी कंपनियां

अमेरिका में इन मशीनों पर 30 प्रतिशत तक का आयात शुल्क लगाने के बाद चीनी कंपनियों ने वहां उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई है। Bitmain ने दिसंबर 2024 में अमेरिका में उत्पादन शुरू कर दिया है। Canaan ने ट्रायल प्रोडक्शन की शुरुआत की है और MicroBT भी स्थानीय स्तर पर उत्पादन शुरू करने की तैयारी में है।

इस कदम से इन कंपनियों को टैक्स से राहत तो मिलेगी ही, साथ ही वे अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी भी मजबूत कर पाएंगी। इसके अलावा, स्थानीय स्तर पर उत्पादन से अमेरिकी उपभोक्ताओं को त्वरित सप्लाई भी मिल सकेगी, जिससे उनकी निर्भरता चीन पर बनी रहेगी।

अमेरिकी कंपनियों की आपत्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा

अमेरिका की क्रिप्टो कंपनी Auradine ने चीन से आने वाले माइनिंग हार्डवेयर पर रोक लगाने की मांग की है। कंपनी के अधिकारी संजय गुप्ता का कहना है कि यदि लाखों चीनी मशीनें अमेरिका के बिजली ग्रिड से जुड़ती हैं, तो यह एक संभावित साइबर खतरे में बदल सकता है।

उनके अनुसार, ये मशीनें केवल डाटा प्रोसेसिंग नहीं करतीं, बल्कि यह संभावित रूप से ऐसे कोड या प्रोग्राम के जरिए कंट्रोल हो सकती हैं जो बाहरी हस्तक्षेप को संभव बना दें। इस खतरे के मद्देनजर उन्होंने इसे सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि एक राजनीतिक और सुरक्षा से जुड़ा विषय बताया है।

चीन की सफाई और अलग दृष्टिकोण

दूसरी ओर Canaan के अधिकारी लियो वांग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि माइनिंग मशीनें सिर्फ एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई जाती हैं – यानी बिटकॉइन माइनिंग। उनका मानना है कि इन मशीनों से किसी भी तरह का जासूसी खतरा या साइबर अटैक नहीं हो सकता।

इसके बावजूद अमेरिकी पक्ष इस पर विश्वास नहीं कर पा रहा है, क्योंकि चीन का तकनीकी विस्तार और विभिन्न क्षेत्रों में उसकी उपस्थिति पहले ही वैश्विक चिंता का कारण बन चुकी है। हुवावे, टिक टॉक और अलीबाबा जैसी कंपनियों पर पहले ही अमेरिकी सरकार प्रतिबंध लगा चुकी है, जिससे यह जाहिर है कि अमेरिका तकनीकी प्रभुत्व को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर देखता है।

2021 के बाद बदले समीकरण

2019 तक चीन न केवल माइनिंग मशीनें बनाता था, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी माइनिंग सुविधाएं भी वहीं थीं। लेकिन 2021 में चीन सरकार ने जब क्रिप्टोकरेंसी पर कड़ा रुख अपनाया और माइनिंग पर प्रतिबंध लगाया, तब से कंपनियों को अपनी इकाइयां विदेशों में स्थानांतरित करनी पड़ीं।

Canaan जैसी कंपनियों ने सिंगापुर को अपना मुख्यालय बनाया और अमेरिका में उत्पादन की दिशा में कदम बढ़ाए। इसका कारण यह भी है कि Canaan की बिक्री का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अमेरिका से आता है। ऐसे में अमेरिकी मांग को पूरा करने के लिए वहां उत्पादन आवश्यक हो गया है।

डोनाल्ड ट्रंप और क्रिप्टो नीति

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने इस विषय को और अधिक राजनीतिक रंग दे दिया है। ट्रंप ने न केवल चीन से आने वाले हाई-टेक प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ाया, बल्कि खुद को क्रिप्टो फ्रेंडली भी बताया है। वे अमेरिकी बिटकॉइन रिजर्व बनाने की बात कर चुके हैं और क्रिप्टो को भविष्य की तकनीक मानते हैं।

उनकी इस रणनीति से एक ओर घरेलू माइनिंग उद्योग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर चीन पर दबाव बनाने का प्रयास भी हो रहा है। Bitmain की AI यूनिट Sophgo को अमेरिका ने पहले ही ब्लैकलिस्ट कर दिया है, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि अमेरिका तकनीकी और रणनीतिक सुरक्षा को अत्यंत गंभीरता से ले रहा है।

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