वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत 8% जीडीपी वृद्धि की ओर बढ़ रहा है और वैश्विक टैरिफ, भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अस्थिरताओं के बावजूद देश इन झटकों को झेलने में सक्षम है। उन्होंने बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार और ग्लोबल सहयोग पर जोर दिया, ताकि व्यापार और निवेश में स्थिरता बनी रहे।
GDP growth: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन 2025 में कहा कि भारत 8% जीडीपी ग्रोथ की ओर अग्रसर है। वैश्विक टैरिफ, भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार असंतुलन के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था इन झटकों को झेलने में सक्षम है। उन्होंने बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार और वैश्विक सहयोग को स्थिरता के लिए जरूरी बताया, जिससे भारत का आत्मनिर्भर और विकसित भारत बनने का लक्ष्य 2047 तक पूरा हो सके।
वैश्विक अस्थिरताओं के बीच भारत का विकास
सीतारमण ने कहा कि दुनिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और टैरिफ वैश्विक अर्थव्यवस्था को नया रूप दे रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत इन अस्थिरताओं के बावजूद विकास की दिशा में अग्रसर है। उनका कहना था कि भारत 2047 तक विकसित और आत्मनिर्भर देश बनने की दिशा में निरंतर कदम बढ़ा रहा है और इसके लिए 8 प्रतिशत की जीडीपी ग्रोथ जरूरी है।
वित्त मंत्री ने बताया कि वैश्विक व्यापार और निवेश में बदलाव कोई मामूली झटका नहीं बल्कि बड़ा संरचनात्मक बदलाव हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिबंध, टैरिफ और अलगाव की नीतियां वैश्विक सप्लाई चेन को बदल रही हैं। भारत के लिए ये बदलाव अवसर भी हैं और चुनौती भी। ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम लचीलापन दिखाकर लीडर बनते हैं या अनिश्चितता से बचने की कोशिश करते हैं।
आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक भागीदारी
निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को स्पष्ट किया। उनका कहना था कि आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का मतलब बंद अर्थव्यवस्था नहीं है। भारत वैश्विक अस्थिरताओं के बावजूद अपने घरेलू सुधारों और वैश्विक भागीदारी को संतुलित कर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में बाहरी झटकों को झेलने की ताकत है और यह देश वैश्विक मंच पर मजबूती से अपनी भूमिका निभा रहा है।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी बढ़ाने के साथ-साथ घरेलू सुधारों पर भी ध्यान दे रहा है। उन्होंने वैश्विक व्यापार और ऊर्जा असंतुलन को संभालने की जरूरत पर जोर दिया। इसके लिए नीतिगत सुधार, निवेश प्रोत्साहन और आर्थिक रणनीति का महत्व बताया।
सीतारमण: भरोसेमंद वैश्विक संस्थाएं जरूरी
सीतारमण ने वैश्विक स्थिरता के लिए बहुपक्षीय संस्थाओं जैसे विश्व बैंक और IMF को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं की कमजोरी वैश्विक भरोसा कम करती है। वित्त मंत्री ने बताया कि सुधार और सहयोग के माध्यम से ही वैश्विक व्यापार और निवेश स्थिर हो सकता है। उनका मानना था कि वैश्विक आर्थिक स्थिति अब ऐतिहासिक मोड़ पर है और कम निवेश, ग्रोथ और स्थिरता के बीच तनाव इसका संकेत देता है।
वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की आर्थिक तैयारी
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत का लक्ष्य 8 प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ हासिल करना है। यह लक्ष्य 2047 तक विकसित और आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करने के लिए जरूरी है। उन्होंने बताया कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी बढ़ाने, घरेलू सुधारों को संतुलित करने और टैरिफ तथा भू-राजनीतिक तनावों को पार करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
सीतारमण ने यह भी कहा कि भारत वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है और बाहरी झटकों से अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने के लिए जरूरी उपाय किए जा रहे हैं। उनका मानना था कि देश की लचीलापन और रणनीतिक नीतियां भारत को वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में मजबूती प्रदान करेंगी।