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Copper Price: 3 अक्टूबर को कॉपर ने बनाया ऐतिहासिक रिकॉर्ड, इन शेयरों पर रखें नजर

Copper Price: 3 अक्टूबर को कॉपर ने बनाया ऐतिहासिक रिकॉर्ड, इन शेयरों पर रखें नजर

3 अक्टूबर 2025 को कॉपर ने भारतीय बाजार में ₹972.55 प्रति किलोग्राम की ऐतिहासिक ऊँचाई छू ली। इसकी तेजी के पीछे वैश्विक सप्लाई संकट, चीन-भारत में बढ़ती मांग और स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग मुख्य कारण रहे। इस रैली का असर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो, कृषि उपकरण और कंस्ट्रक्शन सेक्टर पर दिखाई देगा।

Copper Price: भारतीय कमोडिटी बाजार में शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025 को कॉपर ने इतिहास रचते हुए ₹972.55 प्रति किलोग्राम के स्तर को छू लिया। वैश्विक सप्लाई संकट, रूस पर मेटल सप्लाई बैन, चीन और भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर व इलेक्ट्रिक वाहन प्रोजेक्ट्स की बढ़ती मांग और बड़े ट्रेडिंग हाउसेज की खरीदारी इस तेजी के मुख्य कारण मानी जा रही हैं। इस रैली का असर इलेक्ट्रिकल्स, ऑटो और कंस्ट्रक्शन सेक्टरों पर पड़ेगा और कीमतों में उछाल ला सकता है।

क्यों बढ़ी कॉपर की कीमतें?

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तेजी के पीछे तीन प्रमुख कारण रहे हैं।

  1. वैश्विक सप्लाई संकट: इंडोनेशिया की मशहूर Grasberg Mines में खनन गतिविधियां बाधित हुई हैं। इसके अलावा, अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस से आने वाली कॉपर सप्लाई पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे वैश्विक बाजार में कॉपर की उपलब्धता कम हो गई और कीमतों में तेजी आई।
  2. बढ़ती मांग: चीन और भारत जैसे देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर, इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा और डिकार्बनाइजेशन प्रोजेक्ट्स तेजी से बढ़ रहे हैं। इन सभी क्षेत्रों में कॉपर की भारी मांग है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों से लेकर सोलर पैनल और केबलिंग तक, हर जगह कॉपर का इस्तेमाल बढ़ रहा है।
  3. स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग: बड़े ट्रेडिंग हाउसेज और फंड्स ने कॉपर में जमकर खरीदारी की। इन निवेशकों की सक्रियता से बाजार में तेजी और बढ़ी और कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार का हाल

कॉपर की तेजी केवल भारत तक सीमित नहीं रही। LME (लंदन मेटल एक्सचेंज) पर कॉपर $10,028 प्रति टन तक चढ़ा। वहीं, Comex पर यह $4.88 प्रति पाउंड तक पहुंच गया। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि ग्लोबल मार्केट में भी कॉपर की डिमांड और सप्लाई के बीच बड़ा गैप बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सप्लाई संकट और बढ़ती मांग के कारण कीमतों में मजबूती बनी हुई है।

उद्योग और उपभोक्ताओं पर असर

कॉपर की कीमतों में इस रैली का सीधा असर कई सेक्टरों पर पड़ेगा।

  • इलेक्ट्रिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स: तार, केबल और सर्किट्स की कीमतों में बढ़ोतरी होगी।
  • ऑटो और EV सेक्टर: इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी और मोटर पार्ट्स की लागत बढ़ सकती है।
  • कृषि उपकरण: ट्रैक्टर और पंप सेट जैसे उपकरण महंगे हो सकते हैं।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स: कंस्ट्रक्शन लागत में उछाल आने की संभावना है।

इन क्षेत्रों में कीमतों में बढ़ोतरी निवेशकों और निर्माताओं दोनों के लिए चिंता का विषय बन सकती है।

कॉपर की तेजी: सप्लाई-संकट और मजबूत मांग का असर

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सप्लाई में दिक्कतें बनी रहीं और मांग मजबूत रही, तो कॉपर की यह तेजी आगे भी जारी रह सकती है। हालांकि, स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग के चलते बाजार में वोलैटिलिटी भी बढ़ सकती है। निवेशक और इंडस्ट्री को इस स्थिति में सतर्क रहना होगा।

कॉपर की रिकॉर्ड तेजी ने यह भी दिखा दिया है कि कमोडिटी बाजार में सप्लाई और मांग के संतुलन का असर सीधे कीमतों पर पड़ता है। आने वाले महीनों में यह देखा जाएगा कि वैश्विक सप्लाई संकट कितने समय तक बना रहता है और बढ़ती मांग कीमतों को और ऊंचाई तक ले जाती है या नहीं।

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