'एक देश, एक चुनाव' विधेयक पर आज, 11 अगस्त को संयुक्त संसदीय समिति की बैठक दोपहर 3 बजे आयोजित होगी। बैठक के दौरान समिति के सदस्य इस विषय पर गहन चर्चा करते हुए विशेषज्ञों के एक पैनल से विचार-विमर्श करेंगे।
नई दिल्ली: भारत में लंबे समय से चर्चा का विषय बने ‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) प्रस्ताव पर आज दोपहर 3 बजे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। इस बैठक में समिति के सदस्य विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ संवाद करेंगे और लोकसभा व सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की संभावनाओं, लाभ और चुनौतियों पर विचार-विमर्श करेंगे।
बैठक का स्थान और स्वरूप
सूत्रों के अनुसार, यह बैठक संसद भवन परिसर के मुख्य समिति कक्ष (MCR) में आयोजित होगी। बैठक में शामिल होने के लिए कई प्रतिष्ठित शिक्षाविद, पूर्व सांसद और सामाजिक विज्ञान के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है। आज की बैठक में हिस्सा लेने वाले प्रमुख नामों में शामिल हैं:
- प्रो. जी गोपाल रेड्डी – मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय
- प्रो. सुषमा यादव – हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय
- डॉ. विनय सहस्रबुद्धे – पूर्व राज्यसभा सदस्य
- प्रो. शीला राय – राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद
- प्रो. ननी गोपाल महंत – गुवाहाटी विश्वविद्यालय
बैठक में चर्चा के मुख्य बिंदु
बैठक में यह समझने का प्रयास किया जाएगा कि एक साथ चुनाव कराने से भारत की राजनीतिक स्थिरता, प्रशासनिक दक्षता और आर्थिक संसाधनों के उपयोग पर क्या प्रभाव पड़ेगा। वर्तमान में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे बार-बार चुनावी खर्च और प्रशासनिक संसाधनों पर दबाव बढ़ता है। ‘एक देश, एक चुनाव’ की अवधारणा के समर्थकों का मानना है कि इससे:
- चुनावी खर्च में भारी कमी आएगी
- विकास कार्यों में रुकावट कम होगी
- मतदाताओं की भागीदारी बढ़ेगी
- नीति निर्धारण में निरंतरता बनी रहेगी
हालांकि, आलोचकों का तर्क है कि भारत जैसे विविधता भरे देश में सभी राज्यों और केंद्र के चुनाव एक साथ कराना व्यावहारिक रूप से कठिन हो सकता है। साथ ही, केंद्र और राज्यों की स्वायत्तता पर असर पड़ने की आशंका भी जताई जाती है।
पिछले सत्र की पृष्ठभूमि
इससे पहले 30 जुलाई 2025 को जेपीसी की बैठक हुई थी, जिसमें पूर्व राज्यसभा सदस्य और 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह तथा अशोका विश्वविद्यालय की अर्थशास्त्र प्रोफेसर डॉ. प्राची मिश्रा ने अपनी प्रस्तुति दी थी। उनके मुताबिक, एक साथ चुनाव कराने से भारत की वास्तविक जीडीपी (Real GDP) में लगभग 1.5% की अतिरिक्त वृद्धि संभव है।
वर्ष 2024 के हिसाब से यह वृद्धि लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये के बराबर होगी, जो कि देश के कुल स्वास्थ्य बजट का लगभग आधा या शिक्षा बजट का एक-तिहाई है।