नया अध्ययन दिखाता है कि डेंगू बच्चों में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का कारण बन सकता है। 2018-19 में डेंगू से इंसेफ्लाइटिस के शिकार 56 बच्चों का पांच साल बाद स्वास्थ्य आकलन किया गया, जिसमें 22 बच्चों में मानसिक या शारीरिक दिव्यांगता पाई गई। यह संकेत करता है कि डेंगू केवल संक्रमण तक सीमित नहीं रहता, बल्कि लंबे समय तक दिमाग और शरीर को प्रभावित कर सकता है।
Dengue: गोरखपुर के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) के अध्ययन में 2018-19 में डेंगू से इंसेफ्लाइटिस के शिकार 56 बच्चों का पांच साल बाद आकलन किया गया। इसमें 22 बच्चों में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं मिलीं, जिसमें मानसिक दिव्यांगता, अंगों की कार्यक्षमता में कमी और याददाश्त में कमी शामिल थी। शोध से पता चलता है कि डेंगू केवल बुखार और प्लेटलेट्स कम होने तक सीमित नहीं है, बल्कि लंबे समय तक बच्चों के मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम पर प्रभाव डाल सकता है।
बच्चों में न्यूरोलॉजिकल असर
डेंगू मुख्य रूप से एडीस एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। लेकिन आरएमआरसी द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि यदि बच्चों का समय पर इलाज न किया जाए तो वायरस मस्तिष्क तक पहुंच सकता है। अध्ययन में शामिल 56 बच्चे 2018-19 में डेंगू से इंसेफ्लाइटिस के शिकार हुए थे। प्रारंभिक इलाज में लापरवाही के कारण वायरल लोड बढ़ गया और बच्चों को तेज बुखार के साथ झटके भी आने लगे।
पांच साल बाद स्वास्थ्य का आकलन
बच्चों को तब बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था। इलाज के बाद 22 बच्चे स्वस्थ होकर घर लौटे थे। लेकिन पांच साल बाद जब शोध दल ने उनका स्वास्थ्य जांचा तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इनमें से 22 बच्चों में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं पाई गईं। इस दौरान एक बच्चे की मृत्यु हो चुकी थी। शोध का निष्कर्ष यूके के जर्नल 'ओपेन फोरम इन्फेक्शियस डिजीजेज' में प्रकाशित हुआ है।
न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का प्रकार
शोध में यह भी देखा गया कि कुछ बच्चों में हल्की न्यूरोलॉजिकल समस्याएं थीं, जिससे उनके व्यवहार में बदलाव आया। चार बच्चों के एक हाथ या पैर ठीक से काम नहीं कर रहे थे। कुछ बच्चों को बोलने और सुनने में भी कठिनाई थी। छह बच्चे रोजमर्रा के कामों में दूसरों पर निर्भर थे। कुल मिलाकर 21 बच्चों में चीजें याद रखने की क्षमता कम पाई गई।
जापानी इंसेफ्लाइटिस का संदर्भ
गोरखपुर-बस्ती मंडल और आसपास के बिहार व नेपाल के जिलों में लंबे समय तक जापानी इंसेफ्लाइटिस का प्रकोप रहा है। पिछले सात-आठ वर्षों में इसका प्रभाव लगभग समाप्त हो गया है। लेकिन नया अध्ययन यह दर्शाता है कि डेंगू भी बच्चों में लंबे समय तक मानसिक और शारीरिक समस्याएं छोड़ सकता है।
डेंगू का प्रभाव सिर्फ बुखार तक नहीं
डेंगू केवल संक्रमण तक सीमित नहीं है। समय पर इलाज न होने पर यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और दैनिक जीवन में गंभीर असर डाल सकता है। शोधकर्ता डॉ. नेहा श्रीवास्तव के अनुसार, बच्चों में इंसेफ्लाइटिस के बाद होने वाली न्यूरोलॉजिकल समस्याएं अब डेंगू के मामले में भी सामने आ रही हैं।
अध्ययन 2018-19 में शुरू हुए डेंगू के मामलों पर आधारित था। 56 बच्चों को इसमें शामिल किया गया। वर्ष 2023-24 में शोध टीम ने इन बच्चों के घर जाकर उनके स्वास्थ्य का मूल्यांकन किया। 34 बच्चे पूरी तरह स्वस्थ पाए गए। जबकि शेष बच्चों में न्यूरोलॉजिकल या शारीरिक समस्याएं पाई गईं। यह आंकड़े डेंगू के दुष्प्रभाव को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
भविष्य में बच्चों के स्वास्थ्य पर असर
यह अध्ययन दिखाता है कि डेंगू केवल एक संक्रामक रोग नहीं है। यह बच्चों के दिमाग और नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर उनके जीवन में दीर्घकालिक समस्याएं पैदा कर सकता है। मानसिक दिव्यांगता, शारीरिक कमजोरी और दैनिक कार्यों में असमर्थता जैसी स्थितियां लंबे समय तक बच्चों के साथ रह सकती हैं।