अमेरिका ने मिनटमैन-3 ICBM का सफल परीक्षण किया। यह 'डूम्स डे मिसाइल' बड़े शहरों और रणनीतिक ठिकानों को मिनटों में निशाना बनाने में सक्षम है। परीक्षण से वैश्विक सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन पर असर हो सकता है।
Minuteman-3: अमेरिका ने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल (ICBM) मिनटमैन-3 का सफल परीक्षण किया है। इस परीक्षण के बाद यह मिसाइल अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा चर्चा का केंद्र बन गई है। इसे 'डूम्स डे मिसाइल' या 'कयामत की मिसाइल' भी कहा जाता है। अमेरिका के अनुसार इस परीक्षण का उद्देश्य केवल अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस मिसाइल के जरिए रूस के मॉस्को और चीन के बीजिंग जैसे बड़े शहरों को मिनटों में निशाना बनाया जा सकता है।
मिनटमैन-3 को क्यों कहा जाता है डूम्स डे मिसाइल
मिनटमैन-3 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'डूम्स डे मिसाइल' और 'सिटी किलर' के नाम से जाना जाता है। इसकी वजह इसकी अत्यधिक शक्ति और लंबी दूरी की क्षमता है। यह मिसाइल बड़े शहरों और रणनीतिक ठिकानों पर मिनटों में हमला कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी तैनाती और परीक्षण से दुनिया में परमाणु हथियारों के संतुलन और सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिका ने इस मिसाइल को 5 नवंबर 2025 को एयर फोर्स ग्लोबल स्ट्राइक कमांड के तहत लॉन्च किया।
मिनटमैन-3 मिसाइल की तकनीकी विशेषताएं

मिनटमैन-3 मिसाइल लगभग 5500 किलोमीटर या उससे अधिक दूरी तक निशाना साधने में सक्षम है। इसे 1970 के दशक में पहली बार तैनात किया गया था। यह अमेरिका की न्यूक्लियर ट्रायड का जमीनी हिस्सा है। न्यूक्लियर ट्रायड में तीन प्रकार की मिसाइलें शामिल हैं। पहली जमीन से दागी जाने वाली मिसाइलें हैं, दूसरी पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली मिसाइलें और तीसरी एयरक्राफ्ट से छोड़ी जाने वाली मिसाइलें। मिनटमैन-3 एक बार में कई निशाने भेद सकती है और यह अमेरिकी रक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
क्या केवल युद्ध में इस्तेमाल के लिए है मिनटमैन-3
अमेरिका के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि मिनटमैन-3 एक प्रतिरक्षक हथियार है। इसका उद्देश्य किसी परमाणु हमले को रोकना है। इसे आक्रामक रूप से इस्तेमाल करने का इरादा नहीं है। दुनिया में रूस, चीन, भारत और उत्तर कोरिया के पास भी इसी प्रकार की मिसाइलें मौजूद हैं। इन मिसाइलों की मौजूदगी अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।
दुनिया में न्यूक्लियर परीक्षण की संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस, चीन और उत्तर कोरिया भी इस तरह के मिसाइल परीक्षण कर सकते हैं। इससे 1996 में हुई परमाणु संधि (Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty) पर असर पड़ सकता है। अमेरिकी परीक्षण के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने अधिकारियों को परमाणु परीक्षण की तैयारी के आदेश दे दिए हैं। यह कदम वैश्विक सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।











