छठ पूजा 2025 में घर न जा पाने वाले छात्र और नौकरीपेशा भी छठी मईया का आशीर्वाद घर बैठे पा सकते हैं। दीपक जलाना, फल और ठेकुआ अर्पित करना, लाइव घाट दर्शन और परिवार के साथ वीडियो कॉल के जरिए भक्ति और श्रद्धा का अनुभव संभव है। पर्व का असली महत्व मन की भक्ति और आत्मसमर्पण में निहित है।
छठ पूजा: घर से दूर रहकर भी छठी मईया के दर्शन संभव बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और देश के कई हिस्सों में 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मनाया जाने वाला छठ पूजा पर्व घर न जा पाने वाले छात्रों और नौकरीपेशाओं के लिए अब घर बैठे भी अनुभव किया जा सकता है। दीपक जलाना, फल, ठेकुआ अर्पित करना, ऑनलाइन लाइव घाट दर्शन और परिवार के साथ वीडियो कॉल के जरिए श्रद्धालु छठी मईया के आशीर्वाद और भक्ति का अनुभव कर सकते हैं। इस तरह, पर्व का असली संदेश भक्ति और आत्मसमर्पणसभी तक पहुंचता है।
घर पर ही छठ घाट का अनुभव बनाएं
अगर आप घर नहीं जा पा रहे हैं, तो सबसे पहले अपने कमरे या घर को स्वच्छ और पूजा योग्य स्थान में बदलें। मिट्टी या पीतल के दीपक में सरसों का तेल भरकर घर के अलग-अलग कोनों में जलाएं। यह दीपक सिर्फ रोशनी नहीं, बल्कि भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक भी होते हैं।
इसके बाद मन में सच्ची भावना और आस्था के साथ छठी मईया का ध्यान करें। पूजा के दौरान छठी मईया की आरती और नहाय-खाय के गीत सुनें या गाएं। इससे घर का माहौल भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाएगा और मन की शांति बनी रहेगी।
घाटों के लाइव दर्शन से जुड़ें
अब तकनीक की मदद से घर बैठे ही आप छठ पूजा के लाइव दर्शन कर सकते हैं। पटना के गंगा घाट, बनारस और अन्य प्रमुख घाटों से ऑनलाइन प्रसारण उपलब्ध हैं। इन लाइव कार्यक्रमों को देखकर मन में वही भाव उत्पन्न होता है जैसे आप स्वयं घाट पर उपस्थित हों।
यदि संभव हो तो अपने नज़दीकी छठ घाट पर जाकर किसी व्रती से आशीर्वाद और प्रसाद प्राप्त करना भी एक विकल्प है। इससे भले ही आप घर से दूर हों, आपको पर्व का अनुभव प्रत्यक्ष रूप में मिलेगा।
फल, गन्ना और ठेकुआ से अर्पण करें
छठ पूजा का मूल भाव शुद्धता और आत्मसमर्पण है। इसलिए अगर आप व्रती नहीं हैं, तब भी फल, गन्ना, ठेकुआ या गुड़ के रूप में अर्पण करें। इसके अलावा, किसी गरीब या व्रती को इन सामग्री का दान भी कर सकते हैं।
छोटी-छोटी ये क्रियाएं छठी मईया को प्रसन्न करती हैं और आपकी श्रद्धा स्वीकार होती है। इससे यह साबित होता है कि छठ पूजा केवल घाट या मंदिर तक सीमित नहीं है, बल्कि मन की भक्ति और समर्पण में इसका महत्व है।
परिवार के साथ वीडियो कॉल के माध्यम से जुड़े
घर से दूर रहते हुए अपने माता-पिता और परिवार के साथ वीडियो कॉल के जरिए जुड़ना एक आसान और प्रभावी तरीका है। जब आपके परिवार वाले घाट पर पूजा कर रहे हों, तब आप कॉल के जरिए शामिल होकर आरती और अर्घ्य में जय छठी मईया बोल सकते हैं। इससे आप भी उत्सव का हिस्सा बन जाते हैं।
इस प्रक्रिया से मन का समर्पण और भक्ति दोनों मजबूत होते हैं। डिजिटल माध्यम से जुड़कर, आप घर से दूर रहते हुए भी अपने परिवार और धार्मिक परंपरा के साथ जुड़ाव महसूस कर सकते हैं।
छठ पूजा का असली महत्व
छठ पूजा का असली अर्थ केवल घाट या घर में उपस्थित होने में नहीं है। यह पर्व मन की भक्ति, आत्मसमर्पण और परिवार के प्रति सम्मान का प्रतीक है। चाहे आप कहीं भी हों, यदि आपका मन सच्ची श्रद्धा से भरा है, तो छठी मईया आपकी भक्ति को स्वीकार करेंगी।
छोटे-छोटे उपाय जैसे दीपक जलाना, फल और ठेकुआ अर्पित करना, लाइव दर्शन करना और परिवार से जुड़े रहना इनसे आप घर से दूर रहते हुए भी छठ पूजा का पूर्ण अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
छठ पूजा में सावधानियां और टिप्स
- पूजा के लिए घर को साफ और व्यवस्थित रखें।
- दीपक जलाने और अर्पण सामग्री को सुरक्षित स्थान पर रखें।
- ऑनलाइन लाइव दर्शन के लिए भरोसेमंद वेबसाइट या ऐप का ही इस्तेमाल करें।
- बच्चों और बुजुर्गों को ध्यान में रखते हुए पूजा स्थल तैयार करें।
- मन में शांति और भक्ति बनाए रखें, क्योंकि यही छठ पूजा का मूल उद्देश्य है।
छठ पूजा 2025 में घर न जाने वाले छात्रों और नौकरीपेशाओं के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं। दीपक जलाना, लाइव दर्शन, अर्पण और परिवार के साथ वीडियो कॉल के जरिए आप घर से दूर रहते हुए भी पर्व का आनंद और भक्ति अनुभव कर सकते हैं। इस प्रकार, आस्था और श्रद्धा ही छठ पूजा का सबसे बड़ा संदेश है।